देश में दिहाड़ी (गिग) कामगारों की संख्या 2029-30 तक बढ़कर 2.35 करोड़ पहुंच सकती है। 2020-21 में यह संख्या केवल 77 लाख थी। नीति आयोग ने सोमवार को रिपोर्ट में ऐसे कामगारों व उनके परिवारों की भागीदारी के जरिये सामाजिक सुरक्षा बढ़ाने की भी सिफारिश की।
रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में कुल श्रमिकों के मुकाबले दिहाड़ी कामगारों की संख्या 2020-21 में सिर्फ 1.5% थी। यह 2029-30 तक बढ़कर 4.1% पहुंच सकती है। 2019-20 में 68 लाख दिहाड़ी कामगार थे। ये गैर कृषि श्रमबल की तुलना में 2.4% या देश के कामगारों की संख्या के अनुपात में केवल 1.3% थे। दिहाड़ी कामगार उन्हें कहा जाता है, जिन्हें काम के आधार पर पैसा मिलता है। एजेंसी
खुदरा कारोबार में सर्वाधिक कामगार
रिपोर्ट के मुताबिक, 26.6 लाख कामगार खुदरा कारोबार और सेल्स में हैं, जबकि 13 लाख परिवहन क्षेत्र में हैं। 6.2 लाख विनिर्माण और 6.3 लाख वित्त एवं बीमा क्षेत्र में काम कर रहे हैं। तेजी से बढ़ते दिहाड़ी कामगार वैश्विक स्तर पर नई आर्थिक क्रांति की शुरुआत कर रहे हैं।
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