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Umesh Pal Hatyakand: रसूख और रिश्वत के दम पर चलता है बाहुबलियों का सिक्का, जेल में अशरफ के लिए ताक पर रखे नियम

जेल में सुविधाओं के नाम पर वसूली का खेल पुराना है। बड़े अपराधियों और माफिया के जेल पहुंचने पर सिपाही शिवहरि के जरिये वसूली की जाती थी और उसके बदले उनको तमाम सुविधा दी जा रही थीं।

बरेली जिला जेल में बंदियों से मुलाकात करने के लिए औपचारिकताएं पूरी करने में आम लोगों को पसीना छूट जाता है, लेकिन अशरफ जैसे रसूखदारों के लिए इनका कोई मतलब नहीं है। दबंगई, रसूख और रिश्वत के दम पर ऐसे अपराधी जेल के अंदर से अपनी सल्तनत चलाते रहते हैं।

जेल में किसी भी बंदी से एक बार में तीन लोग ही मुलाकात कर सकते हैं। मुलाकात से पहले जेल के बाहर ही मोबाइल जमा करना पड़ता है। आधार कार्ड और कोरोनारोधी टीकाकरण के प्रमाणपत्र की छायाप्रति कि साथ दस रुपये भी जमा करने होते हैं।

मुलाकातियों का डाटा जेल के कंप्यूटर में फीड करने के साथ ही उनके फोटो खींचकर सुरक्षित रखे जाते हैं। उसके बाद मुलाकातियों को पर्ची दी जाती है। जिन बंदियों के परिजन मुलाकात करने पहुंचते हैं, उन सभी बंदियों को जेल के अंदर एक टिन शेड में एकत्र किया जाता है।

मुलाकातियों से उनके आधार कार्ड की छायाप्रति पर अंगूठा लगवाया जाता है और उनके हाथ पर मुहर लगाकर जेल के गेट पर भेज दिया जाता है। गेट पर तैनात संतरी मुलाकातियों से बेल्ट और सिम, चिप आदि इलेक्ट्रॉनिक सामाना बाहर ही रखने को कहता है।

 

जेल के अंदर पैसे और जरूरी कागजात अनुमति और मशीन से स्कैन होने के बाद ही ले जाए जा सकते हैं। जेल के अंदर पहुंचने से पहले संतरी हाथ पर लगी मुहर देखता है। इसके बाद अंदर सघन तलाशी के बाद बंदियों से उनकी मुलाकात कराई जाती है। सूत्रों के मुताबिक अशरफ के मामले में जेल प्रशासन की तरफ से इन सभी नियमों की अनदेखी की जा रही थी।

 

अशरफ के मामले में यहां हुआ खेल
अशरफ के मामले में गिरफ्तार सिपाही शिवहरि अधिकारियों और अपराधियों के बीच का अदना सा मोहरा है। सूत्र बताते हैं कि सिपाहियों के जरिये अधिकारी बड़े अपराधियों से उगाही कर रहे थे और उनको सुविधा दी जा रही थी। अशरफ से मुलाकात करने वालों को अलग ले जाकर घंटों मिलवाया जाता था। गिरफ्तार हुआ सिपाही यह काम अकेले कर ही नहीं सकता, इसलिए अधिकारियों की मंशा पर भी सवाल उठ रहे हैं। 
अशरफ से मुलाकात करने वालों के आधार कार्ड, कोरोना वैक्सीनेशन प्रमाणपत्र और फोटो लिए गए या नहीं, यह भी जांच में सामने आ जाएगा। बिना हाथ पर मुहर लगे अंदर जाना संभव नहीं है। ऐसे में सिपाही शिवहरि किसी को अपने साथ अंदर लेकर कैसे जा सकता है? ऐसे कई सवालों के जवाब अभी तक नहीं मिल सके हैं।अपराधियों से होती है वसूली
जेल में सुविधाओं के नाम पर वसूली का खेल पुराना है। बड़े अपराधियों और माफिया के जेल पहुंचने पर सिपाही शिवहरि के जरिये वसूली की जाती थी और उसके बदले उनको तमाम सुविधा दी जा रही थीं। बैरक बदलने के लिए भी जेल में वसूली का खेल चल रहा था। बताया जाता है जेल में सिपाहियों के जरिये हर चीज पहुंच रही थी, जो जेल के नियमों के खिलाफ है।

डीजी जेल ने वीसी में की पूछताछ, प्रभारी डीआईजी जिला जेल पहुंचे
बरेली जिला जेल में अशरफ को मिल रहे वीआईपी ट्रीटमेंट के मामले में जिला जेल के अफसरों पर शिकंजा कस गया है। प्रभारी डीआईजी जेल आरएन पांडेय ने शुक्रवार को जिला जेल पहुंचकर मामले की विभागीय जांच की।

 

डीजी जेल स्तर से आरएन पांडेय को मामले में जांच अधिकारी बनाया गया है। उन्होंने जेल का मुआयना करने के साथ ही जेल अधीक्षक से जरूरी सवाल पूछे। संबंधित स्टाफ के बयान दर्ज कर जेल का रिकॉर्ड भी चेक किया। जेल चौकी प्रभारी अनिल कुमार के भी बयान दर्ज किए जाएंगे, जिन्होंने बिथरी थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। इधर, सूत्रों के मुताबिक डीजी जेल आनंद कुमार ने जिला जेल के अधीक्षक राजीव शुक्ला और चित्रकूट जिला जेल के अधीक्षक से वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये बात भी की। 

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