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PK का बड़ा हमला- नीतीश अब गोडसे वालों के साथ, गांधी-गोडसे एक साथ नहीं चल सकते

राजनीतिक रणनीतिकार के तौर पर बड़ा नाम बन चुके प्रशांत किशोर ने मंगलवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस की. इस दौरान उनके निशाने पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और भारतीय जनता पार्टी रही.

  • प्रशांत किशोर का नया चुनावी प्लान
  • नीतीश कुमार पर पीके ने साधा निशाना
  • बीजेपी के साथ जाने पर खड़े किए सवाल

राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने मंगलवार को अपने राजनीतिक भविष्य को लेकर प्लान का ऐलान कर दिया. प्रेस कॉन्फ्रेंस में प्रशांत किशोर के निशाने पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार रहे और उनके भारतीय जनता पार्टी के साथ गठबंधन पर सवाल खड़े किए. इस दौरान पीके ने कहा कि आज नीतीश कुमार उनके साथ हैं जो नाथूराम गोडसे की विचारधारा को मानते हैं, लेकिन गांधी और गोडसे एक साथ नहीं चल सकते हैं.

प्रेस कॉन्फ्रेंस में प्रशांत किशोर ने कहा, ‘मेरा और नीतीश जी का संबंध राजनीतिक नहीं रहा, वो मुझे अपना बेटा मानते थे. लेकिन आज नीतीश जी उनके साथ हैं जो नाथूराम गोडसे की विचारधारा को मानते हैं. सच्चाई ये है कि महात्मा गांधी और नाथूराम गोडसे एक साथ नहीं चल सकते हैं’.

प्रशांत किशोर ने कहा कि नीतीश कुमार के लिए सवाल है कि आप गांधी और गोडसे को एक साथ लेकर कैसे चल सकते हैं. उनके लिए सवाल ये भी है कि वो कबतक किसी का पिछलग्गू बनकर कुर्सी पर बने रहना चाहते हैं. पीके ने कहा कि नीतीश कुमार और बीजेपी का संबंध नया नहीं है, लेकिन आज की बीजेपी और पहले की बीजेपी में ज़मीन-आसमान का अंतर है.

'बिहार में विकास लेकिन स्थिति अब भी 2005 जैसी'

जनता दल (यू) में उपाध्यक्ष की भूमिका निभा चुके प्रशांत किशोर ने मंगलवार को एक नई लकीर खींचने का ऐलान किया. पीके ने नीतीश कुमार पर निशाना साधते हुए कहा कि वो पंद्रह साल की सत्ता का दावा करते हैं लेकिन क्या बिहार में तरक्की हुई, विशेष दर्जा मिला?

पीके ने कहा कि बिहार में विकास हुआ है, मैं इस बात को मानता हूं. लेकिन विकास के 20 बड़े मानकों में आज भी बिहार की स्थिति 2005 जैसी है. इसी साल होने वाले बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले प्रशांत किशोर का इस तरह पूरी तरह से अलग हो जाने का ऐलान कर देना नई हलचल पैदा कर सकता है.

आपको बता दें कि पिछले कुछ समय में भारतीय जनता पार्टी के नेताओं ने कई ऐसे बयान दिए हैं, जो विवादित रहे हैं. फिर चाहे साध्वी प्रज्ञा के द्वारा नाथूराम गोडसे को देशभक्त बताना हो या फिर हाल ही में दिल्ली विधानसभा चुनाव के दौरान की गई बयानबाजी हो.

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