कोरोना से पस्त इकोनॉमी को एक और बूस्टर देने के लिए RBI गवर्नर शक्तिकांत दास शुक्रवार को एक बार फिर मीडिया के सामने आए. कोरोना काल में नौकरी जाने और सैलरी कटौती के डर के बीच आरबीआई ने एक बार फिर लोन बांटने पर ज्यादा जोर दिया है. आइए जानते हैं आरबीआई गवर्नर के बड़े ऐलान और इसके असर के बारे में..
सस्ता होगा लोन और ईएमआई
आरबीआई ने रेपो रेट में 0.40 फीसदी की कटौती का फैसला लिया है. इस कटौती के बाद आरबीआई की रेपो रेट 4.40 फीसदी से घटकर 4 फीसदी हो गई है. दरअसल, रेपो रेट कम होने के बाद बैंकों पर ब्याज दर कम करने का दबाव बढ़ेगा. इस हालात में आप सस्ती दर पर टर्म लोन ले सकते हैं तो वहीं अगर ईएमआई दे रहे हैं तो उसमें भी बचत होगी. बता दें कि लॉकडाउन में यह दूसरी बार है जब आरबीआई ने रेपो रेट पर कैंची चलाई है.
इससे पहले 27 मार्च को आरबीआई गवर्नर ने 0.75 फीसदी कटौती का ऐलान किया था. मतलब ये कि लॉकडाउन में अब तक आरबीआई ने 1 फीसदी से ज्यादा रेपो रेट कटौती कर दी है. जाहिर सी बात है कि इस कटौती से लोन सस्ता होगा.लेकिन नौकरी जाने और सैलरी कटौती के बीच इस छूट का कितना फायदा उठाया जाएगा, ये देखना अहम है.
EMI पर तीन महीने की अतिरिक्त छूट
लोन की किस्त देने पर 3 महीने की अतिरिक्त छूट दी गई है. दरअसल, आरबीआई ने लॉकडाउन के शुरुआती दिनों में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बैंकों से 3 महीने के लिए लोन और ईएमआई पर छूट देने को कहा था. इसके बाद अधिकतर बैंकों ने इसे 3 महीने के लिए लागू कर दिया था.
अब आरबीआई के नए ऐलान के बाद ग्राहकों को कुल 6 महीने की छूट मिल जाएगी. मतलब ये कि आप कुल 6 महीने तक लोन की ईएमआई नहीं देना चाहते हैं तो बैंकों की ओर से कोई दबाव नहीं पड़ेगा. वहीं, आपका क्रेडिट स्कोर भी दुरुस्त रहेगा. यानी बैंक की नजर में आप डिफॉल्टर नहीं होंगे. हालांकि, इसके लिए आपको अतिरिक्त ब्याज देना होगा.
दूसरी छमाही में घटेगी महंगाई
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि कोविड-19 महामारी के प्रकोप के कारण मुद्रास्फीति का दृष्टिकोण बेहद अनिश्चित है और दालों की बढ़ी कीमतें चिंता का विषय है. साल की दूसरी छमाही में महंगाई के मोर्चे पर राहत मिल सकती है.
नेगेटिव रहेगी GDP
RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने जीडीपी को लेकर चिंता जताई और कहा कि वित्त वर्ष 2021 में गिरावट आएगी और यह नेगेटिव रह सकता है. आरबीआई की ये आशंका अगर सच में बदलती है तो भारत के लिए चुनौती बढ़ जाएगी.
राजस्व बहुत अधिक प्रभावित
शक्तिकांत दास ने कहा कि महामारी के बीच आर्थिक गतिविधियों के प्रभावित होने से सरकार का राजस्व बहुत अधिक प्रभावित हुआ है. हालांकि, 2020-21 में भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में 9.2 बिलियन डॉलर की बढ़ोतरी दर्ज की गई. भारत का विदेशी मुद्रा भंडार अभी 487 बिलियन डॉलर का है. यह राजकोष के लिहाज से अच्छी खबर है.
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