जयपुर के राजापार्क में रहने वाला एक कपल। दोनों की उम्र करीब 35 साल। दोनों जॉब करते थे। परिवार बार-बार बच्चे के लिए दबाव डाल रहा था, लेकिन पति-पत्नी का फोकस कॅरियर पर था। सबकुछ ठीक चल रहा था कि परिवार की खुशियों को किसी की नजर लग गई। घर के बेटे की हार्टअटैक से मौत हो जाती है। फिर परिवार की खुशियां दोबारा लौटती हैं, जब पति की मौत के 2 साल बाद बहू मां बनी। अब उसी परिजनों की आंख में खुशी के आंसू थे।
...लेकिन, ये सबकुछ हुआ कैसे?
आपके इस सवाल का जवाब है- एग/स्पर्म फ्रीजिंग तकनीक। दरअसल, जब पति-पत्नी बच्चे के लिए तैयार नहीं थे तब किसी परिजन ने उन्हें सलाह दी थी कि लाइफ में आगे कंसीव करने में परेशानी न आए, इसके लिए उन्हें स्पर्म और एग फ्रीज करवा लेने चाहिए। दोनों ने वैसा ही किया।
पति की मौत के पांच महीने बाद पत्नी ने जिंदगी का खालीपन दूर करने के लिए डॉक्टर्स से मां बनने की इच्छा जाहिर की। डॉक्टर्स ने पति के स्पर्म से फर्टिलाइज किए गए एग को कोख में इंसर्ट कर दिया। करीब साढ़े आठ महीने बाद उनके घर बेटी का जन्म हुआ।
ये तो सिर्फ एक उदाहरण है, जो बता रहा है कि राजस्थान बदल रहा है। दैनिक भास्कर ने प्रदेश में बड़े स्तर पर काम कर रहे आईवीएफ सेंटरों में जाकर और स्पेशलिस्ट के अनुभवों के आधार पर करीब से समाज में हो रहे इस बदलाव को जाना।
डॉ. नीलम बापना, निजी आईवीएफ सेंटर में कार्यरत वरिष्ठ डॉ. उर्मिला शर्मा सहित कई विशेषज्ञों ने बताया कि आर्मी, नेवी या देश से बाहर काम कर रहे लोगों, कैंसर रोगियों और करिअर फोकस्ड कपल में स्पर्म और एग फ्रीज करवाने का चलन बढ़ गया है।
चलिए- थोड़ा और आसान शब्दों में समझते हैं, एग फ्रीजिंग टेक्नीक क्या है और इसने कैसे असंभव को संभव बना दिया…।
पत्नी को पीसीओडी की शिकायत थी
सीकर निवासी जवान जब सालभर बाद घर लौटा तो पत्नी की गोद में 1 महीने के बच्चे को देख खुशी से झूम उठा। दरअसल, बॉर्डर पर जाने से पहले जवान ने जयपुर के आईवीएफ सेंटर पर अपने स्पर्म फ्रीज करवा दिए थे। पिछली छुट्टियों में आईवीएफ की मदद से पत्नी को गर्भ धारण करवा दिया था। डॉक्टर्स का कहना था कि पत्नी को पीसीओडी की शिकायत के कारण नेचुरली प्रेग्नेंसी का साइकल पूरा नहीं हो पा रहा था।
नेचुरल प्रोसेस से कंसीव नहीं कर पा रहे थे
मारवाड़ क्षेत्र के एक बिजनेस घराने के 25 साल के इकलौते बेटे को लंग कैसर हो गया। इलाज कर रहे डॉक्टर ने कीमोथैरेपी शुरू करने से पहले माता-पिता को समझाया कि बेटे का स्पर्म फ्रीज करवा लेना चाहिए। परिवार ने आईवीएफ सेंटर में बेटे का स्पर्म फ्रीज करवा दिया। बेटा कैंसर से जंग जीत गया और धूमधाम से शादी हुई। शादी के तीन साल बाद भी नेचुरल प्रोसेस से कपल को कंसीव करने में सफलता नहीं मिली। इसके बाद आईवीएफ सेंटर में फ्रीज कराए हुए स्पर्म के जरिए घर में खुशियां लौटीं।
दूसरी शादी से पहले प्लान कर लिया बच्चा
मल्टी नेशनल कंपनी में एक अच्छे पद पर काम कर रही महिला का तलाक हो गया। 35 वर्षीय महिला दोबारा शादी करने वाली थी। जीवन साथी चुनने से पहले ही महिला ने अपनी बढ़ती उम्र को देखते हुए अपना एग फ्रीज करवा लिया है। इस कदम से जब भी शादी होगी तो मां बनने में परेशानी की आशंकाएं कम हो गई हैं।
यूं समझिए- एग फ्रीजिंग
मान लीजिए एक कपल है। दोनों की उम्र करीब 30 साल है। दोनों चाहते हैं कि 10 साल बाद बच्चा प्लान करें, लेकिन इसमें प्रॉब्लम ये होती है कि उम्र ज्यादा होने पर कंसीव करने में कॉम्पिलीकेशन आ सकते हैं। ऐसे में पुरुष स्पर्म और महिला एग फ्रीज करा देती हैं। पुरुष के स्पर्म को फ्रीज करके स्टोर किया जाता है। इसी तरह महिला की ओवरी से मैच्योर अंडों को निकालते हैं और लैब में ले जाकर जीरो तापमान पर फ्रीज करते हैं। पांच साल बाद जब कपल को लगता है कि अब उन्हें बच्चा चाहिए तो अंडों को स्पर्म के साथ मिलाकर गर्भाशय में ट्रांसफर कर दिया जाता है।
विदेश की तुलना में भारत में सस्ता आईवीएफ
डॉक्टर्स ने बताया विदेश की तुलना में भारत में आईवीएफ या फर्टिलिटी ट्रीटमेंट काफी किफायती है। यूएस में तो भारत की तुलना में 90 प्रतिशत तक अधिक खर्चा आता है। ऐसे में विदेश में काम कर रहे यहां के लोग भारत आकर ही आईवीएफ या फर्टिलिटी ट्रीटमेंट लेते हैं। इस कारण विदेश में नौकरी या अन्य काम करने वाले युवा यहां अपना स्पर्म या एग फ्रीज करवाते हैं और यहां ही कंसीव करते हैं।आईवीएफ और फर्टिलिटी ट्रीटमेंट खर्चीला होने के लिए कुछ बैंकों ने लोन देना भी शुरू कर दिया है। आईवीएफ के पूरे प्रोसेस में 3 से 5 लाख रुपए तक खर्चा आ जाता है।
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