भारत में कोरोना वायरस के कुल मामलों की संख्या 10.38 लाख से ऊपर पहुंच गई है और भारत संक्रमण के मामले में टॉप-3 देशों में शामिल हो गया है. भारत में अब तक 26,273 लोगों की मौत हुई है. लेकिन अमेरिका के प्रमुख अखबार 'वॉशिंगटन पोस्ट' ने भारत में कोरोना से कम मौतों को 'रहस्य' बताया है.
अमेरिकी अखबार का कहना है कि कोरोना वायरस को लेकर भारत के आंकड़ों के पीछे 'विरोधाभास' है. असल में अमेरिका और ब्राजील में जब कोरोना के कुल मामले 10 लाख थे तो मौत की संख्या करीब 50 हजार हो चुकी थी. लेकिन कुल 10 लाख मामलों पर भारत में कोरोना से मौत का आंकड़ा 25 हजार रहा.
'वॉशिंगटन पोस्ट' ने लिखा है कि भारत सरकार एक तरफ कह रही है कि अन्य देशों के मुकाबले भारत बेहतर कर रहा है. लेकिन देश के ग्रामीण क्षेत्रों में एक बड़ी आबादी बिना स्वास्थ्य सुविधाओं के रहती है और उन लोगों को जांच की सुविधा मिलने की संभावना कम ही रहती है. इस बात के काफी संकेत मिले हैं कि कोरोना से होने वालीं कई मौतें रिपोर्ट नहीं हो पाती हैं. और भारत में पर कैपिटा टेस्टिंग रेट भी कम ही है.
रूस में 7.5 लाख केस के बावजूद मौत के आंकड़े 12 हजार होने पर भी सवाल उठाए गए हैं. वहीं, भारत में मौत के आंकड़े कम रहने के पीछे टीबी वैक्सीन, वायरस के कम घातक स्ट्रेन के मौजूद होने, जिनेटिक और इम्यूनिटी फैक्टर को भी वजह बताया जा रहा है. लेकिन अमेरिकी अखबार ने एक्सपर्ट के हवाले से कहा है कि ये ऐसी थ्योरीज हैं जिनके लिए अब तक सबूत नहीं मिले हैं.
टोरंटो यूनिवर्सिटी में संक्रामक रोग विशेषज्ञ प्रभात झा का कहना है कि महामारी रोकने का एक ही रास्ता है कि हमारे पास बेहतर आंकड़े हों, लेकिन ये नहीं जुटाए जा रहे हैं. अमेरिकी अखबार का कहना है कि विकसित देशों में भी कोरोना से जुड़ी मौतों की पूरी संख्या सरकारी आंकड़ों में दर्ज नहीं हो पाई है.
वॉशिंगटन पोस्ट ने भारत के 4 बड़े शहर, मुंबई, दिल्ली, चेन्नई और कोलकाता से मार्च से लेकर जून के महीने में हुई मौतों के आंकड़े मांगे. अखबार का दावा है कि सिर्फ मुंबई ने पूरा और अप टू डेट आंकड़ा दिया और कोलकाता ने कोई आंकड़ा नहीं दिया.
अमेरिकी अखबार का दावा है कि मुंबई में मई 2020 में कुल 12,963 मौतें हुईं. जबकि इसी महीने पिछले साल 6832 मौतें हुई थीं. यानी मौत के आंकड़ों में 6,131 की बढ़ोतरी हुई. मगर कोरोना से हुई सिर्फ 2269 मौतें दर्ज की गईं. हालांकि, मुंबई के म्यूनिसिपल कमिश्नर आईएस चहल ने कहा कि लॉकडाउन की वजह से पिछले महीने का आंकड़ा देरी से जोड़ा गया, इसलिए संख्या अधिक आई.
पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया के प्रेसिडेंट के. श्रीनाथ रेड्डी कहते हैं कि सामान्य दिनों में भारत में मौत के 20 फीसदी आंकड़े रिपोर्ट नहीं होते, क्योंकि लोगों की मौत घर में या शहर से बहुत दूर होती है. इसलिए कोरोना से होने वाली मौत की संख्या आधिकारिक आंकड़ों से अधिक होगी, लेकिन बिना रिसर्च के कोई नहीं जानता कि कितनी अधिक. वहीं, अखबार ने कब्रिस्तान और शवदाहगृहों में आधिकारिक आंकड़ों से कहीं अधिक शव पहुंचने की बात भी कही है.
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