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नेपाल में क्यों बढ़ रही है भारत विरोधी भावना? चीन में बढ़ी दिलचस्पी

ईश्वरी बराल नेपाल की राजधानी काठमांडू में ऑनलाइन पत्रकार हैं. पिछले कुछ सालों से ईश्वरी भारत से बहुत नाराज़ हैं. वे बताती हैं कि इसी नाराज़गी के कारण वो पाकिस्तानी क्रिकेट टीम का समर्थन करती हैं. ईश्वरी नेपाल में पहाड़ी इलाक़े लामजुंग की हैं.

राजकिशोर यादव मधेसी इलाक़े के सिराहा ज़िले के हैं. वो बाबूराम भट्टराई की जनता समाजवादी पार्टी के नेता हैं. राजकिशोर यादव कहते हैं कि ईश्वरी रिएक्शन में ऐसा कर रही हैं.

राजकिशोर कहते हैं, ''नेपाल में पहाड़ियों के बीच एक नैरेटिव गढ़ने की कोशिश की गई है कि भारत विस्तारवादी शक्ति है और उससे सतर्क रहने की ज़रूरत है. ऐसा कम्युनिस्ट पार्टियों ने सत्ता के लालच में किया है. मुझे नहीं लगता है कि क्रिकेट मैच पाकिस्तान और भारत के बीच हो और मधेस में कोई पाकिस्तान का समर्थन करेगा. ये भी सच नहीं है कि पहाड़ में केवल भारत विरोधी भावना है. गोरखा तो पहाड़ी ही हैं और भारतीय सेना में बहादुरी के साथ सरहद की रक्षा में लगे हुए हैं. लेकिन इतना ज़रूर है कि अभी भारत को लेकर पहाड़ और मधेस में सोच एक जैसी नहीं है.''

नेपाली गोरखा ब्रिटिश इंडिया से ही भारतीय सेना में हैं. गोरखाओं ने गोरखा-सिख, एंग्लो-सिख और अफ़ग़ान युद्ध में अहम भूमिका निभाई थी.

इसके अलावा 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में भी गोरखाओं का योगदान महत्वपूर्ण रहा. भारतीय सेना में गोरखाओं की एंट्री 1816 में एंग्लो-नेपाली वॉर के बाद हुई सुगौली संधि से जुड़ी है. तब भारत अंग्रेज़ों का ग़ुलाम था और गोरखाओं ने ब्रिटिश हुक़ूमत को कड़ी चुनौती दी थी.

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