कानपुर के बिकरू कांड में एसआईटी ने अपनी रिपोर्ट दाखिल कर दी है. एसआईटी ने अपनी रिपोर्ट 3200 पन्नों में लिखी है, जिसमें 700 पन्नों में पुलिस और अपराधियों के बीच सांठगांठ का कच्चा चिट्ठा है. जांच रिपोर्ट में कुल 80 लोगों पर आरोप सही पाए गए. आरोपियों मे 50 पुलिसवाले शामिल हैं, जिनके खिलाफ कार्रवाई करने की सिफारिश की गई है.
जानकारी के मुताबिक, इस रिपोर्ट के आधार पर सरकार आरोपियों को बर्खास्त करने का फैसला ले सकती है. रिपोर्ट में बताया गया है कि कैसे पुलिसवाले विकास दुबे को थाने में चल रही हर गतिविधि के बारे में पहले से ही बताते रहते थे. घटने वाले दिन कैसे पुलिसवालों ने दबिश के बारे में पहले से ही विकास को सब कुछ बता दिया, ताकि वो पहले से ही तैयार रहे।
विकास दुबे ने इन्हीं पुलिसवालों की जानकारी के आधार पर ही पहले से ही असलहे और लोगों को इकट्ठा कर लिया था. विकास दुबे ने पहले से ही अपने लोगों को बोल दिया था कि अगर पुलिसवाले रेड के लिये आये तो वो बच कर ज़िंदा ना जाने पाएं. इस मिलीभगत का नतीजा ये हुआ कि घटना के दिन 8 पुलिसवाले बेहद दुर्दांत तरीके से बिकरू गांव में शहीद हो गए.
एसआईटी ने अपनी जांच में करीब सौ लोगों को शामिल किया था, जिसमें पुलिसवाले, बिकरू गांव के लोग, कई बाहर के पुलिस अधिकारी और कानपुर के बिजनेसमैन्स शामिल थे. इनमें से कुछ लोगों को छोड़कर सबकी कई सालों से विकास दुबे के साथ सांठगांठ पायी गयी.
एसआईटी ने इस मामले मे 9 बिंदुओं पर जांच शुरू की थी. जांच के लिए 31 जुलाई तक का वक्त दिया गया था, लेकिन बाद में जांच का दायरा बढ़ने से वक्त भी बढ़ता गया. इस पूरे मामले मे एसआईटी ने पुलिस, राजस्व, आबकारी समेत कई विभागों के अधिकारियों को भी जांच की जद में लिया था.
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