सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के मुताबिक लोकसभा की सुरक्षा में बुधवार को सेंधमारी करने वालों पर USPA कानून (What Is UAPA ACT) के तहत मामला दर्ज किया गया है. ज्यादातर लोगों के मन में यह सवाल उठ रहा होगा कि यूएपीए कानून आखिर है क्या? यह कानून देश में लब लाया गया और आईपीसी के होते हुए इसे लाने की जरूरत क्यों पड़ी. UAPA कानून के तहत किस तरह की गतिविधियों पर लगाम कसी जा सकती है.
यूएपीए की धारा-15 आतंकी गतिविधि को परिभाषित करती है. इस कानून के तहत कम से कम 5 साल और अधिकतम आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान है. अगर आतंकी घटना में किसी की जान चली जाती है तो दोषी व्यक्ति को सजा-ए-मौत या फिर आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान है. अगर कोई भी व्यक्ति आतंक फैलाने के मकसद से देश की अखंडता, एकता, सुरक्षा और संप्रभुता तो खंडित करने की कोशिश करता है या फिर देश या देश के बाहर भारतीयों के साथ आतंकी घटना कपने की कोशिश करता है, तो वह UAPA कानून के दायरे में आएगा.
यूएपीए कानून को आतंकी गतिविधियों पर लगाम कसने के लिए 1967 में लाया गया था. इस कानून के तहत उन लोगों पर कार्रवाई की जाती है जो आतंकी गतिविधियों में संदिग्ध होते हैं. UAPA कानून राष्ट्रीय जांच एजेंसी को संदिग्ध या फिर आरोपी की संपत्ति जप्त या फिर कुर्क करने का अधिकार देती है. UAPA कानून संविधान के अनुच्छेद-19(1) के तहत मौलिक अधिकारों पर तर्कसंगत सीमाएं लगाने के इरादे से पेश किया गया था. यूएपीए का मकसद देश की देश की संप्रभुता और अखंडता को चुनौती देने वाली गतिविधियों पर रोक लगाने के लिए सरकार को अधिकार देना है. यह कानून कुछ खास हालातों में ही लागू होता है.
इस कानून को संविधान के अनुच्छेद-19(1) के तहत दिए गए मौलिक अधिकार पर तर्कसंगत सीमाएं लगाने के लिए पेश किया गया था. यूएपीए का उद्देश्य भारत की अखंडता और संप्रभुता को चुनौती देने वाली गतिविधियों पर रोक लगाने के लिए सरकार को ज्यादा अधिकार देना था. यूएपीए को विशेष हालात में लागू किया जा सकता है.
UAPA अकेला ऐसा कानून है जो आतंकवाद और गैरकानूनी गतिविधियों पर लागू होता है. ऐसे कई क्राइम थे, जिनका आईपीसी में जिक्र तक नहीं था. यही वजह रही कि 1967 में गैरकानूनी गतिविधि अधिनियम कीा जरूरत महसूस की गई और यूएपीए कानून लाया गया. यह कानून गैरकानूनी और आतंकवादी गतिविधियों पर लगाम कसने में सक्षम है.
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