हाथरस की निर्भया के साथ जो हुआ, उसे लेकर पूरे देश में गुस्सा बढ़ता जा रहा है. वो लड़की 15 दिनों तक जिंदगी और मौत के बीच जंग लड़ती रही और आखिरकार मंगलवार की सुबह उसने इस दुनिया को अलविदा कह दिया. मरने से पहले हाथरस की निर्भया ने पुलिस को आरोपियों के नाम बताए. पुलिस ने एक-एक कर उन्हें गिरफ्तार कर लिया. लेकिन पीड़िता के साथ दरिंदगी होने के बावजूद पुलिस ने गैंगरेप का मुकदमा लिखने में 9 दिन लगा दिए. उसका परिवार पुलिस से गुहार लगाता रहा लेकिन पुलिस ने 9 दिन तक रेप के मामले पर कोई कार्रवाई नहीं की.
उत्तर प्रदेश की कानून-व्यवस्था पर लगातार सवाल उठ रहे हैं. अपराधी बेखौफ वारदातों को अंजाम दे रहे हैं. उस पर निर्भया जैसी इस वारदात ने एक बार फिर पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान लगा दिए. वजह है इस केस में सामूहिक बलात्कार की धारा लगाने में हाथरस पुलिस ने 9 दिन का वक्त लगा दिया. हालांकि इस दौरान पीड़िता अस्पताल में जिंदगी के लिए जंग लड़ रही थी और उसके घरवाले रेप की धाराएं बढ़वाने के लिए पुलिस के चक्कर लगा रहे थे.
वैसे तो पुलिस ने घटना के दिन ही परिजनों की शिकायत पर आईपीसी की धारा 307 (हत्या के प्रयास) का मुकदमा दर्ज कर लिया था. पीड़ित लड़की दलित समुदाय से आती है, इसलिए एससी-एसटी एक्ट की धारा भी लगाई गई. लेकिन पुलिस गैंगरेप की बात मानने के लिए तैयार नहीं थी.
दरअसल, 14 सितंबर की सुबह हाथरस के चंदपा थाना क्षेत्र में बूलगढ़ी गांव में इस निर्भया कांड को चार लोगों ने अंजाम दिया था. युवती अपनी मां के साथ खेत में चारा काट रही थी. चारा काटते-काटते वो अपनी मां से थोड़ी दूरी पर जा पहुंची. इसी बीच गांव के ही चार युवक वहां पहुंचे और लड़की को उसके दुपट्टे से खींचकर बाजरे के खेत में ले गए. जहां उन चारों ने उसके साथ दरिंदगी को अंजाम दिया. विरोध करने पर लड़की को जमकर पीटा.
चारों आरोपी घटना के बाद लड़की को मरा समझकर वहां से फरार हो गए थे. लड़की की मां उसे ढूंढते हुए वहां पहुंची तो घटना का पता चला. लड़की को उपचार के लिए अलीगढ़ के जेएन मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया. हाथरस पुलिस को सूचना दी गई. परिजनों की लाख कोशिशों के बाद पुलिस ने हत्या के प्रयास का मामला दर्ज किया. लेकिन रेप की बात नहीं मानी. घरवाले पुलिस से लगातार गुहार लगाते रहे. पुलिस ने कहा- क्या सबूत है.
हालांकि गौर करने वाली बात है कि ऐसे मामलों में अक्सर पुलिस रेप की पुष्टि के लिए पीड़िताओं का मेडिकल कराती है. लेकिन इस केस में पुलिस ने ऐसा नहीं किया. जब घटना के 9 दिन बाद पीड़िता को होश आया और उसने आपबीती पुलिस को बताई. सभी आरोपियों की पहचान और नाम बताए. तब जाकर पुलिस ने इस मुकदमे में गैंगरेप यानी आईपीसी की धारा 376डी को तरमीम किया.
हाथरस की निर्भया मंगलवार की सुबह जिंदगी की जंग हार गई. वो हमेशा के लिए खामोश हो गई. वो मौत की आगोश में समा गई. अब केवल उसके परिवार के पास उसकी यादें हैं. बेटी की मौत के बाद उसके पिता और भाई दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में धरने पर बैठ गए थे, वो बेटी के हत्यारों को फांसी की सजा दिए जाने की मांग कर रहे थे. उन्हें भी दिल्ली पुलिस उठाकर अपने साथ ले गई.
उधर, हाथरस के पुलिस अधीक्षक का कहना है कि अभी तक इस मामले में रेप की पुष्टि नहीं हुई है. फॉरेंसिक जांच कराई जा रही है. पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट का इंतजार है. हाथरस के डीएम पहले ही बता चुके हैं कि पीड़ित परिवार को सरकार की ओर से दस लाख रुपये की आर्थिक मदद दी गई है. अब भले ही सरकार पीड़ित परिवार के जख्मों पर मेहरबानी का मरहम लगाए या विपक्षी नेता सरकार पर सवाल उठाएं, मगर सच तो ये है कि हाथरस की निर्भया अब कभी लौटकर नहीं आएगी.
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