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BJP में परवेश वर्मा बनाम मनोज तिवारी, दिल्ली में वोटिंग से पहले CM की दावेदारी

दिल्ली विधानसभा चुनाव में बीजेपी सांसद परवेश वर्मा ने अपने विवादित बयानों को देकर अपने आपको पार्टी के नए फॉयर ब्रिगेड के नेता के तौर पर स्थापित करने में कामयाब रहे हैं. दिल्ली में बीजेपी केजरीवाल को मात देती है या नहीं यह बात 11 फरवरी को साफ होगी, लेकिन जिस तरह से परवेश वर्मा ने अपना कद बढ़ाया है उससे दिल्ली बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी की चिंता को बढ़ा दिया है.

  • दिल्ली में परवेश वर्मा बीजेपी के नए फॉयर ब्रिगेड
  • सीएम पर मनोज तिवारी के मुकाबला परवेश वर्मा

दिल्ली विधानसभा चुनाव का आगाज हुआ तो बीजेपी के प्रमुख चेहरे के तौर पर मनोज तिवारी सबसे आगे नजर आ रहे थे, लेकिन चुनाव में सियासी पारा चढ़ने के साथ-साथ पार्टी संसद परवेश वर्मा का भी सियासी कद बढ़ता गया. दिल्ली चुनाव प्रचार में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने शाहीन बाग के मुद्दे पर आक्रमक रुख अख्तियार किया तो परवेश वर्मा ने इस मुद्दे को आगे बढ़ाकर चुनावी फिजा को बीजेपी के पक्ष में मोड़ने की पुरजोर कोशिश की. इसलिए अगर बीजेपी 22 साल के सत्ता का वनवास को दिल्ली में खत्म करने में कामयाब रहती है तो सीएम के पद को लेकर मनोज तिवारी और परवेश वर्मा के बीच कड़ा मुकाबला हो सकता है.

विरासत से सिसायत में आए पश्चिम दिल्ली के सांसद परवेश वर्मा दिल्ली चुनाव में अपने बयानों के जरिए बीजेपी का चर्चित चेहरा बनकर उभरे हैं. परवेश वर्मा ने प्रचार करते हुए कहा था, 'शाहीन बाग में लाखों लोग जमा होते हैं. दिल्ली के लोगों को सोचना होगा. फैसला करना होगा. एक दिन वे आपके घरों में घुसेंगे, आपकी बहन-बेटियों से बलात्कार करेंगे, उनका कत्ल कर देंगे. अब भी वक्त है. कल को मोदी जी और अमित शाह आपको बचाने नहीं आ पाएंगे.'

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परवेश वर्मा को अपने विवादित बयानों के लिए बीजेपी के स्टार प्रचारकों की लिस्ट से बाहर होना पड़ा, जिसके बाद भी वो लगातार बयान देते रहे. इसके बाद चुनाव अयोग ने अब उनके प्रचार पर प्रतिबंध लगा दिया, लेकिन परवेश वर्मा दिल्ली चुनाव प्रचार से बीजेपी में फायर ब्रांड नेता के तौर पर अपनी छवि गढ़ने में कामयाब रहे हैं. बीजेपी दिल्ली में केजरीवाल को मात देकर कमल खिलाने में कामयाब रहती है या नहीं ये तो 11 फरवरी को पता चलेगा, लेकिन परवेश वर्मा अपने सियासी कद को नया तेवर और ऊंचाई देने में सफल रहे हैं. हाल ही में परवेश वर्मा के विवादित भाषणों को इसी रणनीति का एक हिस्सा माना जा सकता है.

परवेश वर्मा का कद उस समय भी बढ़ता दिख गया था जब जनवरी माह में बूथ कार्यकर्ताओं के सम्मेलन 'पंच परमेश्वर' में उन्होंने पूरा मंच अकेले संभाल रखा था. 'बूथ जीता, चुनाव जीता' के नारे से चुनावी मुहिम का आगाज करते हुए भी अमित शाह ने न सिर्फ परवेश वर्मा की तारीफ की, बल्कि उन्हें पार्टी का बड़ा नेता करार दे दिया था.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार को द्वारका के रामलीला मैदान में चुनावी रैली को संबोधित करने गए थे. पीएम के रैली स्थल पर पहुंचने के बाद उनका स्वागत जाट नेता परवेश वर्मा ने किया और वही उन्हें मंच के ऊपर भी लेकर आए जबकि ठीक उसी समय मंच पर बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा और पार्टी के महामंत्री अनिल जैन भी मौजूद थे. लेकिन प्रधानमंत्री के स्वागत की जिम्मेदारी युवा जाट नेता परवेश वर्मा ने निभाई.

इतना ही नहीं रैली के मंच पर परवेश वर्मा की कुर्सी भी पीएम की कुर्सी के ठीक बगल में थी. नरेंद्र मोदी के बोलने से पहले जब तक अन्य नेता भाषण दे रहे थे, उस समय प्रधानमंत्री लगातार परवेश वर्मा से कुछ बातचीत करते नजर आ रहे थे. इसके परवेश वर्मा के बढ़े राजनीतिक कद का अंदाजा लगाया जा सकता है और यह मनोज तिवारी के लिए चिंता का सबब बन गया है.

दिल्ली में बीजेपी ने भले ही किसी को भी सीएम पद का चेहरा घोषित नहीं किया है, लेकिन दिल्ली बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष होने के नाते इस पर मनोज तिवारी की ही दावेदारी मानी जा रही थी. इसी का नतीजा था कि केजरीवाल भी मनोज तिवारी को निशाने पर लेकर बीजेपी पर सवाल खड़े कर रहे थे. पीएम मोदी के मंच का संचालन से लेकर पूरी दिल्ली में प्रचार की कमान मनोज तिवारी ने अपने कंधों पर ले रखी है. जिसके चलते उन्हें पार्टी के सीएम चेहरे के तौर पर देखा जा रहा है. ऐसे में परवेश वर्मा के बढ़े कद ने अब उनकी राह में एक कड़ी चुनौती खड़ी कर दी है.

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