विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा है कि आत्मनिर्भर भारत से ‘आर्थिक संरक्षणवाद' का आशय निकालने की गलती नहीं की जानी चाहिए और भारत सहयोग के लिए तैयार है, लेकिन अपनी शर्तों और अपने रणनीतिक तरीकों से. जयशंकर ने यहां विदेश संबंध परिषद में एक परिचर्चा के दौरान कहा, ‘‘यह आज भारत में एक अंतर है. आज हम आत्मनिर्भर भारत की बात कर रहे हैं. कई लोग इसे गलती से आर्थिक संरक्षणवाद समझ लेते हैं. दरअसल, यह समय है जब हम विदेशी निवेश को आमंत्रित करने और विदेशी प्रौद्योगिकी मांगने में बहुत सक्रिय हैं. सेमीकंडक्टर जैसे क्षेत्रों में हमारे पास प्रोत्साहन योजना है.''
उन्होंने मंगलवार को एक प्रश्न के उत्तर में कहा, ‘‘लेकिन हम चाहते हैं कि वे हमारे साथ साझेदारी करें. यह हमारी शर्तों पर किया जाए. इसे उनकी रणनीति का हिस्सा बनाने के बजाय हमारे रणनीतिक रास्ते से किया जाए.''
जयशंकर से इस बाबत उनके दृष्टिकोण के बारे में पूछा गया था कि 25 साल पहले पोकरण (जब भारत ने परमाणु परीक्षण किया था) के बाद भारत ने अपना रास्ता कैसे तैयार किया और उनमें से कुछ सबक कैसे उपयोगी रहे, खासकर 5जी और एआई जैसी तकनीक के संबंध में संयुक्त राष्ट्र महासभा के 78वें सत्र में शामिल होने यहां आए विदेश मंत्री ने इस बारे में विस्तार से बताया कि भारत कोविड ढांचे के लिहाज से ठीक से तैयार नहीं था और किस तरह उसने समस्या से पार पाया.
उन्होंने यह भी कहा, ‘‘एक समय था, जब लोग कहते थे कि आपके 5जी विकल्प या तो चीन अथवा यूरोप हैं. हमें खुद भी आश्चर्य हुआ कि हमने वास्तव में साबित किया है कि हम अपनी खुद की 5जी प्रौद्योगिकी तैयार करने और उसका इस्तेमाल करने में सक्षम हैं.''
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