उसका नाम एक बार फिर खबरों में है. दरअसल, उसे गुमनामी पसंद ही नहीं. यह उसकी फितरत है या आदत, इसका पूरा हिसाब होना बाकी है. उसकी करतूतें ही उसका पहचान हैं. वो जब भी कुछ करती है, सुर्खियों में आ जाती है. हम बात कर रहे हैं, जरायम की दुनिया में नाम कमा चुकी सोनू पंजाबन की. जिसने एक बार फिर जहर पी लिया है. ऐसा पहली बार नहीं हुआ है. मकोका में बंद होने के दौरान भी उसने जेल में ही ऐसा किया था फिर फंदा लगाने की कोशिश की थी. तब भी उसे बचा लिया गया था.
फिलहाल सोनू पंजाबन को पहली बार किसी केस में दोषी पाया गया है. दिल्ली की द्वारका कोर्ट ने सोनू और उसके साथी संदीप को एक 12 साल की बच्ची के अपहरण, रेप और जबरन जिस्मफरोशी के धंधे में उतारने का दोषी माना है.
सोनू पंजाबन की कहानी पुरानी है. उसे पैसे और पावर की हवस रही. इसे पूरा करने के लिए उसने दुनिया के एक सबसे पुराने धंधे को चुना लेकिन उसका कलेवर बदलकर उसे कंपनी में तब्दील कर दिया. ऐसा कहा जाता है कि घर सुरक्षित रहें इसलिए कोठों का आबाद होना जरूरी है. लेकिन बदलते वक्त के साथ कोठों की अहमियत कम हो गई. उदारीकरण के बाद का दौर ऐसा रहा जिसमें कम समय में सबकुछ हासिल करने की तमन्ना युवाओं में हिलोरें मारने लगीं. कुछ ईमानदारी से अपना मुकाम हासिल करने में लगे थे तो कुछ लोगों को शॉर्टकट में विश्वास था. सोनू पंजाबन जैसे लोगों ने इस हालात का पूरा फायदा उठाया.
10 वीं पास सोनू पंजाबन ने एक सेक्स रैकेट (Sex racket) तैयार किया, इसमें लोगों के काम बंटे हुए थे. लड़कियों को धंधे में उतारना, उन्हें हाई प्रोफाइल लोगों तक पहुंचाना. क्लाइंट तलाशना और उन्हें सप्लाई करना अलग-अलग लोगों के जिम्मे था. इसमें इन्वेस्टमेंट था तो कमाई भी थी. डिमांड और सप्लाई के खेल में सोनू पंजाबन ने बेशुमार दौलत बटोरी. बताया जाता है कि दिल्ली-हरियाणा में उसने कई जगहों पर संपत्तियां खरीदीं.
ऐसे फंसाई जाती थीं लड़कियां
लड़कियों के देह के धंधे में उतारने के लिए सोनू पंजाबन ने कुछ लोगों को काम पर रखा. इनकी सैलरी 25000 से लेकर 75000 रुपये महीने होती थी. इन लोगों का काम होता था पब और बार में जाना और ऐसी लड़कियों की तलाश करना जो यहां आना तो पसंद करती हैं लेकिन उनकी हैसियत ऐसी नहीं है. उनके किसी दोस्त ने यहां पार्टी दी है, किसी साथी का बर्थडे है इसलिए आ गईं लेकिन यहां उन्हें अच्छा लगा. महंगे कपड़े और महंगे फोन उन्हें आकर्षित करते. लंबी गाड़ियों को वो ललचाई नजरों से देखतीं. सोनू पंजाबन के पैरोल पर रखे लड़के-लड़कियां ऐसे लोगों को ताड़ते. पहले किसी बहाने से उनसे दोस्ती की जाती. फिर उन्हें सब्जबाग दिखाए जाते. उनका ब्रेनवॉश किया जाता, उन्हें उनकी देह की कीमत बताई जाती, उन्हें समझाया जाता कि इस धंधे की लंबी उम्र नहीं होती. उनसे कहा जाता कि एक बार करके देखो मन नहीं करेगा तो अगली बार परेशान नहीं करेंगे और धीरे-धीरे उन्हें दलदल में उतार दिया जाता.
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डिमांड और सप्लाई का खेल
सोनू पंजाबन का धंधा चल निकल पड़ा था, डिमांड बढ़ती जा रही थी. इसी हिसाब से सोनू की फीस भी. 10वीं पास सोनू पंजाबन ने टीवी एक्ट्रेस से लेकर एयरहोस्टेस तक, मॉडल्स से लेकर स्कूल-कॉलेज जाने वाली लड़कियों तक को रैकेट में शामिल कर लिया. लेकिन असली शिकार वो मासूम ही होती थीं जो तात्कालिक जरूरतों के लिए गिरोह के चंगुल में फंस जाती थीं. ऐसा नहीं था कि पुलिस सोनू पंजाबन की करतूतों से अनजान थी लेकिन उसे पुख्ता प्रमाण नहीं मिल रहे थे. जानकारों का कहना है कि सोनू बड़े नौकरशाह, नेताओं, उद्योग से जुड़े ऐसे-ऐसे लोगों को लड़कियां सप्लाई करती थी कि पुलिस उस पर हाथ डालने से कतराती थी.
इधर कारिंदों की हरकतें बढ़ती जा रही थीं. अब गिरोह देहव्यापार से आगे जाकर मासूम लड़कियों की खरीद फरोख्त में शामिल हो गया. सोनू पंजाबन को 2007 में प्रीत विहार पुलिस ने और 2008 में साकेत पुलिस ने गिरफ्तार किया था लेकिन वह जमानत पर बाहर आ गई और फिर से कंपनी चलाने लगी. हालांकि जेल में रहने के दौरान भी उसके धंधे पर असर नहीं पड़ता था.
जिस्मफरोशी का रैकेट चलाने वाली सोनू पंजाबन पहली बार किसी केस में दोषी करार
जब मकोका लगा
पुलिस लाचार थी या अनदेखा कर रही थी ठीक-ठीक नहीं कहा जा सकता. क्योंकि पुलिस के पास शिकायतें आती रहती थीं लेकिन गवाह नहीं मिलते थे. आखिरकार अप्रैल 2011 में सोनू पंजाबन को 4 लड़कियों और 4 लड़कों के साथ गिरफ्तार कर लिया गया. इस बार उस पर मकोका (महाराष्ट्र कंट्रोल ऑफ ऑर्गेनाइज्ड क्राइम एक्ट 1999) लगाया गया. पुलिस के अनुसार पैसा कमाने के लिए वह संगठित तरीके से सेक्स रैकेट चला रही थी. लेकिन पुलिस आरोप साबित नहीं कर पाई और सोनू पंजाबन मकोका से बरी हो गई.
किस मामले में दोषी पाई गई सोनू
मामला 2009 का है. बच्ची ने पुलिस को जो कहानी सुनाई उसके मुताबिक 2006 में वह 12 साल की थी, जब वह छठी क्लास में थी तो उसकी दोस्ती संदीप नाम के शख्स से हुई. दोस्ती का सिलसिला आगे बढ़ा. संदीप ने उसे शादी का झांसा दिया और दिल्ली में ले जाकर रेप किया. संदीप ने बच्ची को अलग-अलग लोगों को 10 बार बेचा. इसके बाद बच्ची को सोनू पंजाबन को सौंपा गया. सोनू ने जबरन उसे जिस्मफरोशी के धंधे में धकेल दिया. उसे नशे के इंजेक्शन दिए गए और दिल्ली-हरियाणा-पंजाब तक में उसे कई लोगों के सामने परोसा गया. बाद में सतपाल नाम के शख्स ने उससे जबरन शादी कर ली. बच्ची किसी तरह भागकर नजफगढ़ थाने पहुंची और आपबीती सुनाई. 2009 में सोनू पंजाबन और उसके साथी संदीप के खिलाफ केस दर्ज किया गया.
जेल से जिस्मफरोशी का रैकेट चला रही सोनू पंजाबन, 2 भाई गिरफ्तार
केंद्रीय मंत्री को ब्लैकमेल करने की साजिश
दिसंबर 2017 में सोनू पंजाबन को गिरफ्तार किया गया था, आरोप था कि उसने एक केंद्रीय मंत्री को ब्लैकमेल करने की कोशिश की और एक लड़की को 20 लाख रुपये में बेचा. जब सोनू को पकड़कर पुलिस थाने में लाई तो उसने खूब हंगामा किया. उसने पुलिसवालों को धमकी दी कि वो उसे जानते नहीं हैं. यह सिक्का भी जब नहीं चला तो उसने कमला मार्केट थाने में कहा कि अगर उसे हवालात में रखा गया तो वह सलाखों में पटक पटककर अपना सर फोड़ लेगी.
अपह्रत लड़की बाद में घर लौट आई थी. उसने पुलिस को बताया था कि 3 लड़कों ने घर से बाहर उसका अपहरण किया था और एक महिला को सौंप दिया था, फोटो दिखाने पर वह सोनू पंजाबन निकली. लड़की ने बताया था कि पहले उससे धंधा कराया गया और बाद में लखनऊ के शख्स ने उससे शादी कर ली. 6 महीने बाद उसने अपने दोस्तों के सामने परोसने लगा. जब वह गर्भवती हुई तो अबॉर्शन के लिए उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां से वह भाग निकली.
रोहतक से दिल्ली का सफर
रोहतक की रहने वाली गीता अरोड़ा के पिता रोजगार की तलाश में दिल्ली आए थे. वह ऑटो रिक्शा चलाते थे. 10वीं पास करने के बाद ही उसने ब्यूटी पार्लर खोल लिया. 17 साल में उसकी शादी विजय सिंह से हुई, वह एक हिस्ट्रीशीटर था. श्रीप्रकाश शुक्ला से उसके संबध बताए जाते थे. 2003 में यूपी एसटीएफ ने उसे मार गिराया. गीता को पैसों की किल्लत होने लगी. ब्यूटी पॉर्लर की कमाई से न घर चल रहा था न महात्वाकांक्षाएं पूरी हो रही थीं. परिस्थितियां ऐसी बदलीं कि वह कॉलगर्ल बन गई. विजय सिंह के साथ की वजह से उसे पावर की अहमियत पता थी.
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सोनू ब्रदर्स की शरण में, ऐसे बनी सोनू पंजाबन
2003-04 के आसपास दीपक सोनू और हेमंत सोनू जुर्म की दुनिया के बड़े नाम थे. उन पर अपहरण और फिरौती के कई मामले दर्ज थे. गीता अरोड़ा को समझ में आ गया था कि अगर आगे बढ़ना है तो ऐसे लोगों की शरण उसकी राह मुफीद कर सकती है. वह सोनू ब्रदर्स की शरण में आई और दीपक सोनू से शादी कर ली. लेकिन यह शादी बहुत दिन नहीं चल पाई. 2004 में दीपक पुलिस मुठभेड़ में मारा गया. इसके बाद गीता ने उसके छोटे भाई हेमंत सोनू का दामन थाम लिया. बताया जाता है कि हेमंत से गीता ने शादी कर ली लेकिन वह भी 2006 में एक एनकाउंटर में मारा गया.
अनसुलझे रहस्य
कहा जाता है कि सोनू पंजाबन ने उसी से शादी की जो जुर्म की दुनिया में रम चुका था. दबी जुबान से लोग यह भी कहते हैं कि उन्हीं दबंगों के बल पर उसने अपना कारोबार खड़ा किया और उसी की मुखबिरी से वो मारे भी गए. लेकिन ऐसे आरोप साबित नहीं किए जा सकते. ऐसे लोगों का मारा जाना संयोग भी हो सकता है कि वे जुर्म की दुनिया के बड़े नाम थे. बहरहाल, हेमंत सोनू से गीता अरोड़ा सबसे ज्यादा प्रभावित रही और उसके एनकाउंटर के बाद अपना नाम सोनू रख लिया पंजाबन उसके आगे जोड़ दिया. इस तरह दिल्ली को मिली सोनू पंजाबन. एक फिल्म बनी फुकरे जिसमें सोनू पंजाबन का कैरेक्टर रखा गया. कैरेक्टर का नाम था भोली पंजाबन.
जिस्म के सौदागरों का थोक बाजार
दबंग पंजाबन
सोनू पंजाबन से मिलने वाले बताते हैं कि उसके व्यक्तित्व में अजीब किस्म की दबंगई है. भोले चेहरे के पीछे शातिर दिमाग काम करता है. मासूमियत से बात करना भी जानती है और जरूरत पर फर्राटेदार गालियां देती है. उसे किसी से डर नहीं लगता. पुलिस से तो एकदम नहीं. बताया जाता है कि अगर पहली गिरफ्तारी को छोड़ दिया जाए तो कभी भी वह पुलिस के सामने गिड़गिड़ाई नहीं और नखरे और नाटक कर पुलिसवालों के नाक में दम कर दिया. फिलहाल उसके गुनाहों का हिसाब बाकी है.
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