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राजनीति

'हम वार में नहीं': संघ के साथ बातचीत का सिलसिला क्यों जारी रखना चाहते हैं मुस्लिम संगठन

मुस्लिम समुदाय के पांच बुद्धिजीवियों का राष्ट्रीय संघ के साथ मेल-मिलाप का दौर जारी है. अब तो संघ के साथ मुस्लिम उलेमाओं ने भी संवाद शुरू कर दिया है. इस बातचीत के सिलसिले को मुस्लिम संगठन आगे भी जारी रखने के पक्ष में है, लेकिन मुस्लिम पर्सलन लॉ बोर्ड ने सामान नागरिक संहिता के मुद्दे पर आर-पार का ऐलान कर दिया है

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अपनी मुस्लिम विरोधी छवि को तोड़ने और मुसलमानों के एक तबके को अपने साथ जोड़ने की कोशिश के तहत इस समय 'संपर्क और संवाद' का अभियान जारी रखे हुए है. वहीं मुस्लिम बुद्धिजीवी-उलेमाओं की आरएसएस के साथ शुरू हुई बातचीत के सिलसिले को मुस्लिम संगठन बरकरार रखना चाहते हैं. जमात- ए- इस्लामी हिंद का मानना है कि वार में रहने वाले लोगों में भी बातचीत होती है हम तो युद्ध में भी नहीं है. ऐसे में हमें उम्मीद है कि संघ से बातचीत... होती है हम तो युद्ध में भी नहीं है. ऐसे में हमें उम्मीद है कि संघ से बातचीत सकारात्मक परिणाम देगी. 

मुस्लिम बुद्धजीवियों-उलेमाओं के साथ जमात ए इस्लामी हिंद के प्रतिनिधि के तौर पर मलिक मोहतशिम ने भी आरएसएस नेताओं से मुलाकात की थी. जमात-ए-इस्लामी हिंद के उपाध्यक्ष प्रोफेसर सलीम इंजीनियर भी संघ से बातचीत के एजेंडे पर कुछ नहीं बोले, लेकिन अपने स्पष्टीकरण में जरूर कहा कि युद्ध में जो लोग होते हैं, उनके बीच भी बातचीत होती है. हम तो युद्ध में नहीं हैं. संघ के लोग बातचीत करना चाहते हैं तो फिर हमारा भी फर्ज बनता है कि उनके साथ संवाद का सिलसिला जारी रखें.

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