दिल्ली के निजामुद्दीन इलाके में तबलीगी जमात के मरकज पर सरकार ने कड़ा रुख अपनाया है. पुलिस ने जमात के प्रमुख मोहम्मद साद कांधलवी और उनके साथियों पर भारतीय दंड संहिता की धारा 188, 259, 270, 120बी, 271 के तहत मामला दर्ज किया है. इन धाराओं में महामारी एक्ट, दूसरे लोगों की जान खतरे में डालना, लॉक डाउन का उल्लंघन करना और आपराधिक षडयंत्र शामिल है. हम आपको बताते हैं कि इन धाराओं का क्या मतलब है और दोषी पाए जाने पर इनके तहत कितनी और कैसी सजा का प्रावधान है.
क्या है IPC की धारा 188
दरअसल, सरकार ने कोरोना वायरस से लड़ने के लिए लॉकडाउन की घोषणा की है. यह घोषणा महामारी एक्ट यानी Epidemic Diseases Act, 1897 के तहत की गई है. इस एक्ट के अनुसार अगर कोई शख्स लॉक डाउन या उसके दौरान सरकार के निर्देशों का उल्लंघन करता है, तो उसके खिलाफ आईपीसी की धारा 188 के तहत कानूनी कार्रवाई की जाएगी.
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महामारी एक्ट के सेक्शन 3 के अनुसार अगर कोई इस कानून के प्रावधानों का उल्लंघन करता है या सरकारी निर्देशों व नियमों को तोड़ता है, तो उसे दंडित किया जा सकता है. किसी सरकारी कर्मचारी के ऐसा करने पर भी यह धारा लगाई जा सकती है. इस कानून का उल्लंघन करने या कानून व्यवस्था को तोड़ने पर दोषी को कम से कम एक महीने की जेल या 200 रुपये जुर्माना या फिर दोनों की सजा हो सकती है.
क्या है IPC की धारा 270
भारतीय दंड संहिता की धारा 270 के तहत ऐसे मामले आते हैं, जो किसी गंभीर बीमारी को फैलाने के लिए जिम्मेदार हों या ऐसे कोई काम जिसकी वजह से किसी दूसरे शख्स की जान को खतरा हो. धारा 270 आईपीसी के अध्याय 14 में आती है, जिसमें जनता के स्वास्थ्य, सुरक्षा, सुख, शिष्टाचार और नैतिकता को प्रभावित करने वाले अपराध शामिल होते हैं. धारा 270 के तहत दोषी करार दिए जाने पर 2 साल की सजा या जुर्माना या फिर दोनों मिल सकते हैं.
क्या है IPC की धारा 271
क्या है भारतीय दंड संहिता यानी आईपीसी की धारा 271 का संबंध क्वारनटाइन (Quarantine) किए जाने से है. अगर कोई शख्स जानबूझकर इस कानून उल्लंघन करता है. ऐसे स्थान पर जहां कोई संक्रामक रोग फैला हो, तब वहां लोगों को जमा करता है तो इस कानून के वह आरोपी हो सकता है. दरअसल, यह कानून लॉकडाउन के समय लागू किया जाता है. इस धारा के तहत दोषी पाए जाने पर 6 महीने की कैद या जुर्माना या फिर दोनों मिल सकते हैं. इसी कानून के तहत विदेश से आने वाले या कोरोना के संदिग्ध मरीजों को क्वारनटाइन रहने का आदेश दिया जा रहा है.
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क्या है आईपीसी की धारा 259
भारतीय दंड संहिता की धारा 259 के अनुसार, जो शख्स सरकारी व असली स्टाम्प को उपयोग में लाने के या बाद में इस्तेमाल करने के मकसद से अपने कब्जे में रखता है. या उसे इस बात का पता हो कि वह सरकार द्वारा राजस्व मामलों के इस्तेमाल में आने वाले स्टाम्प की कॉपी है. तो दोषी पाए जाने पर उसे कारावास की सजा हो सकती है. जिसकी अवधि अधिकतम 7 वर्ष हो सकती है या जुर्माना भी हो सकता है या फिर दोनों भी मिल सकते हैं.
जानिए, क्या है आईपीसी की धारा 120बी
किसी भी अपराध को अंजाम देने के लिए मिलकर साजिश रचना भारतीय दंड संहिता यानी आईपीसी की धारा 120ए और 120बी के तहत आता है. जिन मामलों में आरोपियों की संख्या एक से ज्यादा होती है, तो पुलिस धारा 120ए के तहत मामला दर्ज करती है. इसमें जरूरी नहीं होता कि आरोपी खुद अपराध को अंजाम दे. वह ऐसी साजिश का हिस्सा भी हो सकता है. ऐसी साजिश में शामिल शख्स उम्रकैद या 2 वर्ष या उससे अधिक समय के लिए कठोर कारावास की सजा हो सकती है. आपराधिक साजिश में शामिल होने वाले को भी अपराध करने वाले के बराबर सजा दिए जाने का प्रावधान है.
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