लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर भारतीय और चीनी सेना के बीच महीनों से तनाव बना हुआ है. इस टेंशन को कम करने के लिए आज भारत और चीन के वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों के बीच बैठक होगी. भारत की तरफ से इस बैठक का नेतृत्व लेफ्टिनेंट जनरल स्तर के अधिकारी करेंगे. इस बैठक पर दोनों देश ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया की नजर है. लेकिन इससे पहले चीनी सरकार का मुखपत्र माने जाने वाले अखबार ग्लोबल टाइम्स ने गीदड़भभकी दी है.
ग्लोबल टाइम्स के संपादकीय में भारत और अमेरिका की मजबूत दोस्ती को लेकर चीनी सरकार की बेचैनी सौफ तौर पर दिखाई दी. संपादकीय में लिखा गया है कि अमेरिका चीन को रणनीतिक रूप से दबाने के लिए भारत का समर्थन करने की रणनीति लंबे समय से अपना रहा है.
ग्लोबल टाइम्स में आगे लिखा गया है कि भारत ने धीरे-धीरे चीन के प्रति रणनीतिक श्रेष्ठता हासिल कर लेने का भ्रम पाल लिया है. भारत के कुछ लोगों को लगता है कि चीन सीमा मुद्दे पर रियायत दे सकता है. भारत को लगता है कि सीमा पर बढ़त बना लेने से वो अपने ज्यादा हित साध सकता है.
भारत और अमेरिका की गहरी दोस्ती से बौखलाए चीनी सरकार के इस अखबार ने लिखा है कि भारत को अमेरिका की बातों में नहीं आना चाहिए. वॉशिंगटन दो देशों के बीच विवाद को अपनी तरफ खींचने के लिए उत्सुक है. लेकिन यह देशों के भू-राजनीतिक हितों के बजाय चीन पर अमेरिका के 'रणनीतिक दबाव' के लिए किया जा रहा है.
भारत-अमेरिका के अच्छे रिश्तों से चिंतित चीनी अखबार ने लिखा है कि वॉशिंगटन चीन-भारत विवाद का फायदा उठाने के लिए मौके का इंतजार कर रहा है इसलिए बीजिंग के खिलाफ नई दिल्ली के टकराव को प्रोत्साहित करने और नए सीमा विवादों को बढ़ावा देने के लिए भारत का साथ दे रहा है.
अखबार ने गीदड़भभकी भरे लहजे में लिखा है कि चीन भारत का नुकसान नहीं करना चाहता. पिछले दशकों में अच्छे-पड़ोसी संबंध चीन की मूल राष्ट्रीय नीति रही है, और चीन सीमा विवाद का शांतिपूर्ण समाधान का दृढ़ता से पालन करता है. हमारे पास भारत को अपना दुश्मन बनाने का कोई कारण नहीं है.
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