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क्राइम

दिल्ली: पीरागढ़ी से चल रहे फेक कॉल सेंटर का भंडाफोड़, 42 गिरफ्तार

दिल्ली पुलिस की साइबर क्राइम यूनिट ने दिल्ली के पीरागढ़ी से चल रहे एक फेक कॉल सेंटर का भंडाफोड़ किया है. पुलिस ने इस मामले में कुल 42 लोगो को गिरफ्तार किया है, जीने 16 महिलाएं भी शामिल हैं.

दिल्ली पुलिस की साइबर क्राइम यूनिट ने दिल्ली के पीरागढ़ी से चल रहे एक फेक कॉल सेंटर का भंडाफोड़ किया है. पुलिस ने इस मामले में कुल 42 लोगो को गिरफ्तार किया है, जीने 16 महिलाएं भी शामिल हैं. इसके अलावा पुलिस ने कॉल सेंटर से 90 इलेक्ट्रॉनिक उपकरण भी जब्त किए है. 


साइबर सेल के मुताबिक ये लोग दिल्ली के पीरागढ़ी में बैठ कर विदेशियों को अपना निशाना बनाते थे, खुद को ये लोग लॉ एंड इंफोर्समेंट एजेंसी का बताते थे.

 

जानकारी के मुताबिक ये लोग अबतक 3500 लोगों को अपनी ठगी का शिकार बना चुके हैं और उनसे करीब 70 करोड़ की ठगी की है. पुलिस का कहना है कि इनके पास से जो इलेक्ट्रॉनिक उपकरण मिले हैं जिनमे कंप्यूटर की हार्ड डिस्क और मोबाइल फ़ोन है उससे साफ होगा कि ये लोग कब से ये काम कर रहे थे. 

दिल्ली पुलिस साइबर सेल का कहना है कि उन्हें इस बात की जानकारी मिली थी कि पीरागढ़ी से एक फेक कॉल सेंटर चलाया जा रहा है. जब पुलिस की टीम मौके पर पहुंची तो पुलिस ने देखा कि मौके पर फेक कॉल सेंटर का मालिक और 41 दूसरे लोग मौजूद थे. जिनमें 16 महिलाएं भी शामिल थीं. इनमें ज्यादातर वह लोग थे जो कॉल सेंटर से कॉल किया करते थे. विदेशी नागरिकों को यह लोग खुद को अलग अलग लॉ एनफोर्समेंट एजेंसी का सदस्य बताते और सामने वाले से कहते कि उनका पर्स या उनके कोई सामान क्राइम सीन पर मिले हैं.

इसके अलावा डराने के लिए यह भी कहा जाता कि इनकी जानकारी में आया है कि सामने वाले के बैंक अकाउंट से ड्रग कार्टेल के पैसे ट्रांसफर किए गए हैं.

अगर सामने वाला डर जाता और इनकी बातों में आ जाता तो फिर यह उसे कहते की बिटकॉइन या फिर गिफ्ट कार्ड के जरिए वह इनके वॉलेट में पैसे ट्रांसफर करें. एक बार जब पैसा ट्रांसफर हो जाता तो फिर कहीं जाकर यह उस आदमी का पीछा छोड़ते थे. पुलिस का कहना है कि अब तक तकरीबन 3500 लोगों को इन लोगों ने इसी तरीके से अपनी ठगी का शिकार बनाया है और 70 करोड़ के आसपास इन लोगों से ठगा है.

मौके से पुलिस ने कॉल सेंटर के मालिक के पास से चार लाख 50 हजार कैश भी बरामद किया है। पुलिस के मुताबिक यह पैसे वह अपने कर्मचारियों में बांटने वाला था. पुलिस का कहना है कि जो इलेक्ट्रॉनिक उपकरण मौके से मिले हैं जिनमें मोबाइल फोन कंप्यूटर के हार्ड डिस्क शामिल है उन सब की जांच की जाएगी और यह पता लगाया जाएगा कि इन लोगों ने सिर्फ जो अब तक की जानकारी है उतने ही लोगों को ठगा है या इनका नेटवर्क और कहीं बड़ा है और इसके अलावा कुछ और लोग भी इस पूरे गैंग में शामिल तो नहीं है इस बात की भी जांच की जा रही है.

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