उत्तर प्रदेश में करोड़ों रुपये की जीएसटी धोखाधड़ी का मामला सामने आया है. जीएसटी अधिकारियों ने फर्जी तरीके से 557 करोड़ रुपये का इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) पास करने में शामिल 246 शेल/फर्जी संस्थाओं से जुड़े दो फर्जी बिलिंग रैकेट का खुलासा किया है. इस मामले में तीन मुख्य आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है. इनमें से दो इस धोखाधड़ी मामले में मास्टर माइंड बताए जा रहे हैं.
गिरफ्तार दोनों मास्टरमाइंडों से जब्त किए गए लैपटॉप और मोबाइल फोन की फोरेंसिक जांच से बहीखाता, चालान, ई-वे बिल आदि फिर से प्राप्त हुए. इसके अलावा, फर्जी जीएसटी बिल और अवैध नकदी प्रवाह के लेनदेन का सबूत देने वाले व्हाट्सएप चैट / वॉयस संदेश भी मिले हैं.
वित्त मंत्रालय ने कहा कि जीएसटी अधिकारियों की प्रारंभिक जांच में फर्जी फर्मों के नाम पर बैंक खाते खोलने में बैंक अधिकारियों की संलिप्तता का भी संकेत मिला है. दोनों मास्टरमाइंडों के दिल्ली के अध्यापक नगर और पश्चिमपुरी स्थित गुप्त कार्यालयों से फर्जी फर्मों से संबंधित कई दस्तावेज जैसे जाली स्टांप, डेबिट/क्रेडिट कार्ड, चेकबुक, आधार कार्ड, पैन कार्ड आदि बरामद किए गए.
बयान के अनुसार, "जीएसटी खुफिया महानिदेशालय (डीजीजीआई) की मेरठ क्षेत्रीय इकाई ने 246 मुखौटा/ फर्जी संस्थाओं से जुड़े फर्जी बिल बनाने वाले दो प्रमुख गिरोहा का खुलासा किया, जिन्होंने 557 करोड़ रुपये की फर्जी आईटीसी जारी की है." इन दोनों गिरोह ने 246 फर्जी कंपनियों के माध्यम से 1,500 से अधिक लाभार्थी कंपनियों को 3,142 करोड़ रुपये के कर-योग्य करोबार वाले चालान जारी किए हैं, जिसमें 557 करोड़ रुपये का आईटीसी शामिल है.
मामले में गिरफ्तार तीनों आरोपियों को 26 जुलाई को मेरठ की आर्थिक अपराध अदालत में पेश किया गया और उन्हें आठ अगस्त तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है.
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