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"भारत इस संकट को संभाल लेगा": इजराइल-हमास युद्ध और कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों पर पेट्रोलियम मंत्री

 

 

इजरायल-फिलीस्तीन के बीच जारी युद्ध से पड़ने वाले असर पर भारत भी नजर बनाए हुए है. पेट्रोलियम मंत्री हरदीप पुरी ने सोमवार को कहा कि भारत सरकार इजरायल-हमास युद्ध का अंतरराष्ट्रीय तेल बाज़ार पर पड़ने वाले असर पर गंभीरता से नज़र रख रही है और भारत परिपक्वता से इस संकट से निपटेगा. सोमवार को अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में कच्चे तेल की कीमत 5% महंगी होकर 89 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गई. नेचुरल गैस के भी महंगा होने की आशंका है. इसको लेकर भारतीय उद्योग जगत की भी चिंता बढ़ती जा रही है.

 

इजरायल और हमास के बीच जारी युद्ध की वजह से अंतरराष्ट्रीय तेल अर्थव्यवस्था में बढ़ती अनिश्चितता की वजह से कच्चा तेल फिर महंगा होने लगा है.

सोमवार को Brent Crude Oil ट्रेडिंग के दौरान करीब 5% तक महंगा होकर 89 डॉलर प्रति बैरल के ऊंचे स्तर तक पहुंच गया.

भारत अपनी ज़रूरत का 80% से कुछ ज़्यादा कच्चा तेल आयात करता है. अगर ये युद्ध लंबा खिंचता है, तो कच्चा तेल के और महंगा होने का अंदेशा है और इसके साथ ही भारत का कच्चे तेल के आयात पर खर्च भी बढ़ेगा.

पेट्रोलियम मंत्री हरदीप पुरी ने माना कि हालात गंभीर हैं, भारत सरकार घटनाक्रम पर कड़ी नज़र रख रही है.

हरदीप पुरी ने कहा, "भारत इस संकट को परिपक्वता के साथ संभाल लेगा. जहां तक ​​ऊर्जा क्षेत्र का सवाल है, जहां युद्ध हो रहा है, वह कई मायनों में वैश्विक ऊर्जा का केंद्र है. हम बहुत ध्यान से हालात पर नज़र रखेंगे. हम इसके जरिए अपना रास्ता तलाशेंगे."

नेचुरल गैस की कीमतों पर इसके असर को लेकर भी चिंता बढ़ रही है. भारतीय उद्योग जगत भी सकते में है.

रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद पिछले डेढ़ साल में ये दूसरा युद्ध है जिसका साया अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था, विशेषकर कच्चे तेल और गैस की कीमतों पर गहराता जा रहा है.


एनडीटीवी के द्वारा पूछे जाने पर कि इजराइल-हमास युद्ध की वजह से अंतरराष्ट्रीय तेल अर्थव्यवस्था में जो उथल-पुथल बढ़ रही है, उसका कितना असर भारत पर पड़ने की आशंका है, PHDCCI के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर रंजीत मेहता ने कहा कि,  "आज Brent Crude Oil Index में बढ़ती दर्ज हुई है. अगर ईरान इस युद्ध में शामिल होता है तो इस युद्ध का दायरा बढ़ेगा और इससे तेल सप्लाई चेन पर काफी असर पड़ेगा. आज स्टॉक मार्केट में भी इसका एक बड़ा असर देखने को मिला है. अंतरर्राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में एक अनिश्चितता का माहौल है".

 

 

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