बिहार में चुनावी महासमर का बिगुल बज चुका है. इस बार का चुनाव जहां सैकड़ों को विधानसभा की राह दिखाएगा वहीं हजारों को मायूस भी करेगा. चुनावी रणभूमि में बहुत से ऐसे चेहरे भी हैं जिनकी पद और प्रतिष्ठा की कठिन परीक्षा होने वाली है. बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में कई ऐसे दिग्गज भी हैं, जिनकी जीत-हार पर सिर्फ बिहार की जनता की ही नहीं बल्कि पूरे देश की नजर होगी. आइये आपको बताते हैं कि कौन हैं बिहार के ऐसे टॉप-10 नेता जिनकी जीत-हार अन्य उम्मीदवारों से कहीं ज्यादा मायने रखती है.
(1) नीतीश कुमार: नीतीश कुमार किसी परिचय के मोहताज नहीं. जनता दल यूनाइटेड के मुखिया और मौजूदा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एनडीए की ओर से मुख्यमंत्री का चेहरा भी हैं. एनडीए के सभी घटक दल नीतीश के नेतृत्व में ही बिहार का चुनाव लड़ रहे हैं. नीतीश 2005 से लेकर अब तक बिहार के मुख्यमंत्री है. इस समयावधि में सिर्फ नौ महीने ही ऐसे थे जब जीतनराम मांझी मुख्यमंत्री पद पर थे. वर्तमान समय में नीतीश विधानपरिषद के सदस्य हैं. वह लगातार तीन बार से विधान परिषद के सदस्य हैं और अभी उनका काफी कार्यकाल बचा हुआ है. इस बार नीतीश अपनी मुख्यमंत्री की कुर्सी बचाने में सफल रहते हैं या नहीं, यह देखना दिलचस्प होगा.
(2) तेजस्वी यादव: लालू प्रसाद यादव के जेल जाने के बाद से तेजस्वी ही राष्ट्रीय जनता दल मुखिया के रूप में काम कर रहे हैं. वह महागठबंधन को भी लीड कर रहे हैं. 2015 में तेजस्वी ने राघोपुर सीट से जीत हासिल की. तब राजद का गठबंधन जदयू के साथ था. नीतीश सीएम बने तो समझौते के आधार पर डिप्टी सीएम का पद तेजस्वी को मिला. हालांकि 2017 में गठबंधन में टूट के चलते तेजस्वी सत्ता से बाहर हो गए और उसके बाद से नेता प्रतिपक्ष के रूप में काम किया. महागठबंधन की ओर से तेजस्वी ही सीएम पद के दावेदार हैं. उनकी और उनके नेतृत्व वाले महागठबंधन की जीत-हार पर हर किसी की नजर है.
(3) चिराग पासवान: लोक जनशक्ति पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के तौर पर काम कर रहे चिराग मुंगेर सीट से सांसद हैं. एलजेपी अब तक एनडीए में घटक दल थी लेकिन चिराग ने हाल ही में नीतीश कुमार के खिलाफ हल्ला बोल कर हर किसी को चौंका दिया. वैचारिक तौर पर चिराग एनडीए के साथ हैं लेकिन नीतीश कुमार का नेतृत्व इन्हें मंजूर नहीं. एलजेपी अध्यक्ष चिराग के नये स्टंट ने बिहार चुनाव में अनुमानित समीकरणों को अस्त व्यस्त कर दिया है. यह देखना दिलचस्प होगा कि चिराग को ये फैसला उनकी पार्टी को चुनाव में फायदा पहुंचाता है या नुकसान.
(4) जीतनराम मांझी: मांझी जनता दल यूनाइटेड की ओर से मई 2014 से फ़रवरी 2015 यानी कुल नौ महीने तक बिहार के मुख्यमंत्री रहे. हालांकि मुख्यमंत्री पद से हटने के बाद इन्होंने अपनी अलग हिन्दुस्तान आवाम मोर्चा नाम से नई पार्टी बना ली. पिछले चुनाव में इमामगंज सीट से विधायक चुने गए थे. हाल ही में मांझी ने महागठबंधन से नाता तोड़ एनडीए का दामन थाम लिया है. लेकिन टिकट वितरण में परिवार को तवज्जों देने के आरोप में इन दिनों अपनी ही पार्टी के कार्यकर्ताओं के विरोध का सामना कर रहे हैं. मांझी की नैया इस बार किस किनारे लगेगी, सबकी नजर इसी तरफ है.
(5) उपेंद्र कुशवाहा: उपेंद्र राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के प्रमुख है. उन्होंने 2019 में काराकाट और उजियारपुर सीटों पर लोकसभा का चुनाव भी लड़ा था लेकिन हार गए. अब विधानसभा चुनाव में उतरने वाले हैं. उपेंद्र कुशवाहा का बिहार में मायावती की पार्टी बीएसपी और ओवैसी की पार्टी AIMIM के साथ गठबंधन है. उपेंद्र और उनकी पार्टी इस बार बिहार में क्या मुकाम हासिल करेगी, ये चर्चा का विषय है.
(6) मुकेश सहनी: मुकेश खुद को मल्लाहों के नेता के रूप में स्थापित करने में जुटे रहते हैं और विकासशील इंसान पार्टी के प्रमुख हैं. 2019 के लोकसभा चुनाओं में मुकेश की पार्टी ने महागठबंधन के साथ बिहार की तीन सीटों पर चुनाव लड़ा और तीनों पर उन्हें हार का सामना करना पड़ा. इस बार के विधानसभा के लिए भी मुकेश की पार्टी महागठबंधन के साथ थी लेकिन सीट बंटवारे में अनदेखी से नाराज होकर मुकेश ने अब एनडीए का हाथ थाम लिया है. मुकेश सहनी यहां भी पार्टी को मिली सीटों से खुश नहीं. वह खुद किसी मल्लाह बाहुल्य सीट पर चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं. उनकी जीत उनकी और उनकी पार्टी के राजनीतिक भविष्य के लिए बहुत अहम साबित होगी.
(7) पुष्पम प्रिया चौधरी: पुष्पम प्रिया को वर्ष 2020 की शुरूआत तक कोई नहीं जानता था. मार्च में उन्होंने देश के सभी बड़े अखबारों में अपनी नवगठित प्लूरल्स पार्टी का विज्ञापन देकर खुद को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित कर दिया. इतना ही नहीं, उन्होंने अपनी नई पार्टी से चुनाव लड़ने के इच्छुक लोगों से आवेदन भी मांगे. फिलहाल पुष्पम प्रिया की पार्टी 40 सीटों पर उम्मीदवार उतार दिए हैं. वहीं पुष्पम प्रिया चौधरी ने खुद पटना की बांकीपुर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने का फैसला लिया है.
(8) पप्पू यादव: मधेपुरा सीट से पूर्व सांसद पप्पू यादव जन अधिकार पार्टी (जाप) के मुखिया हैं. 2019 में भी उन्होंने मधेपुरा से लोकसभा का चुनाव लड़ा लेकिन हार गए. वर्तमान समय में बिहार विधानसभा में पप्पू की पार्टी का एक भी विधायक नहीं है. जबकि पप्पू इस बार के चुनाव में अपनी पार्टी को मजबूती देने के लिए नये समीकरण गढ़ने में व्यस्त हैं. उनकी पार्टी जाप, प्रगतिशील लोकतांत्रिक गठबंधन में है. उनके साथ एसडीपीआई और अन्य कुछ छोटे दल हैं. 33 सीटों पर उनकी पार्टी चुनाव लड़ेगी.
(9) गुप्तेश्वर पांडेय: बिहार के डीजीपी रहे गुप्तेश्वर पांडेय फिल्म अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत मामले की जांच के दौरान चर्चा में आए. अचानक से उन्होंने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेकर सबको चौंका भी दिया. यही नहीं उन्होंने सीएम नीतीश कुमार की मौजूदगी में जेडीयू की सदस्यता भी ग्रहण की. हालांकि खुद गुप्तेश्वर पांडेय ने यह साफ कर दिया है कि वह इस बार विधानसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे.
(10) नित्यानंद राय: नित्यानंद की गिनती बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं में होती है. वह केंद्र सरकार में गृह राज्यमंत्री भी हैं. नित्यानंद को गृह मंत्री अमित शाह का करीबी माना जाता है. वह बिहार में बीजेपी अध्यक्ष के रूप में भी काम कर चुके हैं. वो बिहार में चुनाव लड़ने नहीं जा रहे लेकिन चर्चा है कि अगर इस बार बीजेपी अपने दम पर बहुमत साबित कर पाती है तो नित्यानंद को पार्टी सीएम की रेस में आगे कर सकती है. फिलहाल, नित्यानंद बिहार के चुनाव पर सबसे पैनी नजर रखे हुए हैं और यहां बीजेपी का प्रदर्शन नित्यानंद के लिए सबसे खास होगा. पार्टी की जीत में ही उनकी जीत है.
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