आज है, इसलिए आज देशभर के स्कूलों में अलग ही रौनक है. यह रौनक स्कूल बैन और स्कूल बस के साथ सड़कों पर भी साफ नजर आ रहा है. बच्चे रंग-बिरंगे पोशाक में नजर आ रहे हैं तो वहीं शिक्षक भी रोजाना से कहीं ज्यादा सजे-धजे नजर आ रहे हैं. वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शिक्षक दिवस की पूर्व संध्या पर सोमवार को राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार विजेताओं से न सिर्फ बातचीत की बल्कि उनकी सराहना भी की. प्रधानमंत्री ने सोशल नेटवर्किंग साइट 'एक्स' पर शिक्षकों के साथ अपनी तस्वीरों को पोस्ट करते हुए लिखा कि शिक्षक भारत के युवाओं के लिए एक उज्जवल भविष्य की पटकथा लिख रहे हैं. उन्होंने अपनी पोस्ट में कहा, ''हमारे देश के उत्कृष्ट शिक्षकों से मुलाकात हुई, जिन्हें राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार से सम्मानित किया गया है. युवा मन को आकार देने के प्रति उनका समर्पण और शिक्षा में उत्कृष्टता के प्रति उनकी अटूट प्रतिबद्धता बहुत प्रेरणादायक है. अपनी कक्षाओं में, वे भारत के युवाओं के लिए एक उज्जवल भविष्य की पटकथा लिख रहे हैं.''
टीचर्स डे पर शिक्षकों को सम्मानित किया जाता है. हर साल टीचर्स डे पर भारत के राष्ट्रपति शिक्षकों को राष्ट्रीय पुरस्कार देकर सम्मानित करते हैं. शिक्षा मंत्रालय के अधिकारियों के अनुसार इस साल देश भर से कुल 75 शिक्षकों को इस पुरस्कार के लिए चुना गया है. आज देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्म नई दिल्ली के विज्ञान भवन में 75 चयनित शिक्षकों को साल 2023 के राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित करेंगी. चयनित शिक्षकों में स्कूलों के 50 शिक्षक, उच्च शिक्षा संस्थानों के 13 शिक्षक और कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय के 12 शिक्षक शामिल हैं.
स्वतंत्र भारत के दूसरे राष्ट्रपति डॉ.सर्वपल्ली राधाकृष्णन (Sarvepalli Radhakrishnan Former President of India) का जन्म 5 सितंबर 1888 को हुआ था. डॉ.सर्वपल्ली राधाकृष्णन एक शिक्षक, दार्शनिक और विद्वान के रूप में अपने उल्लेखनीय कार्य के लिए जाने जाते हैं. उनके जन्मदिन को देश में शिक्षक दिवस (Teacher's day) के रूप में मनाया जाता है. इसके पीछे की कहानी है कि छात्र डॉ.सर्वपल्ली राधाकृष्णन के व्यक्तित्व से काफी प्रभावित थे और उनका जन्मदिन मनाना चाहते थे. इसपर राधाकृष्णन ने कहा कि मेरा जन्मदिन मनाने से बेहतर है कि आप लोग इसे शिक्षक दिवस के रूप में मनाएं. बस तभी से 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है. देश में शिक्षक दिवस मनाने की शुरुआत साल 1962 में डॉ. राधाकृष्णन के राष्ट्रपति बनने के साथ हुई थी.
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