पूर्व भारतीय क्रिकेट कप्तान मोहम्मद अज़हरुद्दीन को सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिली है. अज़हरुद्दीन ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर एकल सदस्य समिति (एचसीए के चुनावों के लिए शीर्ष अदालत द्वारा गठित) द्वारा हैदराबाद क्रिकेट एसोसिएशन (एचसीए) की मतदाता सूची से उनका नाम हटाने को चुनौती दी थी. कोर्ट ने अज़हरुद्दीन की याचिका पर फिलहाल कोई भी आदेश जारी नहीं किया है. 31 अक्टूबर तक के लिए याचिका पर सुनवाई टल गई है. एचसीए के चुनाव 20 अक्टूबर को होने हैं.
अज़हरुद्दीन ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर हैदराबाद क्रिकेट एसोसिएशन यानी एचसीए की सुप्रीम कोर्ट से नियुक्त सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस एल नागेश्वर राव की अध्यक्षता वाली एकल सदस्य समिति के मतदाता सूची में अपना नाम फिर से शामिल करने का आदेश देने की गुहार लगाई थी. हैदराबाद क्रिकेट एसोसिएशन (एचसीए) की मतदाता सूची से अजहरुद्दीन का नाम हटा दिया गया, जिसे उन्होंने चुनौती दी थी.
जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस सुधांशु धूलिया की पीठ ने अज़हरुद्दीन की याचिका पर फिलहाल कोई भी आदेश जारी नही किया. कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई 31 अक्टूबर तक के लिए टाल दी, जबकि एचसीए के चुनाव 20 अक्टूबर को ही होने हैं. पीठ पहले से ही अंतिम रूप दी जा चुकी मतदाता सूची में हस्तक्षेप करने की इच्छुक नहीं थी.
हैदराबाद के डेक्कन ब्लूज़ क्रिकेट क्लब की ओर से समिति को भेजे गए एक पत्र के आधार पर अज़हरुद्दीन का नाम हटाया गया, क्योंकि उसमें डेक्कन ब्लूज़ क्रिकेट क्लब के अध्यक्ष के रूप में अज़हरुद्दीन के नाम का उल्लेख था. हालांकि, अज़हरुद्दीन ने उस दस्तावेज़ को ही नकली और फर्जी बताया है.
सोमवार को सुनवाई के दौरान अजहरुद्दीन के वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि वो बीसीसीआई का आजीवन सदस्य हैं, जब विवादास्पद दस्तावेज दिया गया तब उन्हें इसकी कोई जानकारी नहीं मिली थी. तब उन्हें कोई नोटिस भी नहीं दिया गया था. यहां तक कि कई आधिकारिक रिकॉर्ड कहते हैं कि मैं डेक्कन ब्लूज़ का अध्यक्ष नहीं हूं तो फिर मामला पूरी तरह झूठा और मनगढ़ंत है.
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