उन्होंने बताया कि 2009 में जिगिशा घोष की हत्या के आरोप में गिरफ्तार किए गए रवि कपूर , अमित शुक्ला और बलजीत मलिक ने 2008 में सौम्या विश्वनाथन की हत्या में अपनी संलिप्तता कबूल कर ली.
बता दें कि दिल्ली की एक अदालत ने बुधवार को चार आरोपियों को संगठित अपराध को अंजाम देने के दौरान टेलीविजन पत्रकार सौम्या विश्वनाथन की हत्या का दोषी ठहराया. वहीं, पांचवें आरोपी अजय सेठी को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 411 (बेईमानी से चोरी की संपत्ति प्राप्त करना) और मकोका प्रावधानों के तहत संगठित अपराध को अंजाम देने, सहायता करने या जानबूझकर इसे बढ़ावा देने और संगठित अपराध की आय प्राप्त करने की साजिश रचने के लिए दोषी ठहराया गया.
दिल्ली पुलिस ने 30 सितंबर 2008 को अजय कुमार और अजय सेठी को गिरफ्तार कर लिया और काम से घर लौट रही विश्वनाथन की हत्या के लिए पांचों पर मामला दर्ज किया. 18 मार्च 2009 को सौम्या घोष के साथ लूटपाट की गई और फिर हत्या कर दी गई.
इस मामले के जांच अधिकारी अतुल कुमार वर्मा ने पीटीआई को कहा,"फरीदाबाद के सूरज कुंड इलाके से जिगिशा का शव बरामद होने के दो-तीन दिन बाद उसकी हत्या का मामला सुलझ गया. हमें पहली सुराग सीसीटीवी फुटेज से मिली थी, जहां हमने पाया कि एक आरोपी के हाथ पर टैटू था. जिगिशा के डेबिट कार्ड का उपयोग करके खरीदारी की गई. दूसरे के पास वायरलेस सेट था और उसने टोपी पहन रखी थी.''
इसके बाद अधिकारियों ने दिल्ली पुलिस के ह्यूमन इंटेलिजेंस नेटवर्क पर बारीकी से काम किया और जल्द ही पुलिस टीम मसूदपुर स्थित मलिक के आवास पर पहुंच गई. कपूर और शुक्ला को बाद में गिरफ्तार कर लिया गया. मलिक ने अपने हाथ पर अपना नाम लिखवाया हुआ था, जबकि कपूर एक वायरलेस सेट रखता था, जिसे उसने एक पुलिस अधिकारी से छीन लिया था. इन आरोपियों ने खुलासा किया कि वसंत विहार में उसके घर के पास से उन्होंने जिगिशा का अपहरण कर लिया और लूटने के बाद बाद में उसे मारकर फेंक दिया. उन्होंने उसके डेबिट कार्ड का उपयोग करके खरीदारी भी की.
वसंत विहार पुलिस स्टेशन के अधिकारियों की एक टीम का नेतृत्व कर रहे अतुल कुमार वर्मा ने इस बत की जानकारी दी.अतुल कुमार वर्मा ने कहा, "जब रवि कपूर ने खुद खुलासा किया कि उन्होंने नेल्सन मंडेला मार्ग पर एक और लड़की की हत्या की है, जो वसंत विहार से बहुत दूर नहीं था, तो हमें थोड़ा झटका लगा."
उन्होंने यह भी कहा कि उस हत्या में दो अन्य सहयोगी अजय कुमार और अजय सेठी शामिल थे. तत्कालीन पुलिस उपायुक्त (दक्षिण) एचजीएस धालीवाल ने तुरंत अधिकारियों की एक और टीम गठित की और दोनों हत्या मामलों की जांच के लिए तत्कालीन एसीपी भीष्म सिंह को नियुक्त किया. भीष्म सिंह ने कहा, "चूंकि हमारे पास सौम्या हत्याकांड के आरोपियों का कबूलनामा था. इस मामले में, हमारे सामने बड़ी चुनौती फोरेंसिक सबूत इकट्ठा करने की थी."
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