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क्राइम

पीओके में भड़की विद्रोह की आग, धधक रहा है गिलगित बाल्टिस्तान

पाक अधिकृत कश्मीर में इन दिनों आगज़नी, बवाल, नारेबाज़ी और प्रदर्शन हर तरफ देखने को मिल रहा है. प्रधानमंत्री इमरान खान और उनकी पार्टी ने गिलगित बाल्टिस्तान में किया ही कुछ ऐसा है कि वहां के लोगों का सब्र का पैमाना छलकने लगा है.

स्टोरी हाइलाइट्स

  • PoK में सड़कों पर उतरे हज़ारों लोग
  • इमरान के लिए एक और नई मुसीबत
  • सरकार के फ़ैसलों से नाराज़ हैं लोग

पाकिस्तान में पिछले कई दिनों से सियासी बवाल जारी है. 11 दलों ने इमरान सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है. पूरे पाकिस्तान में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. और अब इसी कड़ी में पाकिस्तान के कब्जे वाले गिलगित बाल्टिस्तान में भी लोग सड़कों पर उतर आए हैं. दरअसल, पाकिस्तान सरकार के कुछ बे-सिर पैर के फैसले और स्थानीय चुनावों में धांधली को लेकर वहां के लोग जबरदस्त गुस्से में हैं. गुस्सा भी इतना ज्यादा है कि ऐसे विरोध प्रदर्शन पाक सेना के लिए भी परेशानी का सबब बन गए हैं और वो भी उन्हें कुचल नहीं पा रही है.  

पाक अधिकृत कश्मीर में इन दिनों आगज़नी, बवाल, नारेबाज़ी और प्रदर्शन हर तरफ देखने को मिल रहा है. प्रधानमंत्री इमरान खान और उनकी पार्टी ने गिलगित बाल्टिस्तान में किया ही कुछ ऐसा है कि वहां के लोगों का सब्र का पैमाना छलकने लगा है. करीब करीब 73 हज़ार स्क्वायर किलोमीटर का ये पूरा का पूरा इलाक़ा गुस्से की आग में धधक रहा है. हालत ये हैं कि लोगों का ये गुस्सा देख कर पाकिस्तान के हुक्मरान भी सकते में हैं. इमरान का तख्त-ओ-ताज हिलने लगा है. तारीख़ गवाह है कि जब-जब गिलगित बाल्टिस्तान में ऐसी विरोध की आग भड़की है, पाकिस्तानी फ़ौज उसे कुचलती रही है. लेकिन इस बार लोगों के तेवर देख कर फ़ौज को भी समझ में नहीं आ रहा कि वो करे तो क्या करे.

आपको याद होगा कि अभी हाल ही में इमरान ख़ान ने गिलगित बाल्टिस्तान को अंतरिम तौर पर पाकिस्तान का पांचवां सूबा बनाने का ऐलान किया था. साथ ही इस ऐलान में ये भी जोड़ा था कि यहां के लोग लंबे समय से इसकी मांग कर रहे थे. लेकिन हक़ीकत यही है कि ये गिलगित बाल्टिस्तान के बाशिंदों की मर्ज़ी के ठीक उलट लिया गया एक ऐसा फ़ैसला था, जिसे वहां के लोग किसी भी क़ीमत पर मानने को तैयार नहीं हैं. अब सवाल है तो क्या गिलगिट बाल्टिस्तान में मचा ये बवाल पाकिस्तानी हुकूमत के इसी फ़ैसले का नतीजा है या फिर इस बवाल की इनसाइड स्टोरी कुछ और है? 

 

तो जवाब है कि जिस तरह इमरान की पार्टी ने वहां चोरी से अपनी सरकार बनाने की कोशिश की है, वो बात गिलगित बाल्टिस्तान के लोगों को हज़म नहीं हो रही और वहां के लोगों ने विद्रोह का झंडा बुलंद कर दिया है. असल में इमरान की सरकार पर इल्ज़ाम है कि उसने यहां के 33 सीटों वाली असेंबली चुनाव में जबर्दस्त धांधली की है और इस धांधली की बदौलत ही इमरान की पार्टी पाकिस्तान तहरीके इंसाफ यानि पीटीआई को यहां सबसे ज्यादा सीटें मिली हैं. और ऐसे में लोगों का कहना है कि खुद पाकिस्तान के वजीर-ए-आज़म के इशारे पर सरकारी मशीनरी का नाजायज़ इस्तेमाल कर जिस तरह पीटीआई को जिताने की कोशिश हुई, उसे किसी भी कीमत पर कबूला नहीं जा सकता है.

33 सीटों वाली गिलगिट बाल्टिस्तान असेंबली की 24 सीटों के लिए चुनाव हुए. बाकी 9 सीटें आरक्षित हैं. 24 सीटों में से इमरान खान की पार्टी पीटीआई ने 10 सीटें जीती हैं. निर्दलीय उम्मीदवारों ने 7 सीटें जीती हैं. पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी को 3 सीटों पर जीत मिली है तो पाकिस्तान मुस्लिम लीग नवाज को 2 सीटों पर. मजलिस वहदातुल मुसलीमीन को 1 सीट पर जीत मिली है. पीटीआई को 6 निर्दलीयों का समर्थन मिल गया है. इसके अलावा आरक्षित सीटों के नतीजों के एलान के साथ पीटीआई के पास 22 सीटें हो गई हैं.

दरअसल, पाकिस्तान ने भारत के इस हिस्से पर नाजायज़ तरीक़े से कब्ज़ा कर रखा है और अब चीन के इशारे पर इस इलाक़े में वो मनमाने फैसले कर कर रहा है. जानकारों का मानना है कि पाकिस्तान ने चीन इशारे पर ही गिलगित बाल्टिस्तान को पांचवां प्रान्त बनाने की कोशिश की है. लेकिन असलियत ये है कि लोगों का गुस्सा कुछ इस कदर बढ़ा है कि डर है कि कहीं गिलगित बाल्टिस्तान पाकिस्तान के हाथ से बाहर ही ना निकल जाए.

पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी ने गिलगित बाल्टिस्तान के चार जिलों स्कार्दू, घनचे, खरमंग और शिगर में जबरदस्त विरोध प्रदर्शन कर सरकार को अपने इरादे जता दिए हैं. जबर्दस्त ठंड की वजह से फिलहाल कई हिस्सों में धरना-प्रदर्शन रोका गया है. लेकिन जानकार इसे एक नए तूफ़ान की आहट के तौर पर देख रहे हैं. हालांकि पाकिस्तान सरकार यहां हुए चुनावों को साफ-सुथरा साबित करने में जुटी है. सरकार लोगों को ये चैलेंज कर रही है कि अगर उनके पास चुनाव में किसी तरह की धांधली के सबूत हैं, तो वो उन्हें पेश करें. हद तो ये है कि ये वो इमरान खान और उनकी सरकार कह रही है, जिस पर खुद फ़ौज की मदद से चुनाव जीतने का संगीन इल्ज़ाम है.

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