logo

  • 05
    07:11 am
  • 07:11 am
logo Media 24X7 News
news-details
अन्य

"प्रोटोकॉल विशेषाधिकार नहीं": हाईकोर्ट जज की ट्रेन "असुविधा" पर मुख्य न्यायाधीश

भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों को पत्र लिखा है. इस पत्र में एक न्यायाधीश द्वारा ट्रेन यात्रा के दौरान हुई असुविधाओं के बारे में "स्पष्टीकरण" मांगने के एक उदाहरण पर आपत्ति जताई गई है. न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने लिखा- इस घटना ने "न्यायपालिका के भीतर और बाहर दोनों जगह बेचैनी" को जन्म दिया है. उन्होंने "न्यायपालिका के भीतर आत्म-चिंतन और परामर्श" की आवश्यकता को भी रेखांकित किया है.

 

टीटीई या रेलवे पुलिस से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिलने पर न्यायाधीश ने अदालत के रजिस्ट्रार से क्षेत्रीय रेलवे प्रबंधक से स्पष्टीकरण मांगने को कहा था. रजिस्ट्रार के पत्र में कहा गया कि इस घटना से "महामहिम को बड़ी असुविधा और नाराजगी" हुई है.

पत्र में न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने बताया कि एक उच्च न्यायालय के पास रेलवे कर्मियों पर "अनुशासनात्मक क्षेत्राधिकार नहीं है." उन्‍होंने लिखा- "न्यायाधीशों को उपलब्ध कराई गई प्रोटोकॉल सुविधाओं का उपयोग विशेषाधिकार के दावे पर जोर देने के लिए नहीं किया जाना चाहिए, जो उन्हें समाज से अलग करता है या शक्ति या अधिकार की अभिव्यक्ति के रूप में उपयोग किया जाता है. न्यायिक प्राधिकार का बुद्धिमानीपूर्ण प्रयोग, बेंच के अंदर और बाहर दोनों जगह, न्यायपालिका की विश्वसनीयता और वैधता तथा समाज का अपने न्यायाधीशों पर भरोसा कायम रखता है."

मुख्य न्यायाधीशों से अपनी चिंता साझा करने का अनुरोध करते हुए उन्होंने कहा, "प्रोटोकॉल सुविधाओं का उपयोग इस तरह से नहीं किया जाना चाहिए, जिससे दूसरों को असुविधा हो या न्यायपालिका की सार्वजनिक आलोचना हो."

बता दें कि अदालत कक्ष में अपने फैसलों के अलावा, मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने कुछ अपरंपरागत कदमों से सुर्खियां बटोरीं हैं, जिनमें सुप्रीम कोर्ट कैफेटेरिया का दौरा, न्यायपालिका के पिछले कार्यालयों के काम को उजागर करने पर उनके विचार और सुप्रीम कोर्ट में  सफाई कर्मचारियों समेत कुछ पदों का नाम बदलने का कदम शामिल है. 

 

You can share this post!

Comments

Leave Comments