वैज्ञानिकों और इंजीनियर की करीब 70 साल की मेहनत के बाद पश्चिम बंगाल में मिले पहले तेल कुएं से कच्चे तेल का उत्पादन शुरू हुआ है. आइए जानते हैं कि क्या है ओएनजीसी के इस तेल कुएं और भंडार की खासियत..
बंगाल बेसिन में पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता से 50 किलोमीटर दूर 24 परगना जिले के अशोकनगर-1 कुएं से तेल उत्पादन शुरू करने के साथ ओएनजीसी ने एक बड़ा कदम आगे बढ़ाया है. पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस तथा इस्पात मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने रविवार को भारत के आठवें उत्पादन बेसिन-बंगाल बेसिन को राष्ट्र को समर्पित किया.
पश्चिम बंगाल की अर्थव्यवस्था के लिए वरदान!
इस बेसिन में तेल एवं गैस भंडार की खोज 1949 में ही शुरू हुई थी. इसमें तेल एवं गैस का बड़ा भंडार है और यह पश्चिम बंगाल की अर्थव्यवस्था के लिए वरदान साबित हो सकता है.
अशोकनगर-1 में तेल खोज के करीब 70 साल से चल रहे प्रयासों का नतीजा सामने आ गया है और उत्पादन शुरू हो गया है. इस क्षेत्र से ओएनजीसी द्वारा उत्पादित पहले हाइड्रोकार्बन कंसाइनमेंट को 5 नवंबर, 2020 को आईओसीएल के हल्दिया तेल शोधन कारखाने में परीक्षण के लिए भेजा गया था.
तेल एवं गैस उत्पादन के नक्शे पर पश्चिम बंगाल
इस खोज पर ओएनजीसी ने करीब 3381 करोड़ रुपये खर्च किये हैं. पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने ओएनजीसी को बधाई देते हुए कहा कि इस खोज से लगभग 7 दशकों से जारी भारतीय वैज्ञानिकों और इंजीनियरों के अथक प्रयासों का फल मिलने लगेगा और पश्चिम बंगाल के वृहद विकास के लिए एक नई उम्मीद पैदा होगी.
उन्होंने कहा कि बंगाल बेसिन अब आखिरकार विश्व के तेल एवं गैस उत्पादन वाले क्षेत्रों के नक्शे पर स्थान प्राप्त करेगा. उन्होंने आगे कहा कि इस उत्पादन बेसिन का राष्ट्र को औपचारिक समर्पण का दिन राष्ट्रीय गौरव का दिन है और पश्चिम बंगाल की धरती का भारत को एक उपहार है.
भारत का आठवां बेसिन
इस तरह बंगाल बेसिन अब भारत का आठवां ऐसा उत्पादन बेसिन बन गया है, जहां तेल एवं गैस का भंडार है और जहां से उत्पादन भी हो रहा है. इसके पहले सात बेसिन में- कृष्णा गोदावरी (KG), मुंबई ऑफशोर, असम शेल्फ, राजस्थान, कावेरी, असम-आराकन फोल्ड बेल्ट और खंभात की खाड़ी शामिल हैं.
इनमें से सात में ओएनजीसी ने तेल कुए खोजे हैं और उत्पादन कर रही है. जो भारत के स्थापित तेल एवं गैस रिजर्व का 83 प्रतिशत है. ओएनजीसी भारत की सबसे बड़ी तेल एवं गैस उत्पादन कंपनी है, जो देश के कुल हाइड्रोकार्बन उत्पादन का 72 प्रतिशत उत्पादन करती है.
इस बेसिन में तेल एवं गैस भंडार की खोज 1949 में ही शुरू हुई थी. इसमें तेल एवं गैस का बड़ा भंडार है और यह पश्चिम बंगाल की अर्थव्यवस्था के लिए वरदान साबित हो सकता है. बंगाल बेसिन करीब 1.22 लाख वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है और इसका दो-तिहाई हिस्सा बंगाल की खाड़ी में समुद्र के भीतर स्थित है. यह असम अराकान, खंभात और केजी बेसिन से भी बड़ा है. यह राजस्थान बेसिन के लगभग बराबर है.
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