भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर पिछले साल मई की शुरुआत से गतिरोध जारी है। इसी तनाव को कम करने के लिए रविवार को मोल्डो में भारत और चीन ने नौंवे दौर की कॉर्प्स कमांडर स्तर की वार्ता की जो देर रात ढाई बजे तक चली। 15 घंटे तक चली इस वार्ता में सीमा पर तनाव कम करने को लेकर बातचीत हुई। इस बातचीत से पहले वायुसेनाध्यक्ष एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया ने चीन को दो टूक कह दिया था कि भारत को भी आक्रामक होना आता है।
पूरी तरह से हटना पड़ेगा पीछे
बातचीत के बारे में जानकारी रखने वाले लोगों का कहना है कि वार्ता के दौरान भारत ने इस बात पर जोर दिया है कि टकराव वाले क्षेत्रों में डिसइंगेजमेंट और डी-एस्केलेशन की प्रक्रिया को आगे बढ़ाना चीन के ऊपर है। इसके लिए भारत ने एक व्यावहारिक रोडमैप पेश किया। इसके तहत पहले चरण में पेंगोंग त्सो, चुशुल और गोगरा-हॉट्सप्रिंग क्षेत्रों में मौजूद तनाव बिंदुओं पर यथास्थिति बहाल की जाए।
इससे पहले भारत और चीन के बीच छह नवंबर को आठवें दौर की वार्ता हुई थी। इसमें दोनों पक्षों ने टकराव वाले खास स्थानों से सैनिकों को पीछे हटाने पर व्यापक चर्चा की थी। बता दें कि पिछले नौ महीनों से दोनों देशों के बीच सीमा विवाद जारी है। पूर्वी लद्दाख में दोनों तरफ से सेना और हथियारों की भारी तैनाती की गई है। भारत ने चीन की किसी भी हरकत का जवाब देने के लिए सीमा पर आर्टिलरी गन, टैंक, हथियारबंद वाहन तैनात कर रखे हैं।
नो मैंस लैंड बनाने का रखा गया प्रस्ताव
सूत्रों के अनुसार नौंवे दौर की वार्ता में प्रस्ताव रखा गया था कि पेंगोंग झील के उत्तरी इलाकों के फिंगर एरिया को फिलहाल नो मैंस लैंड बनाया जाए। इस समय लद्दाख की घाटियों में तापमान शून्य से 30 डिग्री नीचे चला गया है। हालांकि दोनों ओर से सेनाओं में कोई कटौती नहीं की गई है। सर्दियों की वजह से सीमा पर बेशक शांति बनी हुई है लेकिन गतिरोध अभी भी बरकरार है।
वायुसेनाध्यक्ष की चीन को दो टूक
भारतीय वायुसेना अध्यक्ष एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया ने शनिवार को चीन का नाम लिए बिना कहा था कि यदि वे आक्रामक हो सकते हैं, तो हम भी आक्रामक हो सकते हैं। उन्होंने यह बयान एलएसी पर चीन के आक्रामक होने की संभावना पर दिया था।
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