दिल्ली की केजरवाल सरकार (Arvind Kejriwal) ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में हलफनामा दायर कर प्रदूषण (Delhi Air Pollution) के खिलाफ अभियान में 'ऑड ईवन' फॉर्मूले (Odd Even System) को सही ठहराया है. हलफनामे में दिल्ली सरकार ने कहा है कि ऑड-ईवन का सकारात्मक प्रभाव देखने को मिलता है. इस दौरान सड़कों पर भीड़भाड़ कम देखने को मिलती है. ऑड-ईवन के दौरान लोग सार्वजनिक परिवहन का अधिक उपयोग करते हैं. इस तरह से केजरीवाल सरकार ऑड-ईवन के पक्ष में नजर आ रही है. दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण को लेकर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई है. इस दौरान केजरीवाल सरकार अपना पक्ष रखेगी.
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण का स्तर को लेकर केजरीवाल सरकार से पूछा था कि वह दिल्ली की आबोहवा को साफ करने के लिए क्या कदम उठा रहे हैं. दिल्ली सरकार ने कोर्ट को बताया था कि वह कई कदम उठा रही है, इसके साथ ही 13 नवंबर से कारों के लिए ऑड-ईवन योजन भी लागू की जा रही है. तब सुप्रीम कोर्ट ने पूछा था कि क्या ऑड ईवन से प्रदूषध के स्तर में कुछ होता है? इसके जवाब में दिल्ली सरकार ने अब हलफनाम दायर किया है.
दिल्ली के ‘डिसीजन सपोर्ट सिस्टम' के आंकड़ों के अनुसार, राष्ट्रीय राजधानी में बुधवार को 38 फीसदी प्रदूषण के लिए पड़ोसी राज्यों, विशेष रूप से पंजाब और हरियाणा में पराली जलाए जाने से निकला धुआं जिम्मेदार था. बृहस्पतिवार को शहर में प्रदूषण के स्तर में पराली जलाने की घटनाओं का योगदान 27 फीसदी रहा, जबकि शुक्रवार को इसके 12 फीसदी रहने की संभावना है. आंकड़ों में परिवहन को भी वायु प्रदूषण का प्रमुख कारण बताया गया है, जो दिल्ली की बिगड़ती आबोहवा में 12 से 14 फीसदी का योगदान दे रहा है. दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा कि उच्चतम न्यायालय के आदेशानुसार दिल्ली में ऐप आधारित टैक्सियों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया गया है.
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