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लद्दाख में -30 डिग्री में जम जाता है ईंधन, आर्मी को अब मिलेगा खास विंटर डीजल

विंटर डीजल एक खास प्रकार का ईंधन है. इसे IOC ने पिछले साल समुद्र तट से बेहद ऊंचे स्थानों पर मौजूद इलाकों में इस्तेमाल के लिए विकसित किया है. इन इलाकों में जब तापमान शून्य से 20 से 30 डिग्री तक नीचे चला जाता है तो सामान्य डीजल का फ्लो बंद हो जाता है.

  • लद्दाख में आर्मी के लिए विंटर डीजल
  • -30 डिग्री में जम जाता है सामान्य ईंधन
  • IOC ने सप्लाई के लिए मांगी इजाजत

लद्दाख की सर्दियों में जब यहां का तापमान शून्य से 20 से 30 डिग्री नीचे चला जाता है उस वक्त भी हमारे देश के जवान इन बर्फीली चोटियों की निगहबानी में मुस्तैद रहते हैं.

ठंड के मौसम में सेना के जवानों की लेह-लद्दाख में ड्यूटी काफी चुनौती भरी होती है. माइनस-30 डिग्री तापमान के बीच जवानों का मूवमेंट बेहद कठिन हो जाता है. इस भयानक ठंड में सामान्य डीजल भी काम करना बंद देता है और ये जमना शुरू कर देता है. ऐसे में जवानों की आवाजाही मुश्किल हो जाती है. सेना के जवानों को इस परेशानी से निजात दिलाने के लिए देश की सबसे बड़ी तेल कपंनी इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन इंडियन आर्मी के लिए एक खास डीजल लेकर आई है. इसे विंटर डीजल (Winter diesel) के नाम से जाना जाता है.

अंग्रेजी वेबसाइट इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (IOC) ने इंडियन आर्मी के डायरेक्टर जनरल ऑफ क्वालिटी एश्युरेंस (DGQA) से विंटर डीजल के इस्तेमाल को अनुमति देने को कहा है. IOC का दावा है कि ये डीजल शून्य से 30 डिग्री नीचे तक के तापमान में भी काम करता है.

आखिर क्या है विंटर डीजल

विंटर डीजल एक खास प्रकार का ईंधन है. इसे IOC ने पिछले साल समुद्र तट से बेहद ऊंचे स्थानों पर मौजूद इलाकों में इस्तेमाल के लिए विकसित किया है. इन इलाकों में जब तापमान शून्य से 20 से 30 डिग्री तक नीचे चला जाता है तो सामान्य डीजल का फ्लो बंद हो जाता है.

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इस बाबत इंडियन एक्सप्रेस IOC में रिसर्च और डेवलपमेंट सेक्शन के निदेशक एसवी रमन कुमार के हवाले से लिखता है कि इतने कम तापमान में सामान्य डीजल की प्रवाह क्षमता में अंतर आ जाता है और वाहनों में इसके इस्तेमाल में परेशानी होती है.

रमन कुमार ने कहा कि विंटर डीजल में ऐसे तत्व मौजूद रहते हैं जिससे इसका गाढ़ापन कम बना रहता है ताकि इंजन को इसकी अनवरत सप्लाई सुनिश्चित होती रहे, इस वजह से इस डीजल का इस्तेमाल माइनस 30 डिग्री के तापमान में भी किया जा सकता है.

विंटर डीजल की सीटेन रेटिंग भी ज्यादा है. सीटेन रेटिंग डीजल की क्वालिटी का सूचक है. सीटेन रेटिंग डीजल ईंधन की ज्वलनशीलता की स्पीड और डीजल के जलने के लिए जरूरी दबाव को दिखाता है. डीजल की सीटेन रेटिंग जितनी ज्यादा होती है वो इंजन के अंदर उतने ही अच्छे तरीके से जलता है.

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विंटर डीजल में सल्फर की मात्रा भी कम होती है. इसका नतीजा ये होता है कि ईंधन में अवशिष्ट की मात्रा कम जमती है और इसका परफॉर्मेंस बढ़िया रहता है.

रमन कुमार ने कहा कि विंटर डीजल के आने से पहले कम तापमान के इलाकों के ग्राहक डीजल में केरोसीन तेल मिलाते थे ताकि डीजल को पतला किया जा सके, लेकिन इससे प्रदूषण ज्यादा होता था.

अभी भारतीय सेना कौन सा ईंधन इस्तेमाल कर रही है?

इस वक्त IOC, भारत पेट्रोलियम, हिन्दुस्तान पेट्रोलियम सेना को हाई सल्फर पोर प्वाइंट (DHPP -W) उपलब्ध करा रहे हैं. ये डीजल भी -30 डिग्री से कम तापमान में बह सकता है. बता दें कि पोर प्वाइंट (Pour Point) वह तापमान है, जिस पर आकर एक द्रव बहना बंद कर देता है.

लद्दाख में सेना मुस्तैद

चीन से तनाव के बीच इस बार लद्दाख की सर्दियों का मिजाज गर्म रहने वाला है. चीनी कारगुजारियों का जवाब देने के लिए भारत की सेना पूरी तैयार है. इस दौरान भारतीय सेना को लेह-लद्दाख की घाटियों में जबर्दस्त मूवमेंट की जरूरत पड़ेगी. अगर IOC को डायरेक्टर जनरल ऑफ क्वालिटी एश्योरेंस से क्लियरेंस मिल जाती है तो लद्दाख समेत सामरिक महत्व के सभी ऊंची चोटियों पर विंटर डीजल की सप्लाई शुरू हो जाएगी

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