logo

  • 05
    04:31 am
  • 04:31 am
logo Media 24X7 News
news-details
भारत

जरूरी नहीं कि बच्चे के शीर्ष हित का मतलब माता-पिता का प्यार और देखभाल हो: बंबई हाई कोर्ट

 बंबई हाई कोर्ट (Bombay High Court) ने कहा कि ‘बच्चे का शीर्ष हित' शब्द अपने अर्थ में व्यापक है और यह केवल प्राथमिक देखभाल करने वाले माता-पिता के प्यार और देखभाल तक ही सीमित नहीं रह सकता. अदालत ने कहा कि यह एक बुनियादी मानव अधिकार है कि बच्चे को माता-पिता दोनों की देखभाल और सुरक्षा मिले.

 

न्यायमूर्ति रेवती मोहिते डेरे और न्यायमूर्ति गौरी गोडसे की खंडपीठ ने एक महिला को निर्देश दिया कि वह 15 दिन के भीतर अपने साढ़े तीन साल के बेटे का संरक्षण अमेरिका में अलग रह रहे अपने पति को सौंप दे.

 

यह आदेश पिता द्वारा दायर याचिका पर पारित किया गया. पिता ने दावा कि था कि उनका और उनकी अलग रह रही पत्नी के बीच एक समझौता हुआ था, जिसके तहत उनका बच्चा, जो जन्म से अमेरिकी नागरिक है, को अपनी मां के साथ उस देश (अमेरिका) में रहना था. व्यक्ति ने अपनी याचिका में कहा कि इस व्यवस्था के बावजूद, अलग रह रही पत्नी बच्चे के साथ भारत आई और वापस लौटने से इनकार कर दिया.

 

अदालत ने अपने आदेश में कहा कि यह बच्चे के श्रेष्ठ हित में है कि वह अमेरिका लौट जाए जहां उसका जन्म हुआ है. अदालत ने कहा कि अगर महिला अपने बच्चे के साथ जाना चाहती है तो वह ऐसा कर सकती है और पुरुष को उसे और बच्चे को आवास और मासिक भरण-पोषण का खर्च वहन करने का निर्देश दिया.

 

आपको बता दें कि दंपति की 31 मार्च, 2010 को मुंबई में शादी हुई थी और 16 जून, 2010 को वे अमेरिका चले गए थे. उन्हें अक्टूबर 2020 में ग्रीन कार्ड मिला, जिससे वे स्थायी रूप से अमेरिका में रह सकते हैं. इसके बाद वे टेक्सास में रहने लगे, जहां 25 दिसंबर, 2019 को बच्चे का जन्म हुआ. महिला अपने बेटे के साथ 13 जनवरी, 2021 की वापसी टिकट के साथ 21 दिसंबर, 2020 को भारत आई लेकिन तीन दिन बाद ही उसने पति से कहा कि वह दोबारा संपर्क करने की कोशिश नहीं करे.

 

पति ने 25 दिसंबर, 2020 को भारत में अमेरिकी दूतावास को एक ई-मेल भेजकर सूचित किया कि उनका बेटा अमेरिकी नागरिक है, जिसका अपहरण कर लिया गया है. पांच दिन बाद उसने बेटे की कस्टडी की मांग को लेकर हाई कोर्ट में याचिका दायर की.

You can share this post!

Comments

Leave Comments