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हेल्थ

कोरोना से मौत की संख्या पर सवाल, दिल्ली सरकार बोली- अस्पतालों के आंकड़े फाइनल नहीं

  • LNJP अस्पताल में मौत के आंकड़ों की पुष्टि नहीं
  • अस्पतालों का आंकड़ा फाइनल नहीं माना जाता

दिल्ली में कोरोना वायरस से मरने वालों की संख्या छिपाए जाने का मामला नए मोड़ पर आ गया है. दिल्ली सरकार द्वारा जारी हेल्थ बुलेटिन के मुताबिक शुक्रवार 8 मई की रात तक कुल 68 लोगों की मौत कोरोना की वजह से हुई है. लेकिन दिल्ली में केंद्र सरकार द्वारा संचालित राम मनोहर लोहिया अस्पताल, लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज, दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) और झज्जर के एम्स अस्पताल के मुताबिक कोरोना की वजह से अब तक इन तीनों अस्पतालों में कुल 69 लोगों की मौत हो चुकी है.

हैरान करने वाली बात यह है कि केंद्र सरकार के इन तीनों बड़े अस्पतालों में यह आंकड़ा दिल्ली सरकार के आधिकारिक आंकड़ों से बेहद अधिक है. दिल्ली सरकार द्वारा रोजाना जारी किए जाने वाले बुलेटिन के मुताबिक इन 3 अस्पतालों में 8 मई की रात 12 बजे तक केवल 28 लोगों की ही मौत हुई है.

दिल्ली सरकार के हेल्थ बुलेटिन में राम मनोहर लोहिया अस्पताल से अब तक 26 मौतें दिखाई गई हैं जबकि राम मनोहर लोहिया अस्पताल की चिकित्सा अधीक्षक मीनाक्षी भारद्वाज ने इंडिया टुडे को बताया कि उनके अस्पताल में कोरोना से मरने वालों की संख्या 52 है और इन आंकड़ों की जानकारी दिल्ली सरकार को भी दी गई है.वहीं, AIIMS के चिकित्सा अधीक्षक ने इंडिया टुडे को बताया कि पिछले 2 महीने में एम्स के दिल्ली और झज्जर COVID 19 सेंटर में 14 लोगों की मौत हो चुकी है. जबकि दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य बुलेटिन में एम्स में कोरोना से मौत का आंकड़ा सिर्फ 2 है.

लेडी हार्डिंग अस्पताल से दिल्ली सरकार के हेल्थ बुलेटिन में एक भी मौत दर्ज नहीं है जबकि अस्पताल से इंडिया टुडे को मिली आधिकारिक जानकारी के मुताबिक लेडी हार्डिंग अस्पताल में अबतक 3 मरीजों की मौत हो चुकी है.

इसी तरह दिल्ली सरकार के LNJP अस्पताल में प्रशासनिक अधिकारियों ने मौत के आंकड़ों की पुष्टि नहीं की है. सरकार के हेल्थ बुलेटिन के अनुसार LNJP अस्पताल में मौत का आंकड़ा सिर्फ 5 है. हालांकि सूत्रों की माने तो LNJP अस्पताल में कोरोना वायरस से होने वाली मौत का आंकड़ा सरकारी आंकड़े से अधिक हो सकता है.

मौत के आंकड़ों पर उठ रहे सवाल पर दिल्ली सरकार का कहना है कि उन्हें संक्रामक बीमारी से होने वाली मौतों के मामलों में सुप्रीम कोर्ट की रूलिंग फॉलो करनी होती है. इस रूलिंग के तहत डॉक्टर्स का एक पैनल मौत के मामलों की जांच करता है, और जिन मामलों की पुष्टि पैनल द्वारा की जाती है उन्हें ही राज्य सरकार द्वारा हेल्थ बुलेटिन में शामिल किया जाता है. अस्पतालों का डेटा फाइनल नहीं माना जाता है.

डेंगू की तरह कोरोना वायरस को लेकर भी डॉक्टर्स का एक पैनल तैयार किया गया है. इस पैनल को सभी अस्पताल मौत के आंकड़ों की जानकारी भेजते हैं. पैनल द्वारा जांच के बाद ही डेटा पब्लिश किया जाता है. इसलिए बंगाल की तरह दिल्ली के डेटा पर ICMR-केंद्र सरकार ने सवाल खड़े नहीं किए हैं.

पूरे मामले में दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन से भी सवाल पूछे गए हैं. स्वास्थ्य मंत्री से पूछा गया कि क्या सरकारी अस्पताल में दिल्ली सरकार के आंकड़ों से मौत के आंकड़े डबल हैं?

सत्येंद्र जैन ने कहा कि "दिल्ली में फिलहाल मौत का आंकड़ा 68 है. जानकारी सामने आने के बाद मैंने हेल्थ डिपार्टमेंट से पूछा है, इसमें छिपाने जैसा कुछ नहीं है. आंकड़े छुपाने का कोई कारण नहीं है. दिल्ली में होने वाली मौतों की जानकारी सरकारी अस्पताल, सर्विलांस डिपार्टमेंट को भेजी जाती है. मुझे पता लगा है कि सरकारी अस्पतालों ने डिटेल नहीं भेजी है. इस रिपोर्ट में पूरी जानकारी होती है कि कौन पॉजिटिव आया, किसकी मौत हुई. मौत की रिपोर्ट अस्पतालों ने नहीं भेजी है, रिपोर्ट जल्द से जल्द भेजने का निवेदन किया है. कोई भी केस जो COVID-19 से जुड़ा है, वो नहीं छूटेगा.

सत्येंद्र जैन से पूछा गया कि क्या सरकार को कोरोना वायरस से हुई 116 मौत की जानकारी ही नहीं है?

सत्येंद्र जैन ने जवाब देते हुए कहा कि "जब किसी की मौत होती है तो अस्पताल को death summary भेजनी होती है. death summary में उसका नाम, उम्र, मौत की वजह लिखी होती है. मैंने फोन करके पता किया है कि अस्पतालों के पास death summary आते ही भेज दी जाएगी. कई बार मौत के मामलों पर सिर्फ शक होता है, इसलिए रिपोर्ट का इंतजार किया जाता है."

पूछने पर कि क्या दिल्ली में कोरोना वायरस से 100 से ज्यादा मौतें हुई हैं?सत्येंद्र जैन ने इनकार करते हुए कहा कि "ये मैं कैसे कह सकता हूं, 2 या 4 दिन में जब सभी केस आ जाएंगे तब पता चलेगा, सभी अस्पतालों को सरकार ने मेल लिखा है. केस या मौत छुपाने जैसा कुछ नहीं है."

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