logo

  • 21
    10:26 pm
  • 10:26 pm
logo Media 24X7 News
news-details
उत्तर प्रदेश

क्या है यूपी का वक्फ बोर्ड घोटाला, जिसमें CBI ने वसीम रिजवी को किया नामजद

उत्तर प्रदेश सरकार की सिफारिश के आधार पर सीबीआई ने सूबे के शिया वक्फ संपत्तियों को गैर कानूनी तरीके से बेचने, खरीदने और हस्तांतरित करने के आरोप में यह मामला दर्ज किया है. वसीम रिजवी के अलावा वक्फ जमीन का लाभ पाने वाले नरेश कृष्ण सोमानी, विजय कृष्ण सोमानी, वक्फ बोर्ड के प्रशासनिक अधिकारी गुलाम सैयदेन रिजवी और निरीक्षक बाकर रजा को आरोपी बनाया गया है.

केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई ने उत्तर प्रदेश शिया वक्फ बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष वसीम रिजवी के खिलाफ केस दर्ज कर लिया है. उत्तर प्रदेश सरकार की सिफारिश के आधार पर सीबीआई ने सूबे के शिया वक्फ संपत्तियों को गैर कानूनी तरीके से बेचने, खरीदने और हस्तांतरित करने के आरोप में यह मामला दर्ज किया है. वसीम रिजवी के अलावा वक्फ जमीन का लाभ पाने वाले नरेश कृष्ण सोमानी, विजय कृष्ण सोमानी, वक्फ बोर्ड के प्रशासनिक अधिकारी गुलाम सैयदेन रिजवी और निरीक्षक बाकर रजा को आरोपी बनाया गया है. 

दरअसल, शिया वक्फ बोर्ड अध्यक्ष के तौर पर वसीम रिजवी साल 2008 से लेकर मई  2020 तक कायम थे. इन 12 साल के दौरान सूबे में मायावती से लेकर अखिलेश यादव की सरकारें आईं और चली गईं, लेकिन वसीम रिजवी अपनी कुर्सी पर कायम रहे. 2017 में सूबे में योगी आदित्यनाथ की सरकार के आने के बाद भी वसीम रिजवी शिया वक्फ बोर्ड पर काबिज रहे, पर उनका कार्यकाल 18 मई 2020 को पूरा होने के बाद वक्फ बोर्ड में वापसी नहीं हो सकी. 


वसीम रिजवी के यूपी शिया वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष रहते हुए वक्फ संपत्तियों की गड़बड़ी के मामले में  एफआईआर दर्ज कराई गई है. वक्‍फ की संपत्ति को लेकर धोखाधड़ी में 8 अगस्‍त 2016 को प्रयागराज में रिपोर्ट दर्ज की गई थी. इसके बाद दूसरी 2017 में लखनऊ के हजरतगंज थाने में कानपुर की वक्‍फ संपत्ति को ट्रांसफर करने पर केस दर्ज हुआ था. इन दोनों दर्ज केस के आधार पर वसीम रिजवी के खिलाफ एफआईआर फाइल हुई है.

 

प्रयागराज में क्या है वक्फ का केस? 
शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के चेयरमैन रहते हुए वसीम रिजवी पर मामला साल 2016 में इमामबाड़ा गुलाम हैदर त्रिपोलिया, ओल्ड जीटी रोड प्रयागराज पर अवैध रूप से दुकानों का निर्माण कराने का है. इस मामले में शिकायत हुई तो क्षेत्रीय अवर अभियंता सुधाकर मिश्रा ने 7 मई 2016 को निरीक्षण के बाद पुराने भवन को तोड़कर किए जा रहे अवैध निर्माण को बंद करा दिया था. इसके बाद में फिर से निर्माण कार्य शुरू करा दिया गया था, इसे रोकने के लिए शिया धर्मगुरु मौला कल्बे जव्वाद सहित कई लोगों ने सरकार को कई पत्र लिखे, फिर भी निर्माण कार्य बदस्तूर जारी रहा.

इमामबाड़ा गुलाम हैदर में चार मंजिला मार्केट खड़ी कर दी गई थी, जिसके लेकर वसीम रिजवी के खिलाफ वक्फ कानूनों के उल्लंघन को लेकर 26 अगस्त 2016 को एफआईआर दर्ज कराई गई. रिजवी के खिलाफ आईपीसी की धारा 447 और 441 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था. लेकिन प्रशासन की ओर से वसीम रिजवी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई. ऐसे में एसर फाउंडेशन के अध्यक्ष शौकत भारती ने प्रयागराज के डीएम से लेकर प्रधानमंत्री और राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग तक पत्र लिखा. वसीम रिजवी के खिलाफ मौलाना कल्बे जव्वाद ने भी शिकायत दर्ज करायी थी.  

लखनऊ में दूसरी एफआईआर
वसीम रिजवी के खिलाफ दूसरी एफआईआर लखनऊ के हजरतगंज कोतवाली में 27 मार्च 2017 को दर्ज की गई थी. ये वही समय था जब सूबे में अखिलेश सरकार की सत्ता से विदाई हुई और योगी के नेतृत्व में बीजेपी की सरकार बनी थी. ये मामला कानपुर देहात के सिकंदरा में शिया वक्फ बोर्ड में दर्ज 2704 की जमीनों के रिकॉर्डों में घपलेबाजी और मुतवल्ली तौसिफुल को धमकाने का था. इस मामले में रिजवी और वक्फ बोर्ड के अधिकारियों पर 27 लाख रुपये लेकर कानपुर में वक्फ की बेशकीमती संपत्ति का पंजीकरण निरस्त करने और पत्रावली से कागजात गायब करने का आरोप है.

सीबीआई की लखनऊ की एंटी करप्शन ब्रांच ने आईपीसी की धारा 409, 420 और 506 के तहत एफआइआर दर्ज की है. इसमें पूर्व अध्यक्ष वसीम रिजवी, शिया वक्फ बोर्ड के प्रशासनिक अधिकारी गुलाम सैयदन रिजवी और वक्फ इंस्पेक्टर वाकर रजा के अलावा नरेश कृष्ण सोमानी और विजय कृष्ण सोमानी को नामजद किया गया है. इसके अलावा प्रयागराज में हुए वक्फ घोटाले के संबंध में दर्ज एफआईआर में अकेले वसीम रिजवी ही नामजद हैं. शिया वक्‍फ बोर्ड की संपत्तियों में गड़बड़ी के दोनों मामलों के संज्ञान में आने के बाद उत्‍तर प्रदेश सरकार ने सीबीआई जांच की सिफारिश की थी. इसके बाद अब सीबीआई ने इसमें वसीम रिजवी सहित अन्य लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज किया है. 

क्या होता है वक्फ बोर्ड
वक्फ बोर्ड एक कानूनी निकाय होता है, जिसका गठन साल 1964 में भारत सरकार ने वक्फ कानून 1954 के तहत किया था. वक्फ बोर्ड का मकसद भारत में इस्लामिक इमारतों, संस्थानों और जमीनों के सही रखरखाव और इस्तेमाल को देखना था. वक्फ में चल और अचल दोनों ही संपत्तियां शामिल होती हैं. इसमें कंपनियों के शेयर, अचल संपत्तियों के सामान, किताबें और पैसा भी शामिल होता है. इस्लाम में शिया और सुन्नी दो संप्रदाय में बंटा हुआ है. ऐसे में यूपी और बिहार में वक्फ संपत्तियां भी शिया और सुन्नी के बीच बंटी हुई है, जिसके चलते इनके अध्यक्ष भी अलग-अलग होते हैं. इसके अलावा बाकी जगह सिर्फ वक्फ बोर्ड है, जिसमें सारी वक्फ संपत्तियां आती हैं. 

You can share this post!

Comments

Leave Comments