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लाइफस्टाइल

बेरोजगारी घटी, निवेश बढ़ा, जानें एक साल में कैसी रही जम्मू-कश्मीर की इकोनॉमी?

  • जम्मू-कश्मीर में धारा 370 हटाने के एक साल हो गए हैं
  • इस साल में राज्य की इकोनॉमी में कुछ सुधार दिखा है

जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 को पिछले साल 5 अगस्त को निष्प्रभावी बना दिया गया था. इसके बाद यह इलाका महीनों तक देश से कटा रहा क्योंकि यहां लॉकडाउन, कर्फ्यू जैसे कई तरह के अंकुश लगा दिए गए थे. इसके बावजूद इस एक साल में वहां की इकोनॉमी में सुधार के कई संकेत दिख रहे हैं.

बेरोजगारी दर में गिरावट

जम्मू-कश्मीर में बेरोजगारी दर पिछले चार साल से राष्ट्रीय औसत से ज्यादा ही थी. सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी के मुताबिक पिछले साल जुलाई में 16.3 फीसदी की बेरोजगारी दर के साथ यह देश के चार सबसे ज्यादा बेरोजगारी वाले राज्यों में से था. इसके अगले महीने ही अनुच्छेद 370 और धारा 35-A को निष्प्रभावी बनाया गया और राज्य में कर्फ्यू लगा दिया गया. उस महीने यानी अगस्त 2019 में बेरोजगारी दर बढ़कर 22.4 फीसदी तक पहुंच गई.

लेकिन इसके बाद इसमें गिरावट आने लगी और मार्च 2020 तक यह 15.5 फीसदी पर आ गई. मई में आश्चर्यजनक रूप से यह 5.2 फीसदी पर आ गई, जबकि कोरोना संकट में लॉकडाउन की वजह से राष्ट्रीय औसत काफी ज्यादा था. हालांकि जून में बेरोजगारी फिर 17.9 फीसदी तक पहुंची और जुलाई में यह 11.2 फीसदी है. यानी पिछले साल जुलाई से ही तुलना करें तो भी वहां बेरोजगारी दर में गिरावट आई है.

संचार व्यवस्था ठप

अनुच्छेद 370 हटने के साथ ही राज्य में कई महीनों तक संचार व्यवस्था को पूरी तरह से ठप रखा गया. फोन और इंटरनेट के इस्तेमाल पर रोक लगा दी गई थी. हालांकि अक्टूबर के बाद अंकुश में कमी होने लगी. नवंबर में राज्य में मोबाइल सब्सक्राइबर्स की संख्या में 13 फीसदी की गिरावट आई थी, लेकिन इसके बाद दिसंबर में 5 फीसदी, जनवरी में 11.7 फीसदी और फरवरी में 2.1 फीसदी की बढ़त देखी गई.

नए निवेश में बढ़त

जम्मू-कश्मीर का वैसे भी देश में आने वाले नए निवेश में हिस्सा बहुत कम रहता है. पिछले साल यानी 2019-20 की जून तिमाही के कुल निवेश में इस राज्य का हिस्सा महज 0.5 फीसदी था, लेकिन इसकी अगली दो तिमाहियों में यह और गिरते हुए क्रमश: 0.2 फीसदी और 0.01 फीसदी हो गया. अंतिम यानी मार्च में खत्म तिमाही में पूरे देश में लॉकडाउन की वजह से नया निवेश 16 साल के निचले स्तर पर पहुंच गया था.

इस दौरान जम्मू-कश्मीर में सिर्फ 25 करोड़ रुपये का निवेश आया था, लेकिन इसके बाद यानी अप्रैल से जून की तिमाही में राज्य में 3,142 करोड़ रुपये के नए निवेश प्रस्ताव आए हैं. इसके पहले सितंबर की तिमाही में 680 करोड़ रुपये और जून 2019 की तिमाही में 619 करोड़ रुपये का निवेश आया था.

 

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