logo

  • 21
    10:03 pm
  • 10:03 pm
logo Media 24X7 News
news-details
भारत

युद्ध के बाद प्रतिक्रिया देने के बजाय उसकी प्रकृति में बदलाव का पूर्वानुमान लगाना चाहिए: वायु सेना प्रमुख

भारतीय वायु सेना के प्रमुख एयर चीफ मार्शल वी आर चौधरी ने मंगलवार को कहा कि सशस्त्र बलों के नेतृत्व को समझना होगा कि ‘‘हमें युद्ध के बाद इस पर प्रतिक्रिया देने के बजाय हमेशा इसकी प्रकृति में बदलाव का पूर्वानुमान लगाना होगा.'' वायु सेना प्रमुख ने यहां एक कार्यक्रम में अपने संबोधन में कहा कि भारतीय वायु सेना का अपने शताब्दी दशक के लिए दृष्टिकोण प्रौद्योगिकी विकास के साथ तालमेल बनाए रखना और अपनी परिचालन क्षमताओं को बढ़ाने की दिशा में काम करना है. वह वायु सेना के 91वें स्थापना दिवस के कुछ दिन बाद दिल्ली में ‘भारत शक्ति' द्वारा आयोजित ‘इंडिया डिफेंस कॉन्क्लेव 2023' को संबोधित कर रहे थे. 

 

वायु सेना प्रमुख ने कहा, ‘‘जब हम अपने शताब्दी दशक में बढ़ रहे हैं तो मेरा मानना है कि अगले 10 साल में वायु सेना के दृष्टिकोण को सामने रखना उचित होगा.''

उन्होंने कहा, ‘‘बहुत स्पष्ट रूप से, हमारे नए सिद्धांत ने वायु सेना की दृष्टि को एक चुस्त और अनुकूल वायु सेना के रूप में व्यक्त किया है जो हमारे राष्ट्रीय हितों को आगे बढ़ाने में निर्णायक वायु शक्ति प्रदान करती है.''

वायु सेना प्रमुख ने एक पॉवर प्वाइंट प्रस्तुतिकरण में वायु सेना के दृष्टिकोण को रेखांकित किया. उन्होंने कहा कि क्षमता विकास में, खासकर लगातार बदलती भू-राजनीतिक स्थिति, वैश्विक स्थिति के संदर्भ में भविष्य के जोखिमों और बाधाओं की पहचान शामिल है. 

उन्होंने कहा, ‘‘दुनिया भर में जिस तरह की उथल-पुथल देखी जा रही है, उसने हमारी क्षमताओं का लगातार पुनर्मूल्यांकन करने की आवश्यकता को जन्म दिया है, चाहे हमें एक छोटे और तेज युद्ध के लिए सुसज्जित और प्रशिक्षित होने की आवश्यकता हो या हमें एक लंबे संघर्ष के लिए सुसज्जित और प्रशिक्षित होने की आवश्यकता हो. देश या दुनिया के किस हिस्से पर भविष्य में असर पड़ने वाला है, हमें हर वक्त यह विश्लेषण करते रहना होगा.''

अपने संबोधन में, उन्होंने सी-295 विमानों के नवीनतम समावेश और 84 सुखोई-30 एमकेआई लड़ाकू विमानों के उन्नयन के अलावा 97 तेजस मार्क-1ए विमानों के अतिरिक्त बैच की खरीद की भारतीय वायुसेना की योजना के बारे में भी बात की. 

उन्होंने कहा, ‘‘सी-295 परियोजना में सात राज्यों में फैले 125 एमएसएमई शामिल होंगे, और 40 लाख से अधिक घंटे का काम पैदा होने की उम्मीद है. और, कामकाज के इन घंटों का 96 प्रतिशत काम भारत में किया जाएगा.''

 


 

 

You can share this post!

Comments

Leave Comments