ब्रेस्ट कैंसर महिलाओं के बीच सबसे तेजी से फैल रही एक घातक बीमारी है. इसके बावजूद भी महिलाएं इस बीमारी के बारे में बात करने से या बताने से कतराती हैं. अधिकांश महिलाएं शर्म की वजह से न घर में और ना ही एक्सपर्ट को ब्रेस्ट में हो रही दिक्कतों के बारे में जानकारी देती हैं. कुछ महिलाएं ये भी सोचती हैं कि ब्रेस्ट कैंसर से जुड़े टेस्ट (Breast Cancer Test) किए जाने पर हालत ज्यादा खराब हो सकती है. जबकि हकीकत ये है कि ब्रेस्ट में आ रहे असामान्य बदलावों को जितना छुपाएंगे उतना ही ज्यादा नुकसान हो सकता है. BLK-MAX हॉस्पिटल की मेडिकल ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ. अदिति विदुषी से समझिए ब्रेस्ट से जुड़ी जांच की अहमियत.
अधिकांश महिलाओं को लगता है कि बायोप्सी कराने से नुकसान हो सकता है. क्योंकि, बायोप्सी में थोड़ा सा हिस्सा लेकर जांच होती है. महिलाओं को लगता है कि इस जांच से ही कैंसर की गांठ बन सकती है या कैंसर फैल सकता है ये कितना सही है?
ये बिलकुल ठीक नहीं है. ये एक कॉमन मिथ है. जो डॉक्टर्स को भी अक्सर महिलाओं को समझाना ही पड़ता है. जो ब्रेस्ट का कैंसर है उसमें बायोप्सी करने से वो बनेगा नहीं. बल्कि वो पहले से ही हो चुका है, बायोप्सी करने से उसका पता चल जाएगा. मान लीजिए बॉडी में कोई प्रॉब्लम पहले से है. अगर हम उसको नहीं दिखाएंगे तो अपने आप कैसे ठीक होगी. वो कैंसर हो चाहें नॉन कैंसर, ठीक नहीं होगी, धीरे धीरे बढ़ेगी ही. तो, जरूरी है कि पहले उसे दिखाया जाए और उसकी सही ट्रीटमेंट शुरू की जाए. बायोप्सी से कैंसर नहीं बनता है न ही बढ़ता है. पहले से कैंसर है तो बायोप्सी बस उसको दिखा देती है.
किस तरह की गांठों को अवॉइड किया जा सकता है. या किसी भी तरह की गांठ को अवॉयड नहीं करना चाहिए.
ऐसी कोई भी गांठ नहीं है जो इग्नोर करनी चाहिए. अगर कोई भी गांठ है तो डॉक्टर को तुरंत दिखाना चाहिए और फिर जो भी टेस्ट हैं, जैसे अल्ट्रासाउंड, या मेमोग्राम या फिर एक नीडल टेस्ट है जिसे फाइन नीडल एस्पिरेशन वो भी कर लेते हैं. जिससे ब्रेस्ट कैंसर है या नहीं पता चल जाता है.
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