जहां भारत में कोरोना वैक्सीन लगाने का कार्यक्रम आगामी 16 जनवरी से पूरे देश में युद्ध स्तर पर शुरू किया जाएगा, दक्षिण एशिया के कई देश ऐसे हैं जिन्हें अभी इस वैक्सीन के लिए थोड़ा और इंतज़ार करना पड़ेगा.
ख़ासतौर पर पकिस्तान की अगर बात की जाए तो वहां की सरकार का कहना है कि फरवरी के मध्य तक चीन की कंपनी सिनोफार्मा से पहली खेप पहुँच जाएगी.
पाकिस्तान मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष कैसर इक़बाल ने बीबीसी से कहा कि अभी तक सिनोफार्मा द्वारा बनायी गयी सिनोवैक की ट्रायल के तीनों चरण पूरे हो चुके हैं.
उनका कहना था कि पाकिस्तान वैक्सीन के लिए रूस से भी बातचीत कर रहा है जो अब निर्णायक दौर में है और जल्द ही रूस से वैक्सीन लेने की राह भी साफ़ हो जायेगी.
वो कहते हैं, "ट्रायल के तीनों चरण सफल रहे हैं जो दिसंबर की 31 तारीख़ तक चलते रहे. कुल मिलाकर 18 हज़ार वॉलंटियर्स पर इसको आज़माया गया और अब हम इसकी क्षमता को लेकर पूरी तरह आश्वस्त हैं. लेकिन पूरे देश में वैक्सीन को पहुंचाना और लोगों को देना बहुत बड़ी चुनौती है.
समाप्त
वहीं, पाकिस्तान के कार्यवाहक स्वास्थ्य मंत्री फ़ैसल सुल्तान के अनुसार इस साल फरवरी के मध्य तक जब चीन से वैक्सीन पाकिस्तान पहुंचेगी तो सबसे पहले चरण में जिन लोगों को ये टीके लगाए जायेंगे वो स्वास्थ्यकर्मी और 'फ्रंटलाइन वर्कर्स' के अलावा वरिष्ठ नागरिक होंगे.
फ़ैसल सुल्तान स्वास्थ्य और कोरोनावायरस को लेकर प्रधानमंत्री इमरान ख़ान के सलाहकार भी हैं. वो कहते हैं कि पहले खेप में पांच लाख लोगों के लिए दस लाख से ज़्यादा वैक्सीन के डोज़ मंगाए गए हैं. वैसे पाकिस्तान में कोरोनावायरस से संक्रमित लोगों की संख्या भी पांच लाख के आसपास ही है.
अन्य वैक्सीन
पाकिस्तान मेडिकल एसोसिएशन का कहना है कि रूस और चीन की वैक्सीन के अलावा पाकिस्तान बाईओएनटेक, फाइज़र ओर मॉडर्ना की वैक्सीन भी हासिल करने की कोशिश कर रहा है.
पाकिस्तान की लोक सेवा के पूर्व अधिकारी और 'पब्लिक पॉलिसी' के विशेषज्ञ हसन ख़्वार के अनुसार पाकिस्तान ने कोविड-19 की वैक्सीन के लिए 150 अरब डालर आवंटित किये हैं जिससे दस लाख से कुछ ज्यादा डोज़ ही खरीदे जा सकते हैं.
वो कहते हैं, "ये खेप अगर आ भी जाती है तो इससे पकिस्तान की आबादी का सिर्फ 0.2 प्रतिशत हिस्सा ही लाभान्वित हो सकेगा. इससे ये तो समझ आ रहा है कि पाकिस्तान को आबादी के बड़े हिस्से तक वैक्सीन पहुंचाने के लिए आवंटित की गयी रक़म से कहीं ज़्यादा चाहिए होगा."
विशेषज्ञों का मानना है कि पाकिस्तान के सामने 70 अरब की आबादी को कोरोना के टीके लगाने का लक्ष्य है. तब जाकर कहीं वो 'हर्ड इम्युनिटी' हासिल कर सकता है. यानी भारत के इस पड़ोसी को 140 अरब डोज़ की ज़रुरत है जिसके लिए काफी पैसों के आवंटन की ज़रुरत है.
चुनौतियाँ
लेकिन हसन ख़्वार के अनुसार पैसों से भी बड़ी चुनौती है वैक्सीन का उपलब्ध होना. उनके अनुसार वैक्सीन के निर्माताओं के पास इस साल तक के लिए सारे ऑर्डर पूरे हो चुके हैं.
वह मानते हैं कि पश्चिमी देशों की वैक्सीन कम्पनियों से इस साल कोई वैक्सीन मिलती हुई नज़र नहीं आती है. अलबत्ता उनका कहना है कि अगर समय रहते पकिस्तान ने रूस और चीन की वैक्सीन के आर्डर नहीं दिए, तो उनका मिलना भी मुश्किल हो जाएगा.
हसन ख़्वार मानते हैं कि पाकिस्तान को इस बारे में फ़ौरन निर्णय लेना होगा वरना वो वैक्सीन हासिल करने की दौड़ में पीछे रह जाएगा.
वह कहते हैं, "सभी विकासशील देशों के लिए वैक्सीन हासिल करना भी बराबरी का खेल नहीं है. जो वैक्सीन अब तक बुक हो गयी हैं उनमें बड़ी अर्थव्यवस्था वाले देशों की संख्या 72 प्रतिशत है. बाक़ी मध्यम आय वाले और पूरी तरह से पिछड़े हुए देश हैं. उनका कहना है कि सबसे ग़रीब देश तो अभी तक वैक्सीन बुक भी नहीं कर पाए हैं."
पाकिस्तान के केंद्रीय स्वास्थ्य सेवा मंत्रालय में संसदीय सचिव नौशीन हामिद के अनुसार पाकिस्तान की सरकार ने वैक्सीन हासिल करने के लिए कुछ निजी कंपनियों की मदद भी ली है.
उनका कहना है कि फ़िलहाल पाकिस्तान में पोलियो के टीकाकरण का काम ज़ोरों से चल रहा है, इसलिए इसका फ़ायदा कोरोना की वैक्सीन लगाने में भी उठाया जाएगा.
हालांकि ख़ैबर-पख़्तूनख़्वा के इलाक़े में पोलियो अभियान में शामिल एक स्वास्थ्य कर्मचारी की हत्या के बाद इस अभियान को झटका पहुंचा है लेकिन पाकिस्तान मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष कैसर सज्जाद कहते हैं कि टीके लगाने के ख़िलाफ़ हर देश में एक लॉबी रहती है. मगर इससे कुछ फ़र्क नहीं पड़ेगा.
बीबीसी से बात करते हुए उन्होंने कहा कि सिर्फ वैक्सीन को लेकर नहीं बल्कि कोरोनावायरस को लेकर भी अफवाहें फैलती रहीं हैं.
वो कहते हैं,"बहुत लोग कोरोना को भी मानने से इनकार करते रहे हैं. लेकिन वो कहते हैं कि कोरोनावायरस का टीकाकरण पोलियो के टीकाकरण से थोड़ा अलग होगा क्योंकि पोलियो के टीकाकरण के लिए स्वास्थ्यकर्मी घर घर पर दस्तक देते हैं."
"कोरोना वैक्सीन के लिए टीका केंद्र बनाए जायेंगे और ये पूरी तरह से लोगों की मर्ज़ी पर निर्भर करेगा कि कौन टीका लगवाना चाहता है कौन नहीं. इसमें कोई ज़बरदस्ती नहीं होगी. लक्ष्य होगा वरिष्ठ नागरिक या दूसरे गंभीर रोगों से ग्रसित लोगों को पहले टीका देना."
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