अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का कार्य तेजी से चल रहा है। राम मंदिर में ‘रामनाम’ पत्थरों का भी प्रयोग किया जाएगा। इसके साथ ही राम जन्मभूमि पर विभीषण के एक मात्र घर पर यह निशान भी देखने को मिलेगा।
रामायुध अंकित गृह सोभा बरनि न जाइ, नव तुलसिका बृंद तहं देखि हरष कपिराई.. श्रीराम चरितमानस की यह पंक्तियां वैष्णव उपासकों की पहचान हैं। दक्षिण से लेकर उत्तर भारत के मंदिरों में प्राय: यह पहचान अंकित मिलेगी। माता सीता खोज में लंका पहुंचे हनुमान जी को विभीषण के एक मात्र घर पर यह निशान मिले थे। अब रामजन्मभूमि में विराजमान रामलला के निर्माणाधीन मंदिर में भी यह पहचान दिखेगी। इसके साथ राम मंदिर में ‘रामनाम’ पत्थरों का भी प्रयोग किया जाएगा। इस आशय का संकेत हाल ही में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आगमन पर मंदिर निर्माण की इकाई एलएण्डटी की ओर से दिया गया।
इसी योजना से प्रसन्न मुख्यमंत्री योगी ने भी गर्भगृह के स्थान पर लगाए जाने वाले ग्रेनाइट के ब्लाक पर ‘रामनाम’ का स्टाम्प लगाकर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। इस बारे में पूछने पर रामजन्मभूमि ट्रस्ट के न्यासी डॉ. अनिल मिश्र ने कोई तार्किक उत्तर नहीं दिया कि मुख्यमंत्री योगी की ओर से गर्भगृह के पत्थर पर रामनाम अंकित स्टाम्प लगाने का उद्देश्य क्या है। उन्होंने इस सवाल को भी टाल दिया कि स्टाम्प बनवाने की भी जरूरत क्यों पड़ी। एलएण्डटी के अधिकारी भी इस बारे में कोई बात करने से कतरा रहे हैं। हालांकि ट्रस्ट के सूत्र बताते हैं कि राम नाम अंकित इन पत्थरों का उपयोग मंदिर निर्माण में किया जाएगा।
सुरक्षा कर्मियों का ड्रेस कोड बदला गया
रामजन्मभूमि में विराजमान रामलला के दर्शनार्थी भक्तों में किसी प्रकार अपराध बोध का भाव न जगे, इसको लेकर रामजन्मभूमि ट्रस्ट के सुझाव को उत्तर प्रदेश शासन ने स्वीकार कर लिया है। अब दर्शनार्थियों की जांच करने वाले महिला-पुरुष आरक्षियों को पुलिस वर्दी के बजाय सादे वस्त्रत्त् में रहने का निर्देश दिया गया है। उनके लिए सफेद शर्ट व काली पैंट को ड्रेस कोड बना दिया गया है। इस ड्रेस कोड के साथ सभी आरक्षी अपना-अपना परिचय पत्र साथ रखेंगे। मालूम हो कि रामलला के दर्शनार्थियों की जांच दर्शन मार्ग पर तीन स्थानों पर जिन्हें क्रासिंग वन, टू व थ्री पर होती है।
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