चीन की मीडिया ने रेलवे प्रोजेक्ट के सर्वे की तस्वीरें जारी की हैं. तस्वीरों में एक टीम कॉरिडोर साइट का मुआयना करती नजर आ रही है. ऐसे वक्त में, जब नेपाल और भारत के बीच सीमा तनाव चल रहा है, चीन अपनी परियोजनाओं के जरिए नेपाल में अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश कर रहा है. सोमवार को चीन ने पाकिस्तान, नेपाल और अफगानिस्तान के साथ वर्चुअल बैठक कर कोरोना महामारी और बेल्ट एंड रोड परियोजना पर सहयोग बढ़ाने पर चर्चा की थी.
चीन-नेपाल के बीच रेलवे लाइन की योजना 2008 में बनी थी लेकिन तब से इसमें कोई बहुत प्रगति नहीं हुई थी. हालांकि, नेपाल-भारत के मौजूदा सीमा विवाद के बीच चीन ने कॉरिडोर पर काम तेज कर दिया है. इस महत्वाकांक्षी परियोजना की डेडलाइन 2025 है. घटनाक्रमों पर नजर रख रहे भारतीय सूत्रों के मुताबिक, अभी परियोजना का निर्माण कार्य शुरू नहीं हुआ है लेकिन सर्वे शुरू कर दिया गया है.
चीन ने 2008 में इस परियोजना की नींव रखी थी और ये तय हुआ था कि रेलवे कॉरिडोर के जरिए ल्हासा से शिगास्ते को जोड़ा जाएगा और फिर इसका विस्तार नेपाल सीमा के नजदीक केरूंग तक किया जाएगा. आखिरी चरण में इस रेलवे लाइन को काठमांडू और बुद्ध की जन्मस्थली लुंबिनी तक लाया जाएगा.
(Photo Credit- KathmanduPost)
हालांकि, इस बड़ी परियोजना की अनुमानित लागत को लेकर चिंताएं बढ़ती जा रही हैं क्योंकि अभी से इसकी लागत 30 करोड़ डॉलर से ज्यादा पहुंच चुकी है. इस परियोजना में कई सुरंगें और पुल बनाए जाने हैं जिसकी वजह से ये काफी जटिल काम है. सूत्रों का कहना है कि चीन चाहता था कि नेपाल इस परियोजना की आधी लागत का वहन करे लेकिन इससे प्रोजेक्ट में देरी होती गई. कई लोगों का मानना है कि रेलवे लाइन से पहले चीन नेपाल में दूसरी सड़क परियोजनाओं को पूरा करेगा क्योंकि वो उसके लिए ज्यादा आसान और सस्ता होगा.(Photo credit- @shen_shiwei)
नेपाल में भारत की रेलवे योजना
नेपाल में चीन के प्रभाव को रोकने के लिए भारत ने भी एक रेल कॉरिडोर का प्रस्ताव रखा है. भारत और नेपाल के बीच 6 रेलवे लाइन बनाए जाने की योजना है. इन परियोजनाओं की स्थिति पर बात करते हुए रेलवे बोर्ड के चेयरमैन वी. के. यादव ने कहा, हमने अपने सभी इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट को सबसे ऊपर रखा है. हालांकि, हालिया प्रोजेक्ट की टाइमलाइन और डिटेल बाद में ही दी जाएगी.
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