भारतीय क्षेत्र में चीन की सेना के अतिक्रमण की कोशिशों के खिलाफ अमेरिका भी भारत के साथ आ गया है. व्हाइट हाउस ने गुरुवार को अपनी रिपोर्ट में कहा कि चीन भारत समेत तमाम पड़ोसी देशों में उकसावे भरी सैन्य गतिविधियां कर रहा है. एक दिन पहले ही अमेरिकी राजनयिक ने भी भारतीय सीमा में चीन की हरकतों के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए उसे पूरी दुनिया के लिए खतरा करार दिया था.
व्हाइट हाउस ने अपनी रिपोर्ट में कहा, बीजिंग अपने सिद्धातों का उल्लंघन कर रहा है और यलो सी, ईस्ट व साउथ चाइना सी, ताइवान स्ट्रेट और भारत-चीन सीमा में उकसाने वाली गतिविधियां कर पड़ोसी देशों के प्रति अपनी ही प्रतिबद्धताओं का मजाक बना रहा है.
'यूनाइटेड स्टेट्स स्ट्रैटेजिक अप्रोच टू द पीपल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना' शीर्षक की ये रिपोर्ट अमेरिकी कांग्रेस को सौंपी गई है. इस रिपोर्ट में चीन के संबंध में अमेरिकी सरकार की रणनीति तय की गई है.
रिपोर्ट में कहा गया, चीन की ताकत बढ़ी है और इसी के साथ उसकी ओर से पूरी दुनिया में अपने रणनीतिक उद्देश्यों और हितों के लिए दिख रहे किसी भी खतरे को खत्म करने की कोशिश में बलप्रयोग भी बढ़ गया है. बीजिंग की हरकतें चीनी नेताओं के दावों को झूठा साबित करती है कि वे सैन्य ताकत के प्रयोग का विरोध करते हैं, दूसरे देशों के आंतरिक मामले में दखल नहीं देते और शांतिपूर्वक बातचीत के जरिए से सभी विवाद सुलझाने के लिए प्रतिबद्ध हैं.
इससे पहले, ट्रंप प्रशासन की शीर्ष राजनयिक ने भी भारत के चीनी अतिक्रमण के खिलाफ प्रतिरोध करने का समर्थन किया था. विदेश मंत्रालय में दक्षिण और पश्चिम एशिया के मामलों की प्रमुख एलिस वेल्स ने कहा था, "अगर आप साउथ चाइना सी को देखें तो चीन की एक ही रणनीति है. वह लगातार अतिक्रमण कर रहा है और यथास्थिति को बदलने की कोशिश कर रहा है. चाहे दक्षिण चीन सागर हो जहां पर हमने भारत के साथ मिलकर अभ्यास किया है या फिर भारत का अपना क्षेत्र. चीन को रोका जाना जरूरी है."
वेल्स ने कहा था, जिसे भी ये भ्रम है कि चीन के अतिक्रमण का खतरा असली नहीं है, उन्हें भारत से बात करनी चाहिए जो नियमित तौर पर चीनी सेना की उकसाने वाली हरकतों का सामना करता है.
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