लखनऊ में विधानसभा के सामने बीजेपी प्रदेश कार्यालय के गेट पर आत्मदाह करने वाली महराजगंज की अंजलि तिवारी ने दो दिन पहले ही गोरखपुर के अस्पताल में एक अनजान शख्स को खून देकर उसकी जान बचाई थी. जब अंजलि गोरखपुर से लखनऊ जा रही थी, उस समय उसने बीमार युवक के भाई को कई बार फोन किया और उसका हालचाल पूछती रही.
बलिया का यह परिवार अब अंजलि के आत्मदाह की घटना से बहुत दुखी है. इस परिवार को विश्वास ही नहीं हो रहा है कि जिस अंजलि ने उसके परिवार के एक शख्स की जान बचाई वो अब इस दुनिया में नहीं है.
ऐसे सामने आया राज
अंजलि के आत्मदाह के बाद यूपी पुलिस अब ये पता करने की कोशिश कर रही है कि अंजलि किसके उकसाने पर आत्मदाह के लिए तैयार हो गई थी. इस जानकारी के लिए पुलिस अंजलि की कॉल डिटेल खंगाल रही है.
इस दौरान पुलिस को मालूम चला कि अंजलि ने एक नंबर पर कई बार बात की थी. घटना के एक दिन पहले लखनऊ जाते समय भी इस नंबर पर अंजलि की बात हुई थी. पुलिस ने जब इस नंबर की तलाश की तो ये नंबर बीमार शख्स के भाई का निकला. इस शख्स से पूछताछ करने के लिए पुलिस उसे थाने ले आई.
टैंपो में जा रही थी अंजलि
इस शख्स ने बताया कि 11 अक्टूबर को वह टैंपो से जा रहा था. उसी टैंपो में अंजलि भी सवार थी. युवक अपने किसी परिचित से फोन पर कह रहा था कि गोरखपुर में खून नहीं मिल रहा है. वह कई ब्लड बैंक का चक्कर लगा चुका है. डॉक्टर जल्दी में खून की मांग कर रहे थे.
खून देने को राजी हो गई
इस बातचीत को ऑटो में बैठी अंजलि ने सुन लिया. वह इस युवक के दुख से इतना पिछल गई कि उसने बीमार युवक के लिए खून देने की पेशकश की. बीमार युवक का भाई अंजलि के इस कदम से बेहद खुश हुआ. इसके बाद अंजलि ने गोरक्षनाथ अस्पताल के ब्लड बैंक में पहुंचकर रक्तदान किया. अब पुलिस ने जांच-पड़ताल के बाद इस युवक को छोड़ दिया है.
वहीं इस मामले में महराजगंज के रहने वाले कांग्रेस अनुसूचित सेल के प्रदेश अध्यक्ष व पूर्व राज्यपाल सुखदेव प्रसाद के बेटे को लखनऊ पुलिस ने अंजलि को आत्मदाह के लिए उकसाने के आरोप में जेल भेज दिया गया है.
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