कोलकाता:
पश्चिम बंगाल में गुरुवार को भारतीय जनता पार्टी के दो कार्यालयों पर पार्टी के ही कार्यकर्ताओं के बीच झड़प हो गई. यह झड़प बीजेपी के पुराने कार्यकर्ताओं और तृणमूल कांग्रेस से पार्टी में आए कार्यकर्ताओं के बीच हुई है. एक झड़प आसनसोल में पार्टी ऑफिस के अंदर हुई, जहां मंत्री बाबुल सुप्रियो और राष्ट्रीय सचिव अरविंद मेनन भी मौजूद थे.
वहीं दूसरी झड़प बर्दवान में हुई, जहां झगड़ा सड़क पर आ गया और बीजेपी कार्यकर्ताओं के बीच आपस में ही पत्थरबाजी हुई. इस घटना में कार्यकर्ता पार्टी ऑफिस के बाहर ही आपस में भिड़ गए. यहां पर एक टेंपो और कई मोटरसाइकिलों को आग लगा दी गई, जिसके बाद पुलिस मौके पर पहुंची. पार्टी कार्यकर्ता पुलिस से भी उलझ पड़े. इस घटना में चार लोग घायल हुए हैं और सात को गिरफ्तार किया गया है.
क्यों हुई झड़प?
बर्दवान में झड़प तब शुरू हुई, जब पूर्वी बर्दवान के कंकसा, औसग्राम, मंगलकोट, कटवा और कई जगहों से बहुत से बीजेपी कार्यकर्ता आए और पार्टी ऑफिस के सामने आए और जिला अध्यक्ष संदीप नंदी के खिलाफ नारेबाजी कर उन्हें पद से हटाने की मांग करने लगे. नंदी के समर्थक, जो ऑफिस के भीतर थे, छत पर चढ़ गए और इन कार्यकर्ताओं पर पत्थर फेंकने लगे. नीचे से भी पत्थरबाजी हुई. इनमें से कुछ कार्यकर्ताओं ने बाहर सड़क पर खड़ी गाड़ियों में आग लगा दी, हालांकि, किस गुट ने लगाई, यह स्पष्ट नहीं है.
नंदी का विरोध करने वालों का कहना है कि उन्होंने पार्टी के लिए खून-पसीना एक किया है, लेकिन नंदी अब तृणमूल से आए हुए लोगों को बढ़ावा दे रहे हैं और उन्हें किनारे किया जा रहा है. बता दें कि अभी दो हफ्ता भी नहीं हुआ है, जब बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा यहां आए थे और खूब लंबा-चौड़ा रोड शो किया था. उन्होंने पिछले महीने ही बर्दवान में पार्टी कार्यालय का उद्घाटन किया था.
BJP और TMC ने किया बचाव
बीजेपी ने इस झड़प को गुटबाजी बताने से इनकार किया है. पार्टी नेता राजू बनर्जी ने कहा, 'आपने जेपी नड्डा की विशाल रैली देखी. तृणमूल डर गई है, इसलिए वो यह मुसीबत खड़ी कर रहे हैं. एक स्थानीय नेता ने यह सब साजिश रची थी, किराए पर गुंडे लेकर यह सबकुछ कराया. हारने से डर गए हैं तो ममता बनर्जी और पीके की टीम यह सबकुछ प्लान कर रही है. हम चाहते हैं कि प्रशासन इसकी जांच करें और जिम्मेदार लोगों को गिरफ्तार करे.' हालांकि, तृणमूल के मंत्री और बर्दवान से पार्टी नेता स्वप्न देबनाथ ने इन दावों को खारिज किया है.
आसनसोल में हुई झड़प पर बाबुल सुप्रियो ने स्वीकार किया कि पार्टी के कार्यकर्ताओं के बीच नोंकझोंक हुई है उन्होंने कहा, 'हर परिवार में दिक्कतें आती हैं, गुस्सा होता है. हमारे कार्यकर्ता बीजेपी के राष्ट्रीय सचिव अरविंद मेनन और मुझसे साथ में मिले थे. ऐसी बैठकें हमेशा नहीं होतीं. तो जब एक साथ 10-30 लोग बोलने लगे तो जाहिर है थोड़ा शोर था. लेकिन जब लोगों ने एक दूसरे को सुनना शुरू किया तो मामला शांत हो गया. लोगों को दूसरों को भी सुनने की आदत डालनी होगी.'
हालांकि, सूत्रों का कहना है कि यहां भी मुद्दा तृणमूल से आए हुए लोगों से बीजेपी कार्यकर्ताओं के झगड़े का मुद्दा ही था. बाराबानी और कुलटी मंडल के कार्यकर्ता चुनावी रणनीति पर चर्चा के लिए आए थे, लेकिन यहां पर जिले में युवा मोर्चा के नए अध्यक्ष अरिजीत रॉय के नाम पर बहस शुरू हो गई. कथित रूप से रॉय ने युवा मोर्चा समिति से बीजेपी के पुराने कार्यकर्ताओं को बाहर कर दिया था.
BJP को 'टीएमसीकरण' का डर
राज्य में विधानसभा चुनावों में कुल मिलाकर तीन महीने के लगभग का वक्त रह गया है, ऐसे में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के लिए पार्टी की अंदरूनी लड़ाई चिंता का विषय बन गई है. इससे न तो केवल पार्टी का अनुशासन बिगड़ रहा है, बल्कि इससे यह चिंता भी बढ़ी है कि बीजेपी का 'टीएमसीकरण' हो रहा है, जिससे वोटरों पर असर पड़ेगा.
एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि 'अगर बीजेपी, टीएमसी के लोगों से भर जाएगी और टीएमसी की टीम B जैसी दिखने लगेगी, तो ऐसे वोटर्स जो टीएमसी को खारिज करना चाहते थे, बीजेपी को वोट देने से पहले दो बार सोचेंगे.'
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