शिक्षा मंत्रालय और अबू धाबी के शिक्षा एवं ज्ञान विभाग (एडीईके) ने खाड़ी देश में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) का परिसर स्थापित करने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के दौरे के दौरान समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए. यह कदम आईआईटी को वैश्विक बनाने के अभियान का हिस्सा है. आईआईटी दिल्ली दूसरा आईआईटी है, जिसने देश के बाहर परिसर स्थापित करने की घोषणा की है. आईआईटी मद्रास ने पिछले हफ्ते तंजानिया के जंजीबार में अपना परिसर स्थापित करने के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया था.
केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने यह जानकारी देते हुए ट्वीट किया, ‘‘प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की मौजूदगी में आईआईटी दिल्ली का अबू धाबी परिसर स्थापित करने के लिए एमओयू पर हस्ताक्षर से भारतीय शिक्षा के अंतरराष्ट्रीयकरण का एक नया अध्याय शुरू होगा.''
उन्होंने कहा, ‘‘नए भारत के नवोन्मेष और विशेषज्ञता का उदाहरण यूएई स्थित आईआईटी दिल्ली परिसर, भारत और यूएई की दोस्ती की इमारत होगा. यह एनईपी (नयी शिक्षा नीति) में की गई परिकल्पना के अनुसार पारस्परिक समृद्धि और विश्व कल्याण, दोनों के लिए ज्ञान की शक्ति का लाभ उठाने के मकसद से एक नया खाका तैयार करेगा.''
परास्नातक पाठ्यक्रम अबू धाबी परिसर में अगले साल जनवरी से उपलब्ध कराए जाएंगे, जबकि स्नातक स्तर के कार्यक्रम सितंबर से उपलब्ध होंगे.
शैक्षणिक कार्यक्रम और अध्यापन पद्धति आईआईटी दिल्ली के अनुसार होगी और डिग्री भी आईआईटी दिल्ली द्वारा ही दी जाएगी.
आईआईटी दिल्ली ने एक बयान में कहा, ‘‘2022 की शुरुआत में दोनों देशों के शीर्ष नेतृत्व के बीच हुए समग्र आर्थिक साझेदारी समझौते (सीईपीए) में संयुक्त अरब अमीरात में एक आईआईटी परिसर की स्थापना की परिकल्पना की गई थी. शिक्षा मंत्रालय ने देश के लिए रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण अपने प्रयासों को उचित समय पर लागू करने के लिए आईआईटी दिल्ली को चिह्नित किया.''
आईआईटी दिल्ली-अबू धाबी को आईआईटी दिल्ली का एक शोध केंद्र वाला परिसर बनाने की परिकल्पना की गई है जो स्नातक, स्नातकोत्तर और डॉक्टरेट की डिग्री प्रदान करेगा.
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