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रिश्तों में तनाव और स्वदेशी का असर! भारत-चीन व्यापार में सात साल की सबसे बड़ी गिरावट

  • भारत-चीन रिश्तों में बढ़ते तनाव का असर व्यापार पर
  • पिछले वित्त वर्ष में दोनों देशों का व्यापार काफी घट गया

भारत-चीन के बीच बढ़ते तनाव और बदलते आर्थिक रिश्तों का असर इनके द्विपक्षीय व्यापार पर भी हुआ है. वित्त वर्ष 2019-20 में भारत का मुख्यभूमि चीन और हांगकांग के साथ व्यापार 7 फीसदी गिरकर 109.76 डॉलर रह गया है. यह पिछले सात साल की सबसे बड़ी गिरावट है.

एक साल में बदला ट्रेंड

इसके पहले वित्त वर्ष 2012-13 में भारत-चीन के व्यापार में 10.5 फीसदी की बड़ी गिरावट देखी गई थी. गौरतलब है कि वित्त वर्ष 2018-19 में भारत-चीन के व्यापार में 3.2 फीसदी की बढ़त देखी गई थी यानी कि एक साल के भीतर ही यह ट्रेंड बिल्कुल पलट गया. यही नहीं वित्त वर्ष 2017-18 में तो भारत-चीन के बीच व्यापार में 22 फीसदी का जबरदस्त उछाल देखा गया था. इससे यह संकेत मिलता है कि पिछले एक वर्ष में देश में जिस तरह से चीन विरोधी भावना बढ़ी है, उसका असर व्यापार पर भी हुआ है. चीन की मुख्यभूमि के साथ काफी व्यापार हांगकांग के माध्यम से भी होता है.

इन वस्तुओं का घटा आयात

टीवी, रेफ्रिजरेटर, एसी, वॉशिंग मशीन और मोबाइल फोन जैसी इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं के दूसरे विकल्प मिलने की वजह से वित्त वर्ष 2019-20 में चीन से होने वाला इनका आयात घटकर महज 1.5 अरब डॉलर रह गया. इसी प्रकार ईंधन, मिनरल ऑयल, फार्मा और केमिकल्स के आयात में भी गिरावट आई है.

मेनलैंड यानी मुख्यभूमि चीन के साथ वित्त वर्ष 2019-20 में द्विपक्षीय व्यापार 6 फीसदी गिरकर महज 81.86 फीसदी रह गया. पहली बार मुख्यभूमि चीन के साथ व्यापार में लगातार 2 साल गिरावट आई है. इसके पिछले साल भी इसमें 2 फीसदी की गिरावट आई थी. इसके पहले वित्त वर्ष 2012-13 में भारत-चीन के बीच व्यापार में 10.5 फीसदी की भारी गिरावट आई थी.

व्यापार घाटा भी कम हो रहा

इसी तरह हांगकांग के साथ भी भारत के व्यापार में वर्ष 2019-20 के व्यापार में 10.17 फीसदी की भारी गिरावट आई है. यह भी पिछले सात साल की सबसे बड़ी गिरावट है. इसके पहले वित्त वर्ष 2012-13 में हांगकांग के साथ भारत के व्यापार में 14 फीसदी की गिरावट आई थी.

इसकी वजह से दोनों देशों के बीच व्यापार घाटा भी कम होता जा रहा है. पिछले पांच साल में पहली बार यह 50 अरब डॉलर के आंकड़े से नीचे जाकर 48.66 अरब डॉलर का रहा है. साल 2017-18 में तो चीन के साथ हमारा व्यापार घाटा 63 अरब डॉलर तक पहुंच गया था.

अमेरिका के साथ व्यापार बढ़ना शुभ संकेत

चीन 2014 से 2018 तक भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार रहा है लेकिन 2018-19 में यह दूसरे स्थान पर पहुंच गया, जब अमेरिका ने इसे पीछे छोड़ दिया. अच्छी बात यह है कि वित्त वर्ष 2019-20 में अमेरिका के साथ हमारा 17.4 अरब डॉलर का ट्रेड सरप्लस रहा है यानी हम वहां से आयात से ज्यादा निर्यात करते हैं.

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