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राजनीति

Explainer : US में सत्ता के गणित में भारतीयों का कितना रोल? जानें- भारत को क्यों मिल रही इतनी तरजीह

 

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिका के राजकीय दौरे पर हैं. अमेरिका में पीएम मोदी का जगह-जगह स्वागत किया जा रहा है. ऐसे में सवाल यह है कि भारत अमेरिका के लिए इतना अहम क्यों है? जानकारों का मानना है कि इसके पीछे कई कारण हैं जिनमें अमेरिका में रहने वाले भारतीय प्रवासी भी एक अहम कारक हैं. जो बाइडन प्रशासन के अहम पदों पर कम से कम 130 भारतीय मूल के लोग हैं. व्हाइट हाउस, नेशनल सिक्युरिटी काउंसिल, नासा जैसी अहम जगहों पर भी  भारतीय हैं. 

 

ट्रंप या ओबामा के प्रशासन से कहीं ज़्यादा बड़ी तादाद में भारतीय बाइडन प्रशासन में अहम पदों पर हैं. मैक्सिकन अमेरिकियों के बाद भारतीय अमेरिकी दूसरे सबसे बड़े प्रवासी समुदाय माने जाते हैं. अब भारतीय अमेरिकी राजनीति में भी मजबूत पकड़ रखते हैं. मोदी तीसरे राष्ट्र प्रमुख हैं जिन्हें बाइडन के समय में राजकीय न्योता मिला है. अमेरिका में करीब 41 लाख भारतीय मूल के नागरिक हैं. जो अमेरिकी आबादी का 1.3% प्रतिशत है. 

 

 भारतीयों का समुदाय राजनीतिक तौर पर भी सबसे अधिक सक्रिय है. लूसियाना के बॉबी जिंदल राष्ट्रपति चुनाव लड़ने वाले पहले भारतीय मूल के अमेरिकी थे.  तमिलनाडु के मूल वाली कमला हैरिस अमेरिका की उपराष्ट्रपति हैं. बीते चुनाव में प्रमिला जयपाल, रो खन्ना और राजा कृष्णमूर्ति सांसद बने हैं. भारतीय मूल के नागरिकों के राजनीतिक रुझान विविधता भरे रहे हैं. भारतीय नागरिक डेमोक्रेटिक और रिपब्लिकन पार्टी दोनों में ही हैं.

 

निक्की हेली और विवेक रामास्वामी  2024 के राष्ट्रपति चुनाव में उतरेंगे. भारतीय अमेरिकी समृद्ध और सुशिक्षित समुदाय के माने जाते हैं. राजनीतिक मुहिम में चंदा के लिए भी भारतीय अहम माने जाते हैं. यही कारण है कि डेमोक्रेट और रिपब्लिकन दोनों भारतीयों को लुभाने की कोशिश में हैं. पिछले दौरों में मोदी ने भारतीयों के बीच पांच कार्यक्रम किए थे. 

 

पीएम नरेंद्र मोदी ने न्यूयॉर्क में प्रतिष्ठित अमेरिकी शिक्षाविदों के एक दल से भी मुलाक़ात की. ये शिक्षाविद कृषि, मार्केटिंग, इंजीनियरिंग, स्वास्थ्य और प्रोद्योगिकी के क्षेत्र से जुड़े हैं. उन्होंने भारत की नई शिक्षा नीति के तहत अनुसंधान सहयोग और दोतरफा अकादमिक आदान-प्रदान बढ़ाने की संभावनाओं पर चर्चा की. नरेन्द्र मोदी ने प्रमुख अमेरिकी अर्थशास्त्री प्रोफेसर पॉल रोमर और निवेशक एवं हेज फंड ब्रिजवॉटर एसोसिएट्स के सह-संस्थापक रे डेलियो समेत विभिन्न क्षेत्रों की हस्तियों से मुलाकात के दौरान विचारों का आदान-प्रदान किया.

 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरफ से योग डिप्लोमेसी भी लगातार की जा रही है. भारत की इस प्राचीन विद्या को 2015 में संयुक्त राष्ट्र ने एक अलग सी मान्यता दी थी.  21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस घोषित किया गया था. तब से हर साल दुनिया के एक बड़े हिस्से में योग दिवस मनाया जा रहा है.  प्रधानमंत्री मोदी ने संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में आयोजित योग दिवस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि योग सबको जोड़ता है और ये सभी धर्मों-संस्कृतियों के लिए है..दरअसल योग भारत की सॉफ़्ट पावर है.  साल 2015 के पहले अंतरराष्ट्रीय योग दिवस से लेकर 2023 तक योग न सिर्फ़ विश्व भर में मशहूर होता गया है बल्कि भारत के लिए ये राजनयिक रिश्तों को मजबूत करने का एक बेहतर माध्यम भी बन गया है. जिसे योगा डिप्लोमेसी भी कही जा रही है. 

 

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