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लाइफस्टाइल

क्या है डिप्रेशन और इसके लक्षण, क्यों आते हैं आत्महत्या के विचार?

बॉलिवुड अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत ने हर किसी को झकझोर कर रख दिया है. हर किसी के मन में एक ही सवाल है कि महज 34 साल के सुशांत आखिर किस दर्द से गुजर रहे थे कि जिसकी वजह से उन्होंने आत्महत्या जैसा कदम उठा लिया. पुलिस के अनुसार सुशांत डिप्रेशन में थे और पिछले छह महीनों से अपना इलाज करा रहे थे. आखिर क्या होता है डिप्रेशन जिसकी वजह से व्यक्ति के मन में सुसाइड करने तक का ख्याल आने लगता है और इसकी पहचान कैसे कर सकते हैं.

क्या है डिप्रेशन?

डिप्रेशन एक मेंटल डिसॉर्डर यानी एक गंभीर मानसिक रोग है. इसमें व्यक्ति उदास रहता है और उसके मन में हर समय नकारात्मक ख्याल आते रहते हैं. कई बार व्यक्ति अपने आप को परिस्थितियों के सामने इतना असहाय महसूस करता है कि अपनी जिंदगी खत्म करने के बारे में सोचने लगता है. डिप्रेशन से बीमार व्यक्ति को सामान्य जिंदगी जीने में कठिनाई होती है.

डिप्रेशन सिर्फ मानसिक ही नहीं बल्कि शारीरिक रूप से भी नुकसान पहुंचा सकता है. पुरुषों, महिलाओं और बच्चों में इसके अलग-अलग लक्षण दिख सकते हैं लेकिन डिप्रेशन का हर मरीज अपने आप को किसी स्थिति में फंसा हुआ और अकेला महसूस करता है. जनवरी में आई WHO की एक रिपोर्ट के मुताबिक पूरी दुनिया में तकरीबन 26 करोड़ लोग डिप्रेशन की समस्या से जूझ रहे हैं.

डिप्रेशन का कारण

 

डिप्रेशन में जाने की कई वजहें हो सकती हैं. परिवार में पहले से अगर कोई डिप्रेशन में रहा हो, बचपन में हुआ कोई हादसा, मस्तिष्क की संरचना, मेडिकल कंडीशन, ड्रग्स की आदत, किसी करीबी की मृत्यु, रिलेशनशिप में दिक्कतें, मन-मुताबिक चीजें ना होना, नौकरी में समस्या, कर्ज का भार, किसी करीबी दोस्त या रिश्तेदार की मौत या उनका अचानक दूर हो जाने सी घटनाएं इंसान को डिप्रेशन में ले जाती हैं.

डिप्रेशन के क्या लक्षण हैं?

डिप्रेशन की वजह से व्यक्तित्व में कई तरह के बदलाव आने लगते हैं. हर समय बेचैनी और असहाय महसूस करना, गुस्सा, चिड़चिड़ापन, मूड डिसऑर्डर, ठीक से नींद ना आना, मन में नकारात्मक विचार आना, उदास रहना, किसी भी काम में मन ना लगना, जरूरत से ज्यादा थकावट, यौन इच्छाओं में कमी और पूरे समय सिर दर्द डिप्रेशन के आम लक्षण हैं.

जरूरत से ज्यादा तनाव में होने पर डिप्रेशन के व्यक्ति में आत्महत्या जैसे विचार आने लगते हैं. कुछ मामलों में ये विचार आते-जाते रहते हैं लेकिन कुछ मामलों में ये विचार व्यक्ति के मन पर इतने हावी हो जाते हैं कि वो अपनी जान ले लेते हैं. WHO की रिपोर्ट के मुताबिक, डिप्रेशन के चलते हर साल करीब 8,00,000 लोग अपनी जान गंवाते हैं.

क्या है इलाज?

ज्यादातर लोग किसी भी मानसिक समस्या को बीमारी नहीं मानते हैं और डॉक्टर से संपर्क करने से बचते हैं. यही वजह है कि डिप्रेशन की समस्या बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक में तेजी से फैल रही है. जब मन में लगातार नकारात्मक और खुद को चोट पहुंचाने जैसे ख्याल आ रहे हों तो डॉक्टर से तुरंत संपर्क करना चाहिए. इसके अलावा अपने करीबी दोस्त या परिवार के सदस्यों से अपनी दिक्कतों के बारे में बात करनी चाहिए.

डिप्रेशन के शिकार व्यक्ति को अकेले नहीं रहना चाहिए. इस समय लॉकडाउन में सामान्य व्यक्ति भी अपना मानसिक संतुलन कभी-कभी खो रहा है. ऐसे में डिप्रेशन के शिकार व्यक्ति के लिए ये समय किसी चुनौती से कम नहीं. अपने दोस्तों और परिवार के लगातार संपर्क में रहें, अपनी समस्याओं पर चर्चा करें और खुलकर उनसे मदद मांगें.

अकेलेपन से बचने के लिए, किताबें पढ़ें, योगा करें, अच्छी नींद लें, शराब और ड्रग्स के सेवन से बचें. अगर आप किसी ऐसे मानसिक समस्या से जूझ रहे हैं जिसके बारे में आप किसी से बात नहीं कर सकते तो, टॉक थेरेपी का सहारा लें और किसी  मनोचिकित्सक से संपर्क करें.

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