राजस्व सचिव संजय मल्होत्रा ने कहा है कि माल एवं सेवा कर (जीएसटी) परिषद के ऑनलाइन गेमिंग पर 28 प्रतिशत की दर से कर लगाने के फैसले से सरकारी खजाने को सालाना अनुमानत: 20,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त राजस्व मिलेगा. जीएसटी परिषद ने मंगलवार को सर्वसम्मति से ऑनलाइन गेमिंग कंपनियों, कसीनो और घुड़दौड़ पर 28 प्रतिशत की दर से कर लगाने का फैसला किया. मल्होत्रा ने बृहस्पतिवार को कहा कि सरकार पूर्व की कर मांगों में वसूली के लिए सभी मामलों को उच्चतम न्यायालय में आगे बढ़ाएगी.
राजस्व सचिव ने कहा कि ऑनलाइन गेमिंग उद्योग फिलहाल सिर्फ 2-3 प्रतिशत जीएसटी का भुगतान कर रहा है, जो कि खानपान की वस्तुओं पर लगने वाले पांच प्रतिशत जीएसटी से भी कम है, जिसका उपभोग आम आदमी करता है. मल्होत्रा ने पीटीआई-भाषा से बातचीत में कहा, “जीएसटी परिषद के एक सदस्य ने तो यह कहा कि ऑनलाइन गेमिंग कंपनियां 18 प्रतिशत सकल गेमिंग राजस्व (जीजीआर) की दर से कर चुका रही हैं, जो सिर्फ 2-3 प्रतिशत जीएसटी बैठता है.”
बीते वित्त वर्ष में सरकार को इस तरह के कारोबार पर कर से सिर्फ 1,700 करोड़ रुपये का जीएसटी मिला. यदि पूर्ण मूल्य पर कर लगाया जाता, तो यह कर वसूली करीब 15,000 से 20,000 करोड़ रुपये बैठती. उन्होंने कहा, “लेकिन यह (ऑनलाइन गेमिंग कंपनियों पर कर) काफी कम दर पर है जिसका भुगतान ऑनलाइन गेमिंग कंपनियां कर रही हैं. हमारा अनुमान है कि यह राशि इसकी आठ से 10 गुना होनी चाहिए. यदि मात्रा बरकरार रहती है, तो हम इससे सालाना 15,000 से 20,000 करोड़ रुपये जुटा सकते हैं.'' इन कंपनियों ने कौशल और दांव के अंतर का फायदा उठाया और केवल मंच शुल्क या जीजीआर पर 18 प्रतिशत जीएसटी का भुगतान किया.
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