प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate) ने चीनी स्मार्टफोन निर्माता वीवो के खिलाफ धन शोधन की अपनी जांच के तहत मंगलवार को लावा इंटरनेशनल मोबाइल कंपनी के प्रबंध निदेशक (एमडी) और चीन के एक नागरिक सहित चार व्यक्तियों को गिरफ्तार किया. सूत्रों ने इन लोगों की गतिविधियों को भारत की आर्थिक संप्रभुता के लिए नुकसानदेह बताया है. ईडी ने एक स्थानीय अदालत को सौंपे हिरासत पत्र (रिमांड पेपर) में दावा किया कि चारों व्यक्तियों की कथित गतिविधियों ने वीवो, इंडिया को गलत तरीके से लाभ अर्जित करने में सक्षम बनाया.
गिरफ्तार किये गये इन चारों की पहचान लावा इंटरनेशनल मोबाइल कंपनी के प्रबंध निदेशक हरि ओम राय, चीनी नागरिक गुआंगवेन कयांग, चार्टर्ड अकाउंटेंट नितिन गर्ग और राजन मलिक नामक व्यक्ति के रूप में हुई है. उन्हें धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के प्रावधानों के तहत हिरासत में लिया गया है.
इस बीच, यहां की एक अदालत ने इन चारों व्यक्तियों को ईडी की तीन दिन की हिरासत में भेज दिया.
एजेंसी ने अदालत से कहा कि राय ने तीन अन्य के साथ ‘सांठगांठ' कर वीवो-चीन को फर्जी तरीके से वीवो-इंडिया के कॉरपोरेट आवरण के तहत देशभर में एक जटिल केंद्रीकृत संरचना स्थापित करने में सक्षम बनाया. एजेंसी ने कहा कि यह प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के मौजूदा मानदंडों को दरकिनार कर और जाली पहचान पत्रों का उपयोग करके उनके स्वामित्व और नियंत्रण की वास्तविक प्रकृति को छिपा कर किया गया.
ईडी ने कहा कि इस तरह उन्होंने सरकारी प्राधिकारों के साथ धोखाधड़ी की और इस प्रक्रिया में वीवो-इंडिया (वीवो-चीन द्वारा नियंत्रित) ने ‘‘भारत की आर्थिक संप्रभुता को नुकसान पहुंचाने'' के इरादे से अपने लिए गलत तरीके से भारी लाभ अर्जित किया.
लावा इंटरनेशनल कंपनी को उसकी प्रतिक्रिया के लिए भेजे गए एक ई-मेल का तत्काल जवाब नहीं मिल पाया है. भारतीय मोबाइल फोन निर्माता कंपनी लावा इंटरनेशनल स्मार्टफोन बाजार में 1-2 प्रतिशत हिस्सेदारी होने का दावा करती है.
वीवो के प्रवक्ता ने कहा कि कंपनी ‘‘अपने नैतिक सिद्धांतों का दृढ़ता से पालन करती है और कानूनी अनुपालन के लिए प्रतिबद्ध है. हालिया गिरफ्तारी हमें काफी चिंतित करती है. हम सभी उपलब्ध कानूनी विकल्पों का उपयोग करेंगे.''
एजेंसी ने वीवो और इससे जुड़े लोगों के ठिकानों पर पिछले साल जुलाई में छापा मारा था तथा चीनी नागरिकों एवं कई भारतीय कंपनियों की संलिप्तता वाले एक बड़े धन शोधन गिरोह का भंडाफोड़ करने का दावा किया था.
ईडी ने तब आरोप लगाया था कि वीवो ने भारत में कर की अदायगी से बचने के लिए 62,476 करोड़ रुपये ‘अवैध रूप से' चीन भेज दिए.
प्रमुख चीनी कंपनी वीवो पर यह कार्रवाई संघीय जांच एजेंसी के यह पाये जाने के बाद की गई है कि चीन के तीन नागरिक--जो 2018-21 के दौरान भारत से चले गये थे-- और उस देश के एक अन्य व्यक्ति ने भारत में 23 कंपनियों को निगमित किया, जिसमें उन्हें सीए नितिन गर्ग ने भी कथित तौर पर मदद की थी.
ईडी के अनुसार, यह पाया गया कि इन 23 कंपनियों ने वीवो इंडिया को भारी मात्रा में रुपये अंतरित किए. इसके अलावा, बिक्री से प्राप्त 1,25,185 करोड़ रुपये की कुल आय में से वीवो इंडिया ने 62,476 करोड़ रुपये या कारोबार का लगभग 50 प्रतिशत भारत से बाहर, मुख्य रूप से चीन भेज दिया.
इस कार्रवाई को चीनी कंपनियों पर नकेल कसने के केंद्र सरकार के प्रयास के हिस्से के रूप में देखा जा रहा है. ये कंपनियां यहां संचालित होते हुए कथित तौर पर धन शोधन करने और कर चोरी जैसे गंभीर वित्तीय अपराधों में लिप्त हैं. इस कदम को ऐसी कंपनियों और उनसे जुड़े भारतीय संचालकों पर निरंतर कार्रवाई किये जाने के रूप में भी देखा जा रहा है.
पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर दोनों देशों के बीच तीन साल से सैन्य गतिरोध जारी रहने के बीच यह घटनाक्रम हुआ.
वीवो ने पांच जुलाई, 2022 को ईडी की तलाशी के बाद कहा था कि वह एक जिम्मेदार कंपनी है और कानूनों का पूरी तरह अनुपालन करने के लिए प्रतिबद्ध है.
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