कोरोना वायरस की मार के चलते दिल्ली के निजामुद्दीन इलाके में स्थित तबलीगी जमात के मरकज में हुआ जलसा एक बड़ी परेशानी का सबब बन गया है. जमात के इस धार्मिक आयोजन को लेकर अब कई सवाल उठ रहे हैं. पुलिस की लापरवाही भी कहीं ना कहीं निशाने पर है. आपको हम बताते हैं, तारीख दर तारीख इस मामले में क्या हो रहा था.
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13 मार्च 2020
निजामुद्दीन के मरकज में आयोजित जलसे में भाग लेने के लिए 3400 लोग पहुंचे.
16 मार्च 2020
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने घोषणा करते हुए कहा कि कोरोनो वायरस के मद्देनजर 31 मार्च तक दिल्ली में आयोजित धार्मिक, सामाजिक, राजनीतिक कार्यक्रम में 50 से अधिक लोगों को जमा होने की अनुमति नहीं होगी. इस घोषणा के बाद भी वे लोग मरकज में रहे.
20 मार्च 2020
मरकज में आयोजित जलसे में शामिल होने वाले 10 इंडोनेशियाई नागरिक तेलंगाना जा पहुंचे, जहां उनका कोरोना परीक्षण सकारात्मक पाया गया है.
22 मार्च 2020
कोरोना के मामलों को बढ़ते देख पीएम मोदी ने पूरे देश में जनता कर्फ्यू की घोषणा कर दी.
23 मार्च 2020
इसके बाद 1500 लोगों ने मरकज खाली कर दिया और अपने स्थानों को लौट गए.
24 मार्च 2020
प्रधानमंत्री मोदी ने 21 दिन के लिए देशव्यापी तालाबंदी की घोषणा कर दी.
24 मार्च 2020
इसी फरमान के चलते निजामुद्दीन के एसएचओ ने मरकज के प्रबंधन से बाकी लोगों से भी मरकज को खाली कराने के लिए कहा. मरकज मस्जिद की ओर से मौलाना यूसुफ ने लाजपत नगर के एसीपी अतुल कुमार को एक पत्र लिखा था. जिसमें बताया गया कि किसी भी नए व्यक्ति को वहां प्रवेश नहीं दिया गया है. मरकज को खाली करने का प्रयास किया जा रहा था, लेकिन जनता कर्फ्यू के बाद पूरे देश में तालाबंदी हो गई. इस दौरान एसडीएम और डीएम को मरकज को खाली करने के संबंध में पत्र दिए गए. वाहनों का प्रबंध किए जाने का निवेदन भी किया गया. लेकिन अभी तक उनके प्रबंधन को प्रशासन की तरफ से कोई जवाब नहीं मिला. पत्र में उल्लेख किया गया है कि दिल्ली सरकार को मरकज के हालात के बारे में पूरी जानकारी है.
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25 मार्च 2020
लगभग 1000 लोग तब भी वहां बचे थे. एक मेडिकल टीम ने मरकज का दौरा किया. जांच के बाद संदिग्ध लोगों को मरकज की इमारत के भीतर एक हॉल में अलग-थलग कर दिया गया. जमात से जुड़े कुछ जिम्मेदार लोग एसडीएम के कार्यालय गए. वहां उन्होंने मरकज को खाली कराने की अनुमति के लिए एक आवेदन पत्र भी दिया. साथ ही एक वाहनों की सूची देते हुए उनके लिए पास की मांग भी की.
26 मार्च 2020
दिल्ली के मरकज में आयोजित तबलीगी जमात के कार्यक्रम में भाग लेने वाला एक जमाती शख्स कश्मीर लौटा. जहां जांच में उसे कोरोना पॉजीटिव पाया गया और बाद में उसकी श्रीनगर में मौत हो गई.
26 मार्च 2020
मामला बढ़ने के बाद एसडीएम ने खुद जाकर मरकज का दौरा किया और तबलीगी जमात के अधिकारियों को डीएम के साथ बैठक के लिए बुलाया गया.
27 मार्च 2020
कोरोना के संक्रमण के शक में 6 संदिग्धों को मेडिकल चेकअप के लिए मरकज से दूर ले जाया गया और बाद में हरियाणा के झज्जर में उन लोगों को एक आइसोलेशन फैसीलिटि में रखा गया.
28 मार्च 2020
एसडीएम और डब्ल्यू.एच.ओ. की टीम ने मरकज का दौरा किया. जिन 33 लोगों को वहां से मेडिकल चेकअप के लिए ले जाया गया था, इस बीच उन सभी को दिल्ली के राजीव गांधी कैंसर अस्पताल में भर्ती कराया गया.
28 मार्च 2020
लाजपत नगर के एसीपी ने मरकज को खाली करने के लिए नोटिस भेजा.
29 मार्च 2020
मरकज प्रबंधन के अधिकारियों ने एसीपी के पत्र का जवाब देते हुए कहा कि देशव्यापी तालाबंदी की घोषणा हो जाने के बाद से किसी भी नए व्यक्ति को वहां जाने की अनुमति नहीं है. जिस जलसे के लिए सभी लोग आए थे, वह लॉकडाउन से बहुत पहले शुरू हुआ. लॉकडाउन की घोषणा करते हुए पीएम मोदी ने अपने भाषण में कहा था कि "जो जहां है, वहीं रहे."
29 मार्च 2020
उसी रात पुलिस और स्वास्थ्य अधिकारियों की टीम ने मरकज में रह रहे लोगों को वहां से निकालना शुरू कर दिया और उन्हें अस्पतालों और आइसोलेशन वार्ड्स में भेज दिया.
दिल्ली पुलिस ने दावा किया है कि उन्होंने मरकज मस्जिद कमेटी को दो नोटिस भेजे थे, लेकिन उन्होंने उस पर ध्यान नहीं दिया. ये नोटिस 23 और 28 मार्च को भेजे गए थे. जानकारी के अनुसार, 23 मार्च को लगभग 1500 लोगों को मरकज से उनके राज्यों में भेजा गया था. हालांकि, अभी यह साफ नहीं है कि उनमें से कितने पॉजीटिव थे. मस्जिद समिति का कहना है कि उन्होंने वाहनों की अनुमति के लिए 23 मार्च को ही पुलिस को पत्र लिखा था ताकि लोगों को दूर भेजा जा सके.
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