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क्राइम

महाराष्ट्र: वार्ड में था इतना धुआं, नर्सें भी नहीं ले पा रही थीं सांस, बच्चों का शरीर पड़ा काला

भंडारा अस्पताल के एक स्टाफ ने कहा कि उन्हें पौने दो बजे रात को कॉल आया कि ऊपर बच्चों के वार्ड SNCU ( Sick Newborn Care Unit) में आग लग गई है. शख्स ने कहा कि कमरे में काला धुआं भर गया था, अंदर में मुझे कुछ नहीं दिख रहा था. मैंने और गार्ड को बुलाया लेकिन हम कुछ नहीं कर सके.

महाराष्ट्र के भंडारा के जिला अस्पताल में शुक्रवार रात लगी आग ने 10 माताओं की कोख सूनी कर दी है. हादसे में अबतक 10 नवजात बच्चों की मौत हो गई है और 7 बच्चों को बमुश्किल बचाया जा सका है. 

पूरी घटना की जानकारी देते हुए अस्पताल के एक स्टाफ ने कहा कि उन्हें पौने दो बजे रात को कॉल आया कि ऊपर बच्चों के वार्ड SNCU ( Sick Newborn Care Unit) में आग लग गई है. इस रूम में 11 बच्चे थे. इस शख्स ने कहा कि कमरे में काला धुआं भर गया था, अंदर मुझे कुछ नहीं दिख रहा था. मैंने और गार्ड को बुलाया लेकिन हम कुछ नहीं कर सके. उस वक्त हम लोगों ने छठे और सातवें फ्लोर को तुरंत खाली करवा दिया. 

सीढ़ी लगाकर ऊपर चढ़े, दरवाजे तोड़े

इस शख्स ने कहा कि हम फायर ब्रिगेड की गाड़ी से बालकनी में चढ़े और दरवाजा तोड़ दिया और खिड़कियां तोड़ीं. इसके बाद हम अंदर गए. इसके बाद जो बच्चे अंदर थे उसे हम लोगों ने सबसे पहले बाहर निकाला. आधे बच्चे जल गए थे, जो बच्चे नहीं भी जले थे, उनके अंदर भी जान नहीं बची थी. इस तरह साढ़े तीन बज गए. 

ड्यूटी पर तैनात नर्स को पहले एहसास हुआ कि बच्चों के ICU से धुआं आ रहा है. भंडारा के सिविल सर्जन डॉ प्रमोद खंडाके ने आजतक को बताया कि जानकारी मिलते ही सभी लोग ICU वार्ड की और दौड़े, तब उन्होंने अंदर धुआं देखा. रिपोर्ट के मुताबिक कमरे में पूरा धुआं भरा हुआ था और नर्सों को भी सांस लेने में दिक्कत हो रही थी. 

...इतना धुआं की नर्सें भी नहीं ले पा रही थीं सांस

अब अंदाजा लगाया जा सकता है कि जब नर्सें सांस नहीं ले पा रही थी कि तो धुएं में नवजात बच्चों का क्या हाल हुआ होगा. वार्ड में मौजूद बच्चों का शरीर काला पड़ चुका था. इसका मतलब है कि वहां धुआं और आग काफी देर तक रहा.

वहीं भंडारा के कलेक्टर संदीप कदम ने कहा, इस मामले की जांच टेक्निकल कमेटी करेगी और आग लगने के कारणों का पता लगाएगी. 

हादसे के दौरान वार्ड में नहीं था कोई

हादसे के दौरान वार्ड में कोई नहीं था, इसलिए बच्चों की जलकर मौत हुई.  अस्पताल के सिविल सर्जन ने बताया कि इस अस्पताल की क्षमता 485 बेड की है. अब सवाल है कि अस्पताल के सीनियर मेंबर कहां थे, क्या डॉक्टर रात में राउंड ले रहे थे या नहीं? चाइल्ड वार्ड में हर घंटे डॉक्टर और नर्सें आती रहती हैं, फिर ऐसा क्यों नहीं हुआ, इसका जवाब अस्पताल के डॉक्टर और मैनेजमेंट को देना पड़ेगा. 

सिविस सर्जन का दावा वार्ड में नर्स मौजूद थीं

अस्पताल के सिविल सर्जन डॉ प्रमोद ने कहा कि 7 बच्चों को बचा लिया गया है और उनकी हालत अब खतरे से बाहर है. डॉ प्रमोद ने कहा कि जब आग लगी तो नर्स वहां पहुंची लेकिन इतना धुआं था कि नर्सें भी सांस नहीं ले पा रही थीं, इसके बाद किसी तरह बच्चों को निकाला गया. डॉ प्रमोद का कहना है कि जब शॉर्ट सर्किट हुआ तो वार्ड में नर्स मौजूद थीं 

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