केंद्र की मोदी सरकार ने सीबीआई के पूर्व निदेशक आलोक वर्मा पर कड़ी कार्रवाई करने का मन बना लिया है। कार्मिक विभाग और गृह मंत्रालय दोनों ने सीबीआई के पूर्व निदेशक आलोक वर्मा पर कार्रवाई की सिफारिश की है। आलोक वर्मा के खिलाफ यह कार्रवाई भ्रष्टाचार के मामले में की गई है। उनपर आरोप है कि उन्होंने सीबीआई निदेशक के पद पर रहते हुए नियमों का उल्लंघन किया था।
टाइम्स नाऊ की खबर के मुताबिक, केंद्रीय गृह मंत्रालय और कार्मिक विभाग ने यूनियन पब्लिक सर्विस कमिशन यानी यूपीएसएसी से कहा है कि वह पूर्व सीबीआई निदेशक वर्मा के खिलाफ पद के दुरुपयोग करने को लेकर कार्रवाई करे।
आलोक वर्मा साल 2018 में उस समय विवादों में आ गए थे जब सीबीआई के तत्कालीन स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना ने उनपर रिश्वतखोरी का आरोप लगाया था। सीबीआई ने एक केस को रफा-दफा करने के लिए राकेश अस्थाना के खिलाफ 2 करोड़ रुपये रिश्वत लेने का केस दर्ज किया था लेकिन इसके बाद अस्थाना ने कई मामलों में आलोक वर्मा के खिलाफ भी रिश्वत लेने के आरोप लगाए थे।
खबर के मुताबिक, सरकार ने अब वर्मा के खिलाफ लगे भ्रष्टाचार के आरोपों का संज्ञान लिया है और दावा किया है कि उन्होंने सीबीआई डायरेक्टर रहते हुए अपने पद का दुरुपयोग किया। बता दें कि आलोक वर्मा का नाम उन संभावित लोगों की सूची में भी शामिल है, जिनकी पेगासस स्पाइवेयर के जरिए जासूसी की गई। इतना ही नहीं सरकार ने यह भी पाया है कि वर्मा ने अपने कार्यकाल में सरकारी नियमों का भी उल्लंघन किया था।
सरकार ने वर्मा पर पेनेल्टी लगाए जाने की भी सिफारिश की है। अगर सरकार की ओर से की गई ये सिफारिशें मान ली जाती हैं, तो इससे आलोक वर्मा की पेंशन और रिटायरमेंट के बाद मिलने वाली अन्य सुविधाओं पर असर पड़ सकता है।
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